-कलेक्टर सभाकक्ष में हुई कार्यशाला
भोपाल।
मातृ मृत्यु के लिए जिम्मेदार कारणों को समझना बेहद जरूरी है। पहले इनको समझे फिर उनको दूर करने की पहल होना चाहिए। यह बात कलेक्टर निशांत वरवड़े ने शनिवार को कलेक्टर सभागार में मातृ मृत्यु समीक्षा के संबंध में हुई एक दिवसीय कार्यशाला में कही।
कलेक्टर ने कहा, कार्यशाला में जो चिकित्सक भाग ले रहे हैं वह अपने अनुभव आपस में सांझा करें। इससे एक दूसरे को लाभ होगा। उन्होंने शासकीय चिकित्सालयों चिकित्सकों के साथ-साथ निजी अस्पताल और निजी मेडीकल कालेजों के चिकित्सकों को भी कायर्शाला में भागीदार बनाने को जरूरी बताया।
कार्यशाला में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. पकंज शुक्ला, सिविल सर्जन डॉ. वीणा सिन्हा और नोडल आॅफिसर डॉ. उपेन्द्र दुबे सहित जिले के विभिन्न चिकित्सालयों के चिकित्सक मौजूद थे।
कार्यशाला में डॉ. शुक्ला, डॉ. सिन्हा सहित अन्य चिकित्सकों ने आरसीएच कार्यक्रम के अंतर्गत मेटरनल डेथ रिव्यू मातृ मृत्यु समीक्षा के तहत जिले में किए गए कार्यों की जानकारी दी। इस दौरान ऐसे उपाय और गतिविधियां भी बताई, जिससे मातृ मृत्यु की दर में कमी लाई जा सकती है। इस पर उपस्थिति चिकित्सकों ने सहमति बना इस दिशा में आगे काम करने वरिष्ठ अधिकारियों से चर्चा करने को कहा।
भोपाल।
मातृ मृत्यु के लिए जिम्मेदार कारणों को समझना बेहद जरूरी है। पहले इनको समझे फिर उनको दूर करने की पहल होना चाहिए। यह बात कलेक्टर निशांत वरवड़े ने शनिवार को कलेक्टर सभागार में मातृ मृत्यु समीक्षा के संबंध में हुई एक दिवसीय कार्यशाला में कही।
कलेक्टर ने कहा, कार्यशाला में जो चिकित्सक भाग ले रहे हैं वह अपने अनुभव आपस में सांझा करें। इससे एक दूसरे को लाभ होगा। उन्होंने शासकीय चिकित्सालयों चिकित्सकों के साथ-साथ निजी अस्पताल और निजी मेडीकल कालेजों के चिकित्सकों को भी कायर्शाला में भागीदार बनाने को जरूरी बताया।
कार्यशाला में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. पकंज शुक्ला, सिविल सर्जन डॉ. वीणा सिन्हा और नोडल आॅफिसर डॉ. उपेन्द्र दुबे सहित जिले के विभिन्न चिकित्सालयों के चिकित्सक मौजूद थे।
कार्यशाला में डॉ. शुक्ला, डॉ. सिन्हा सहित अन्य चिकित्सकों ने आरसीएच कार्यक्रम के अंतर्गत मेटरनल डेथ रिव्यू मातृ मृत्यु समीक्षा के तहत जिले में किए गए कार्यों की जानकारी दी। इस दौरान ऐसे उपाय और गतिविधियां भी बताई, जिससे मातृ मृत्यु की दर में कमी लाई जा सकती है। इस पर उपस्थिति चिकित्सकों ने सहमति बना इस दिशा में आगे काम करने वरिष्ठ अधिकारियों से चर्चा करने को कहा।
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