गुरुवार, 20 जून 2013

बजाज एलाइंज दे रही 'धोखा पॉलिसी'

-अपने ही नियमों को नहीं मान रही कंपनी
-एक माह में मिलने वाला क्लेम चार साल बाद भी नहीं मिला
- बीमा लोकपाल पहुंचा मामला
 भोपाल।
देश की नामी बीमा कंपनियों में शुमार बजाज एलाइंज 'सुरक्षा कवज'

के नाम धोखा पॉलिसी बेच रही है। कंपनी ग्राहक को पॉलिसी देते वक्त तो लोक लुभावने सपने दिखा दुर्घटना और मृत्यु होने पर पूरी राशि तय समय से पहले नॉमिनी को देने की बात करती है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। पूर्ण भुगतान तो दूर मूल भी नहीं मिलता। उल्टा कंपनी नियमों को इस तरह सामने रखती है कि इस हिसाब से न व्यक्ति दुर्घटना ग्रस्त हो सकता है और न ही मृत्यु। कंपनी की धोखाधड़ी का ऐसा ही एक मामला राजधानी में भी सामने आया है। जहांगीराबाद में रहने वाली धनावता देवी पाल भी बजाज एलाइंज बीमा कंपनी की मनमानी के कारण पिछले चार साल से न्याय की उम्मीद में भटक रही है। 
  
धनावती देवी पाल के पति स्व. रामआशीष पाल (पुलिस विभाग में प्रधान आरक्षक) ने वर्ष २००८ में बीमा कंपनी से 'सुरक्षा कवचÓ नाम से पॉलिसी ली थी। बीमा करते वक्त कंपनी के प्रतिनिधि ने तीन साल तक उन्हे एक्सीडेंट कवर, गंभीर बीमारी कवर, मृत्यु, लोन कवर, नौकरी कवर आदि जोखिम बीमा के अंतर्गत कवर होने की बात कही। बीमा करवाने के बाद अक्टूबर २००९ में रामआशीष पाल को ड्यूटी के दौरान ही हार्ट अटैक आया और ईलाज के दौरान उनकी मृत्यु हो गई। पाल की मृत्यु के बाद परिवारजन द्वारा बीमा क्लेम के लिए आवेदन देने के चार साल बाद भी बीमा कंपनी अपने द्वारा किए गए वादों को निभाने में असमर्थता जता रही है। चार साल तक बीमा कंपनी के चक्कर काटने के बाद अब धनावती देवी अब बीमा लोकपाल में सुनवाई होने के बाद न्याय मिलने की उम्मीद लिए बैठी है। 
जानकारी के बाद भी मुकरी कंपनी
स्व. रामआशीष पाल ने बजाज एलाइंज कंपनी से 'सुरक्षा कवचÓ नामक पॉलिसी ली। ६ जून २००८ को इश्यू की गई इस पॉलिसी को कंपनी द्वारा २८ मई २०११ तक  वैध बताया गया। पॉलिसी के लिए चुकाई गई प्रीमियम में एक्सीडेंट कवर, गंभीर बीमारी कवर, मृत्यु कवर और लोन कवर के लिए अलग-अलग प्रीमियर राशि दर्शा कर कुल दो हजार एक सौ बीस रुपए का प्रीमियम ली गई। पॉलिसी में स्पष्ठ लिखा गया था कि उक्त किसी भी प्रकार की घटना होने पर बीमित व्यक्ति को पॉलिसी का लाभ दिया जाएगा। रामआशीष पाल की मृत्यु के बाद बीमा कंपनी खुद अपने ही नियमों और जानकारी को झुठलाकर क्लेम देने से मना कर रही है।
बीमा लोकपाल में पहुंचा मामला
बीमा कंपनी की मनमानी से परेशान धनावती देवी पाल और उनके पुत्र नितेश पाल नेे इस मामले की शिकायत वर्ष २०१० में ही बीमा लोकपाल से कर दी थी। हाल ही में बीमा लोकपाल की नियुक्ति होने के बाद अब बीमा लोकपाल द्वारा इस मामले की सुनवाई के लिए १७ जून की तारीख तय की है। लोकपाल में मामला जाने के बाद धनावती देवी और उनके परिवारजन उम्मीद  कर रहे हैं कि शायद यहां से उन्हे न्याय मिल जाए।  





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