मु यमंत्री शिवराजसिंह चौहान द्वारा झाबुआ में भूरिया पर आदिवासियों का भरोसा नहीं होने और आदिवासियों एवं कांग्रेस के रिश्ते के बारे में जो बेतुकी बातें कहीं हैं, उनको लेकर पलटवार करते हुए प्रदेश कांग्रेस के मीडिया प्रभारी मुकेश नायक ने कहा है कि शिवराजसिंह जब शाही रथ पर सवार होकर बोलते हैं, तो उनके कायर्काल की विफलताएं अचानक उनको घेर लेती हैं। तब उन्हें इस हकीकत का अहसास भी हो जाता है कि जिन आदिवासियों ने 2008 के विधान सभा चुनाव में उनकी नौटंकीबाजी पर विश्वास कर अपने वोट दे दिये थे, उनका भरोसा पिछले 4-5 वर्ष में उन पर से उठ गया है और वे खुद को शिवराज के हाथों ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। भूरियाजी को तो आदिवासियों और कांग्रेस ने ही नेतृत्व की इस ऊंचाई तक पहुंचाया है। शिवराज की पार्टी में तो ले-देकर दो ही आदिवासी नेता हैं-दिलीपसिंह भूरिया और फग्गनसिंह कुलस्ते। इन बेचारों की इतनी दुर्गत है कि पार्टी में उनकी उपस्थिति केवल बयानों के जरिये ही साल-छह महीने में जाहिर हो पाती है।
नायक ने कहा है कि आदिवासी उपयोजना के सालाना बजट का बड़ा हिस्सा भाजपा सरकार द्वारा लैप्स किया जा रहा है। जितने आदिवासियों ने वनभूमि के पट्टों के लिए आवेदन दिये थे, उनमें से आधे को भी अब तक पट्टे नहीं मिले है। आदिवासी बच्चे छात्रावास और आश्रम स्कूलों में भारी अव्यवस्थाओं के बीच कैदी जैसी बदतर जिंदगी गुजार रहे हैं। आरक्षित पदों पर हजारों अपात्र लोग वर्षों से जमे हुए हैं, किंतु शिवराज की सरकार उनको नहीं हटा रही है।
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