- मामला एमपी नगर पार्किंग की शिकायत का
एमपी नगर की पार्किंग के ठेके को लेकर ईओडब्ल्यू में चल रही जांच में नया मोड़
आ गया है। निगम अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार पार्किंग संबंधित जो
अनुबंध पत्र ईओडब्ल्यू को सौंपा गया है वह फर्जी है। निगम अधिकारियों का कहना
है कि जो अनुबंध पत्र ईओडब्ल्यू में प्रस्तुत किया गया है, उक्त दिनांक को कोई
भी अनुबंध पत्र नगर निगम के रिकार्ड में दर्ज ही नहीं है। इस संबंध में वार्ड
अधिकारी, जोनल अधिकारी अनिल शर्मा के साथ मिलकर पूरा मामला अपर आयुक्त जीपी
माली के सामने रखने की तैयारी कर रहे हैं। इसके बाद नगर निगम ईओडब्ल्यू में
मामला दर्ज कराने वाले मनोज त्रिपाठी के खिलाफ झूठे दस्तावेज जमा करने शिकायत
करने के आरोप में एफआईआर दर्ज कराएगा।
कमिश्नर को भेजी थी जानकारी
जानकारी के मुताबिक चंद्रशेखर नामक व्यक्ति ने निगम कमिश्नर विशेष गढ़पाले को
निगम की पार्किंग में हो रहे फर्जीवाडेÞ की जानकारी डाक से भेजी थी। इस शिकायत
में एक अनुबंध पत्र भी शामिल था। शिकायत में पार्किंग ठेकेदार राजेंद्र सिंह
के अकाउंट में पार्किंग के पैसे जमा होने की जानकारी से संबंधित बैंक
ट्रांजिक्शन की कॉपी भी थी।
ऐसे पकड़ाया झूठ
कमिश्नर कार्यालय से शिकायत संबंधी कागजात जीपी माली को मार्क किए गए। फिर
राजस्व उपायुक्त प्रदीप वर्मा कौ और बाद में अनिल शर्मा से होते हुए वार्ड
अधिकारी जीपी वर्मा तक यह कागजात पहुंचे। इस संबंध में जीपी वर्मा ने जब
रिकार्ड से मिलान किया तो पाया कि अनुबंध पत्र तो फर्जी है। इसकी जानकारी
उन्होंने निगम के आला अधिकारियों को दी। अब पूरे मामले में निगम शिकायतकर्ता
के खिलाफ मामला दर्ज कराने की तैयारी कर रहा है।
यह है हैराफेरी
जानकारी के मुताबिक जिस अनुबंध पत्र के आधार पर शिकायत दर्ज की गई है उसमें
जोनल अधिकारी अनिल शर्मा और ठेकेदार राजेंद्र के बारे में पूरी जानकारी और
ब्यौरा शामिल है, लेकिन अंत में जो दस्तखत और टीप है वो दूसरे अनुबंध पत्र से
उठाई गई है। हैरत की बात यह है कि पूरे मामले में अनिल शर्मा को घेरा गया है,
जबकि अंत में जोनल अधिकारी के दस्तखत के रुप में डीके जैन के हस्ताक्षर है, जो
इसकी विश्वसनियता को खत्म करते है। आपको बता दें इस साल की शुरुआत में डीके
जैन रिटायर्ड हो गए है। इसके अलावा दस्तावेज के साथ जिस अकाउंट की जानकारी दी
गई है वो राजेंद्र सिंह का है। गौरतलब है कि राजेंद्र सिंह भाजपा के नेता है
और उन्होंनें गोपाल शर्मा की और से पिछले साल पार्किंग का ठेका लिया था जो कि
जून में ही खत्म हो गया है। वर्तमान में नए ठेके के अनुसार दूसरा ठेकेदार
वसूली कर रहा है।
जल्द तय होगी कारर्वाई
हमे जैसे ही निगमायुक्त की तरफ से निर्देश मिलेंगे, वैसे ही हम आगे की
कार्रवाई करेंगे। फिलहाल जोन अधिकारी को जांच कर प्रतिवेदन सौंपने को कहा गया
है।
प्रदीप वर्मा, राजस्व उपायुक्त
