शुक्रवार, 9 अगस्त 2013

गरीब का गेहूं 1 और पिसाई 2 रुपए किलो

-बिजली की दर बढ़ने हुई महंगाई 
भोपाल। 
प्रदेश भर में मुख्यमंत्री अन्नपूर्णा योजना के तहत गरीबों को 1 रुपए किलो में गेहूं दिया जा रहा हो, लेकिन पिसाई 2 रुपए ली जा रही है। ऐसे में गरीबों को प्रति किलो आटा 3 व 3.50 रुपए मिल रहा है। पिसाई की दरें बढ़ने के पीछे बिजली दरों का महंगा होना बताया जा रहा है। 
दूसरी ओर भोपाल की आटा चक्की वेलफेयर समिति का कहना है, मप्र शासन से हम पूर्व भी मांग कर चुके हैं कि खाद्य सामग्री से जुड़े व्यवसायियों बिजली बिल में छूट मिलनी चाहिए। ऐसा नहीं हो सका। हालांकि किसी बीपीएल कार्ड पर गेहूं लेने वाले किसी भी व्यक्ति ने गेहूं पिसवाई को लेकर विरोध नहीं जताया है। लेकिन यह प्रश्न जरूर किए जा रहे हैं, एक हाथ सरकार दे रही है तो दूसरे हाथ से ले रही है। 
राज्य शासन के निर्देश पर प्रदेश भर के कलेक्टर्स महीने की 7 से 9 तारीख के बीच   जिले में मुख्यमंत्री अन्नपूर्णा योजना के तहत राशन वितरण कराते हैं। इसे शासकीय उचित मूल्य की दुकानों के जरिए अंत्योदय और बीपीएल परिवारों को बांटा जाता है। इसके लिए बकायदा नोडल अधिकारी भी नियुक्त किए गए हैं। इस योजना के तहत 1 रुपए किलो गेहूं, 1 किलो नमक और 2 रुपए किलो चावल दिया जा रहा है। 
सोने से धड़ावन महंगी की तर्ज पर गेहूं की पिसाई 

-यह है पिसाई की दर 
सामग्री  दर प्रति किलो रुपए में  
गेहूं
गेहूं 1.50 (जलन काटकर)
मक्का, बटरा
ज्वार, बाजरा 
दलिया व बेसन 5
चना, रवा-मैदा 5
(भोपाल आटा चक्की वेलफेयर समिति अनुसार)

-नोडल आॅफिसर बटवाएंगे पर्ची पर राशन 
खाद्य विभाग ने यह भी तय किया है कि जिन गरीबों के पास नीले-पीले राशन कार्ड उपलब्ध नहीं है, उन्हें पर्ची पर राशन उपलब्ध कराया जाए। जिन गरीबों को पर्ची उपलब्ध करवाई जाएगी, जिस पर लिखा होगा- प्राथमिकता परिवार पात्रता पर्ची। इसके आधार पर कंट्रोल दुकानों से उन्हें नया राशन कार्ड बनने तक सस्ता गेहूं, चावल और नमक मिल सकेगा। कलेक्टर निशांत वरवड़े के मुताबिक, इस माह भी 7, 8 और 9 अगस्त को जिले की सभी कंट्रोल दुकानों पर मु यमंत्री अन्नपूर्णा योजना के तहत अन्न उत्सव मनेगा और नियुक्त किए गए नोडल अधिकारियों की जि मेदारी होगी कि वे तीन दिनों तक खुद दुकानों पर खड़े होकर पात्र परिवारों को अपनी देखरेख में राशन उपलब्ध करवाएं।  अगर कोई नोडल अधिकारी इस दौरान गायब रहा तो उसके खिलाफ कड़ी कारर्वाई की जाएगी। नोडल अधिकारियों पर निगाह रखने का जि मा संबंधित क्षेत्र के एसडीएम को सौंपा गया है। 

-वर्जन 
चक्कियों में थ्री फेज बिजली लगती है। सरकार चाहे तो ऐसे व्यवसायी जो सीधे तौर पर खाद्य सामग्री व्यवसाय से जुड़े हैं। ऐसे प्रतिष्ठानों को बिजली के बिल में छूट दे सकते हैं। इससे पिसाई व सामग्री निर्माण की लागत कम हो जाएगी। 
श्रीचंद लालवानी, अध्यक्ष, भोपाल आटा चक्की वेलफेयर समिति 


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें