रविवार, 30 जून 2013

गैस पीड़ितों ने घेरा बीएमएचआरसी ,भोपाल

गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन ने शनिवार को भोपाल मेमोरियाल हास्पिटल के अपग्रेडेशन में हो रही देरी के खिलाफ अस्पताल का घेराव किया। इस दौरान संगठन के कार्यकर्ता करीब ढाई घंटे तक गेट के सामने जमा रहे। 
संगठन के संयोजक अब्दुल जब्बार ने बताया, 9 जनवरी, 2012 से बीएमएचआरसी देश की शीर्ष मेडीकल शोध व अध्ययन संस्था भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के जिम्मे है। पहले 18 जुलाई, 10 तक यह अस्पताल   सुप्रीमकोर्ट के निवृतमान न्यायमूर्ति एएम अहमदी की चेअरमैनशिप में एक ट्रस्ट चला। इसमें भारी अनियमितताएं व मेडीकल अव्यवस्थाएं सामने आई थीं। इसके बाद 19 जुलाई, 10 को सुप्रीम कोर्ट ने ट्रस्ट से अस्पताल लेकर भारत सरकार को सौंप दिया था। 
उल्लेखनीय है कि सबसे पहले अस्पताल का दायित्व परमाणु उर्जा विभाग के पास था, इसी के चलते यहां तेजी से सुधार हुआ। अचानक प्रधानमंत्री कार्यालय में चले षड़यंत्र के तहत इसे डेढ़ वर्ष पूर्व आईसीएमआर को सौंपा गया। इसके बाद 18 माह तक अतिसंवेदनशील महत्वपूर्ण उपकरणों की खरीदी से लेकर बन्द विभाग को दोबारा शुरू के बारे में कुछ नहीं हो सका। श्री जब्बार ने बताया, 9 अगस्त 12 को संगठन की मेडीकल व्यवस्था सुधार याचिका पर सुप्रीमकोर्ट ने आईसीएमआर को सुपर स्पेशलिटी का पोस्ट ग्रेजुएट संस्थान बनाने के साथ ही यहां से सेवाएं छोड़ रहे चिकित्सकों को रोकने के उपाय करने को कहा है। 

-...और बना दी दूसरी कमेटी 
बीएमएचआरसी में व्यवस्थाएं सुधार को  लेकर आईसीएमआर ने एम्स दिल्ली, चंढ़ीगढ़ के साथ ही 17 से अधिक शीर्ष चिकित्सकों की एक कमेटी बनाई थी। इसका क्या परिणाम आया, उसकी  सिफारिशे क्या हैं? इसे सार्वजनिक नहीं किया गया। इसके उलट 30 चिकित्सकों की नई कमेटी बना दी है। इसकी शनिवार को पहली बैठक थी। इस बारे में कोई जानकारी ही नहीं कि दूसरी कमेटी का औचित्य क्या है। 


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