-कलेक्टर कोर्ट ने दिया फैसला, रायल्टी से 10 गुना है यह राशि -चारों गोदामों से पकड़ा था 25 हजार 264 टन कोयला
भोपाल।
जिले में अवैध तरीके से कोल डिपो संचालन करने वाले 4 संचालकों पर कलेक्टर कोर्ट ने 66 करोड़ का जुर्माना ठोका है। चारो प्रकरण वर्ष 2012 के हैं। कोर्ट ने जो जुर्माना नियत किया है वह रायल्टी राशि 3000 रुपए प्रतिटन से 10 गुना अधिक है। बीते साल चारों संचालकों के गोदामों से 25 हजार 264 टन कोयला पकड़ा गया था।
कोर्ट का जुर्माना सबसे ज्यादा महंगा अरिहंत कोल डिपो को पड़ा। इसके संचालक अनिल जैन को 29 करोड़ 91 लाख 77 हजार 500 रुपए भरने होंगे। जिला कलेक्टर की कोर्ट में कलेक्टर निशांत वरवड़े ने यह फैसला दिया। कोर्ट के आदेश पर यह राशि जिला खनिज शाखा वसूलेगी।
-नहीं था लायसेंस
जिले के इन चारों गोदामों की जिला खनिज शाखा ने 16 नवंबर 2012 को जांच की थी। जांच में क्षमता से अधिक कोयला और अवैधानिक रूप से कोल डिपो संचालन सामने आया था।
टीम ने नियति कमोडिटीज प्रायवेट लिमिटेड, भानपुर से 9000 टन, गुप्ता कोल डिपो सूखी सेवनियां से 1466 टन, अरिहंत कोल डिपो से 9972 टन और ईवायूल्य प्रायवेट लिमिटेड, चौपड़ा कलां से 4871 टन कोयला जब्त किया था। टीम ने जांच के साथ ही संचालकों को से लायसेंस मांगा था, जो वह नहीं दिखा पाए। इसके बाद आगे की कार्रवाई करते हुए मामले को कोर्ट में भेज दिया था। दूसरी ओर गोदाम के संचालकों ने कोर्ट में बताया कि उन्होंने 5 नवंबर 2012 को लायसेंस पाने के लिए आवेदन किया था, लेकिन जांच के दौरान तक लायसेंस उन्हें नहीं मिल सका था। कोर्ट इस दलील को सिरे से खारिज कर दिया। साथ ही कहा, काम शुरू करने के साथ लायसेंस लिया जाना चाहिए था।
-यह हुआ उल्लंघन
राज्य शासन ने 6 अप्रैल, 2012 को मप्र खनिज (अवैध खनन, परिवहन तथा भंडारण का निवारण) नियम 2006 में संशोधन किया है। इसका प्रकाशन राजपत्र में भी किया गया। इस संशोधन के तहत मप्र खनिज नियम 2006 के नियम 3 के उपनियम (चार) सहपठित (छह) में स्थापित करते हुए स्वयं के उद्योग में मेंगनीज/कोयला खनिज के उपयोग के लिए खजिन व्यापारी को अनुज्ञप्ति (लायसेंस) लेना आवश्यक कर दिया। जांच के दौरान किसी भी संचालक के पास कोयले के भंडारण का लायसेंस नहीं था।
-10 माह तक चला कारोबार
कोर्ट के आदेश में कहा गया है, जांच न होती तो प्रकरण सामने नहीं आता। 10 माह तक अवैधानिक रूप से कोल डिपो का संचालन होता रहा। कोर्ट ने कहा, संचालकों ने 5/11/2012 को लायसेंस के लिए आवेदन किया, जबकि लायसेंस लेने संबंधी आदेश 6 अप्रैल 2012 को ही जारी हो चुका था। इसके बाद खनिज विभाग ने लायसेंस जनवरी 2013 में ही जारी किए। ऐसे में चारों गोदाम संचालकों ने 6 अप्रैल 2012 से लायसेंस अवधि तक यानी कुल 10 माह तक अवैध कारोबार किया। यह नियमों का सरासर उल्लंघन है। यह मप्र खनिज नियम 2006 के नियत 3(2) का निरंतर उल्लंघन है। कोर्ट ने रायल्टी का 3000 रुपए प्रतिटन का 10 गुना अर्थदण्ड आरोपित किया है।
-किस पर कितना दण्ड
गोदाम/डिपो का नाम संचालक जब्त कोयला दण्ड राशि
नियति कमोडिटीज प्रायवेट लिमिटेड,भानपुर राजेश जैन 9000 टन 27 करोड़
गुप्ता कोल डिपो सूखी सेवनियां वीरेंद्र कुमार अजमेरा 1466 टन 4 करोड़ 39 लाख 80 हजार
अरिहंत कोल डिपो अनिल जैन 9972 टन 29 करोड़ 91 लाख 77 हजार 550
ईवायूल्य प्रायवेट लिमिटेड, चौपड़ाकलां आलोक जैन, मनीष जैन 4871 टन 14 करोड़ 61 लाख 33 हजार
