रविवार, 30 जून 2013

कल से सस्ता होगा दर्द का मर्ज

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कल से दवा होगी थोड़ी सस्ती 
-444 दवाओं की हुई डीपीसी, रिटेल दवा व्यापारियों में हड़कंप 
-मूल्य नियंत्रण होने से फुटकर विक्रताओं का 20 प्रतिशत तक मार्जन कम हुआ
-फिर भी कमाई होगी 40 से 50 प्रतिशत तक 
हेमन्त पटेल, भोपाल। 
लंबे समय से दवाओं के मूल्य नियंत्रण की चल रही कवायदें पूरी हो गई हैं। अब 1 जुलाई, (सोमवार) से दवाओं को डीपीसी (ड्रग प्राइज कंट्रोल) में लाया जा रहा है। इसी के साथ प्रदेश में 444 दवाईयां इस जद में होंगी। लोगों को यह दवाएं थोड़े सस्ते में मिलेंगी। 
इससे पहले 350 दवाओं को डीपीसी में लाया जा रहा था। बाद में मप्र स्वास्थ्य विभाग ने इसमें 94 दवाओं को ओर सूचिबद्ध किया। ‘नवीन दवा मूल्य नियंत्रण आदेश’ मेडिकल इंडस्ट्रीज और दवा विके्रताओं के लिए 1 जुलाई से मान्य होंगे। हलांकि मूल्य नियंत्रण में लाए जाने की कवायद केंद्र के स्वास्थ्य विभाग, कैमिकल इंडस्ट्रीज और मानव संसाधन विभाग ने शुरू की है। इसके तहत केंद्र सरकार ने न्यूनतम दाम निर्धारित करने के लिए नेशनल फार्मेस्क्यूटीकल प्राइजिंग आॅथारिर्टी (एनपीपीए) गठित की है। उम्मीद है दवाओं के दाम नियंत्रण में लिए जाने के बाद से इसका सीधा फायदा आम लोगों को मिलेगा। वहीं फुटकर व्यापारी धड़े में इसको लेकर पहले से ही उहापोह की स्थिति थी, जो अब ओर बढ़ती दिखाई दे रही है। 

-इसलिए हड़कंप 
‘नवीन दवा मूल्य नियंत्रण आदेश’ के तहत प्रथम दृष्टि में एक मरीज को जिन जीवन रक्षक दवाओं की ज्यादा आवश्यकता होती है, उन्हें सूचीबद्ध किया गया है। जानकारों के अनुसार चूंकि बाजार में इनकी खफत 60 फीसदी होती है, इस लिहाज से इनका फायदा घट जाएगा। मूल्य नियंत्रण में आने से रिटेल दवा व्यापारियों के मार्जन लगभग 15 से 20 प्रतिशत तक कमी आएगी। बावजूद इसके 40 से 50 प्रतिशत फायदा फिर भी इनको मिलना जारी रहेगा। दवा इंडस्ट्रीज से जुड़े डॉ. वीके पारशर की माने तो यह मूल्य नियंत्रण केवल टेबले और कैप्शूल में किया गया है। कई इंजेक्शन ऐसे हैं, जिनके मूल्य सरकार को नियंत्रण में लाना चाहिए। 

-डीपीसी में ये भी होगा 
डीपीसी को ध्यान में रख कर कैमिकल इंडस्ट्रीज को कम से कम कीमतों में नई श्रेणी की दवाईयां बनाने को कहा। इसमें टीवी दवाएं, सेडवेटिव, लिपिड, लोबरिंग दवाएं और स्ट्रेपिड दर्द निवारक आदि शामिल हैं। उल्लेखनीय है कि 29 सितंबर, 2012 को 348 दवाओं को डीपीसी के तहत सूचीबद्ध किया गया था। 

-ऐसे सस्ती हुई दवा 
सेफिजिम-200 जिसका वर्तमान प्रिंट मूल्य 170 रुपए है। यह अब 120 रुपए में मिलेगी। इसी प्रकार सेफिजिम डिसपरसिबिल-100 टेबलेट 90 रुपए के स्थान पर 63 रुपए में दवा दुकान से मिल सकेगी। वहीं रिटेल दवा विक्रेताओं को क्रमश: 80 व 40 रुपए तक का मार्जन मिलेगा। 

ड्रग प्राइज कंट्रोल में 444 दवाईयों को सूचीबद्ध किया गया है। यह 1 जुलाई से होने वाली मैन्यूफेक्जरिंग में लागू हो जाएगी। इसके बाद से रिटेल बाजार में यह आम जन को कम कीमत में मिलेंगी। 
प्रवीर कृष्ण, प्रमुख सचिव, स्वास्थ्य

सरकार ने मोटे तौर पर ज्यादा खपत और जरूरी लगने वाली दवाओं को दायरे में लिया है। यह अच्छी बात है। इसका सीधा फायदा दवा के्रताओं को मिलेगा, जिन्हें महंगी दवाएं खरीदनी होती हैं। 
मुकेश कुमार राठौर, फील्ड सेल्स आॅफिसर 


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