एमपी नगर की पार्किंग के ठेके को लेकर ईओडब्ल्यू में चल रही जांच में नया मोड़
आ गया है। निगम अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार पार्किंग संबंधित जो
अनुबंध पत्र ईओडब्ल्यू को सौंपा गया है वह फर्जी है। निगम अधिकारियों का कहना
है कि जो अनुबंध पत्र ईओडब्ल्यू में प्रस्तुत किया गया है, उक्त दिनांक को कोई
भी अनुबंध पत्र नगर निगम के रिकार्ड में दर्ज ही नहीं है। इस संबंध में वार्ड
अधिकारी, जोनल अधिकारी अनिल शर्मा के साथ मिलकर पूरा मामला अपर आयुक्त जीपी
माली के सामने रखने की तैयारी कर रहे हैं। इसके बाद नगर निगम ईओडब्ल्यू में
मामला दर्ज कराने वाले मनोज त्रिपाठी के खिलाफ झूठे दस्तावेज जमा करने शिकायत
करने के आरोप में एफआईआर दर्ज कराएगा।
कमिश्नर को भेजी थी जानकारी
जानकारी के मुताबिक चंद्रशेखर नामक व्यक्ति ने निगम कमिश्नर विशेष गढ़पाले को
निगम की पार्किंग में हो रहे फर्जीवाडेÞ की जानकारी डाक से भेजी थी। इस शिकायत
में एक अनुबंध पत्र भी शामिल था। शिकायत में पार्किंग ठेकेदार राजेंद्र सिंह
के अकाउंट में पार्किंग के पैसे जमा होने की जानकारी से संबंधित बैंक
ट्रांजिक्शन की कॉपी भी थी।
ऐसे पकड़ाया झूठ
कमिश्नर कार्यालय से शिकायत संबंधी कागजात जीपी माली को मार्क किए गए। फिर
राजस्व उपायुक्त प्रदीप वर्मा कौ और बाद में अनिल शर्मा से होते हुए वार्ड
अधिकारी जीपी वर्मा तक यह कागजात पहुंचे। इस संबंध में जीपी वर्मा ने जब
रिकार्ड से मिलान किया तो पाया कि अनुबंध पत्र तो फर्जी है। इसकी जानकारी
उन्होंने निगम के आला अधिकारियों को दी। अब पूरे मामले में निगम शिकायतकर्ता
के खिलाफ मामला दर्ज कराने की तैयारी कर रहा है।
यह है हैराफेरी
जानकारी के मुताबिक जिस अनुबंध पत्र के आधार पर शिकायत दर्ज की गई है उसमें
जोनल अधिकारी अनिल शर्मा और ठेकेदार राजेंद्र के बारे में पूरी जानकारी और
ब्यौरा शामिल है, लेकिन अंत में जो दस्तखत और टीप है वो दूसरे अनुबंध पत्र से
उठाई गई है। हैरत की बात यह है कि पूरे मामले में अनिल शर्मा को घेरा गया है,
जबकि अंत में जोनल अधिकारी के दस्तखत के रुप में डीके जैन के हस्ताक्षर है, जो
इसकी विश्वसनियता को खत्म करते है। आपको बता दें इस साल की शुरुआत में डीके
जैन रिटायर्ड हो गए है। इसके अलावा दस्तावेज के साथ जिस अकाउंट की जानकारी दी
गई है वो राजेंद्र सिंह का है। गौरतलब है कि राजेंद्र सिंह भाजपा के नेता है
और उन्होंनें गोपाल शर्मा की और से पिछले साल पार्किंग का ठेका लिया था जो कि
जून में ही खत्म हो गया है। वर्तमान में नए ठेके के अनुसार दूसरा ठेकेदार
वसूली कर रहा है।
जल्द तय होगी कारर्वाई
हमे जैसे ही निगमायुक्त की तरफ से निर्देश मिलेंगे, वैसे ही हम आगे की
कार्रवाई करेंगे। फिलहाल जोन अधिकारी को जांच कर प्रतिवेदन सौंपने को कहा गया
है।
प्रदीप वर्मा, राजस्व उपायुक्त
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