भोपाल।
जिले में अवैध तरीके से कोल डिपो संचालन करने वाले 4 संचालकों पर कलेक्टर कोर्ट ने 66 करोड़ का जुर्माना ठोका है। चारो प्रकरण वर्ष 2012 के हैं। कोर्ट ने जो जुर्माना नियत किया है वह रायल्टी राशि 3000 रुपए प्रतिटन से 10 गुना अधिक है। बीते साल चारों संचालकों के गोदामों से 25 हजार 264 टन कोयला पकड़ा गया था।
कोर्ट का जुर्माना सबसे ज्यादा महंगा अरिहंत कोल डिपो को पड़ा। इसके संचालक अनिल जैन को 29 करोड़ 91 लाख 77 हजार 500 रुपए भरने होंगे। जिला कलेक्टर की कोर्ट में कलेक्टर निशांत वरवड़े ने यह फैसला दिया। कोर्ट के आदेश पर यह राशि जिला खनिज शाखा वसूलेगी।
-नहीं था लायसेंस
जिले के इन चारों गोदामों की जिला खनिज शाखा ने 16 नवंबर 2012 को जांच की थी। जांच में क्षमता से अधिक कोयला और अवैधानिक रूप से कोल डिपो संचालन सामने आया था।
टीम ने नियति कमोडिटीज प्रायवेट लिमिटेड, भानपुर से 9000 टन, गुप्ता कोल डिपो सूखी सेवनियां से 1466 टन, अरिहंत कोल डिपो से 9972 टन और ईवायूल्य प्रायवेट लिमिटेड, चौपड़ा कलां से 4871 टन कोयला जब्त किया था। टीम ने जांच के साथ ही संचालकों को से लायसेंस मांगा था, जो वह नहीं दिखा पाए। इसके बाद आगे की कार्रवाई करते हुए मामले को कोर्ट में भेज दिया था। दूसरी ओर गोदाम के संचालकों ने कोर्ट में बताया कि उन्होंने 5 नवंबर 2012 को लायसेंस पाने के लिए आवेदन किया था, लेकिन जांच के दौरान तक लायसेंस उन्हें नहीं मिल सका था। कोर्ट इस दलील को सिरे से खारिज कर दिया। साथ ही कहा, काम शुरू करने के साथ लायसेंस लिया जाना चाहिए था।
-यह हुआ उल्लंघन
राज्य शासन ने 6 अप्रैल, 2012 को मप्र खनिज (अवैध खनन, परिवहन तथा भंडारण का निवारण) नियम 2006 में संशोधन किया है। इसका प्रकाशन राजपत्र में भी किया गया। इस संशोधन के तहत मप्र खनिज नियम 2006 के नियम 3 के उपनियम (चार) सहपठित (छह) में स्थापित करते हुए स्वयं के उद्योग में मेंगनीज/कोयला खनिज के उपयोग के लिए खजिन व्यापारी को अनुज्ञप्ति (लायसेंस) लेना आवश्यक कर दिया। जांच के दौरान किसी भी संचालक के पास कोयले के भंडारण का लायसेंस नहीं था।
-10 माह तक चला कारोबार
कोर्ट के आदेश में कहा गया है, जांच न होती तो प्रकरण सामने नहीं आता। 10 माह तक अवैधानिक रूप से कोल डिपो का संचालन होता रहा। कोर्ट ने कहा, संचालकों ने 5/11/2012 को लायसेंस के लिए आवेदन किया, जबकि लायसेंस लेने संबंधी आदेश 6 अप्रैल 2012 को ही जारी हो चुका था। इसके बाद खनिज विभाग ने लायसेंस जनवरी 2013 में ही जारी किए। ऐसे में चारों गोदाम संचालकों ने 6 अप्रैल 2012 से लायसेंस अवधि तक यानी कुल 10 माह तक अवैध कारोबार किया। यह नियमों का सरासर उल्लंघन है। यह मप्र खनिज नियम 2006 के नियत 3(2) का निरंतर उल्लंघन है। कोर्ट ने रायल्टी का 3000 रुपए प्रतिटन का 10 गुना अर्थदण्ड आरोपित किया है।
-किस पर कितना दण्ड
गोदाम/डिपो का नाम संचालक जब्त कोयला दण्ड राशि
नियति कमोडिटीज प्रायवेट लिमिटेड,भानपुर राजेश जैन 9000 टन 27 करोड़
गुप्ता कोल डिपो सूखी सेवनियां वीरेंद्र कुमार अजमेरा 1466 टन 4 करोड़ 39 लाख 80 हजार
अरिहंत कोल डिपो अनिल जैन 9972 टन 29 करोड़ 91 लाख 77 हजार 550
ईवायूल्य प्रायवेट लिमिटेड, चौपड़ाकलां आलोक जैन, मनीष जैन 4871 टन 14 करोड़ 61 लाख 33 हजार
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