मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय जनजातीय दिवस पर आयोजित तीन दिवसीय कार्यक्रम का समापन रविवार को जनजातीय वर्षा गीत एवं नाट्य संगीत तथा भोजपुरी गायन से हुआ। कार्यक्रम के तीसरे व समापन दिवस सांस्कृतिक संध्या में मध्यप्रदेश के कोरकू, गोण्ड और भील जनजाति के कलाकारों ने जीवन और पर परा से जुड़े गीतों की प्रस्तुति दी । जनजातीय गीतों में बुआई, निंदाई, गुड़ाई, ब बुलिया, दादरा, ददरिया, करमा, रीना, सैला आदि विविधापूर्ण गीतों की सुमधुर प्रस्तुति से श्रोताओं का मन मोह लिया। जनजातीय अधिकारों की रक्षा और उनकी पर परा के संरक्षण के प्रति विश्व समुदाय में चेतना जागृत करने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 9 अगस्त को अन्तर्राष्ट्रीय जनजातीय दिवस मनाया जाता है। इस महत्वपूर्ण और सजगता के संवाहक दिवस को समारोहित करने के उद्देश्य से जनजातीय संग्रहालय में पिछले तीन दिनों से विविध कलानुशासनों की गतिविधियाँ संयोजित की गई। जनजातीय चित्रांकन के क्षेत्र में सक्रिय वरिष्ठ चित्रकारों के चित्रों पर एकाग्र प्रदशर्नी 'सृष्टिझ्, जनजातीय बच्चों में पार परिक चित्रांकन के प्रति रूचि जागृत करने तथा उन्हें उनकी ही पर परा से अवगत कराने के उद्देश्य से संयोजित 'चिन्हारीझ् चित्रांकन कायर्शाला में लगभग 30 बच्चों ने अपनी दृष्टि से संग्रहालय को वॉटर, फेवरिक रंगों के माध्यम से चित्रांकित किया।
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