सोमवार, 7 अक्टूबर 2013

जमीन का नामांतरण व मकान बनाने की एनओसी दें अफसर

  - मर्जर प्रभावित जनता ने बैठक में लिया निर्णय
  - पत्र लिखकर कलेक्टर को कराएंगे अवगत
  - सीबीआई-लोकायुक्त को करेंगे भ्रष्टाचार की शिकायत
भोपाल।
मप्र शासन ने 57(2) के तहत भेजे गए मर्जर प्रकरण को निरस्त कर दिया है। इसके बाद मर्जर एग्रीमेंट का अब कोई प्रभाव नहीं है। इससे संबंधित वतर्मान में कोई भी प्रकरण लंबित नहीं है। सभी की स पत्तियां पूर्व की भांति रिकार्ड में दर्ज हैं। इसको ध्यान में रखते हुए अफसर, अब खसरों में दर्ज निजी जमीनों का नामांतरण व मकान निर्माण की अनुमति बिना किसी बाधा के दी जाए। यही नहीं जमीनों का डायवर्सन भी हो। यह निवेदन सभी प्रभावित पक्षकार पत्र लिखकर जिला कलेक्टर से करेंगे। यह निर्णय रविवार को घर बचाओ संघर्ष समिति की बैरागढ़ स्थित शिखर गार्डन में आयोजित बैठक में लिया गया। बैठक में तय किया गया कि यदि जिला प्रशासन समिति की मांग को नहीं मानता है तो यह सिद्ध होगा कि अफसरशाही और भू-माफिया का गंठबंधन हावी है। यही नहीं भ्रष्टाचार भी अपनी जड़े जमाए बैठा है। इन सबको बनकाब करने  व सरकारी तंत्र के जि मेदार अफसरों दंडित कराने के लिए लोकायुक्त और आर्थिक अपराध अनुसंधान ब्यूरो ईओडब्ल्यू सहित सीबीआई व अन्य ऐजेंसियों को मर्जर प्रभावित क्षेत्र का हर रहवासी शिकायत दर्ज कराकर न्याय मांगेगा।
 शिखर भवन में हुई इस बैठक में मर्जर प्रभावित सैकड़ों रहवासियों ने शिरकत की। समिति के विधिक सलाहकार जगदीश छावानी ने बताया कि बैठक में निर्णय लिया है कि हर प्रभावित नागरिक एक पत्र जिला कलेक्टर को देकर आग्रह करेगा कि मर्जर के संबंध में अब कोई भी केस नहीं है, इसलिए राजस्व संबंधी कायर्वाहियों पर प्रभावित क्षेत्रों में लगी अधोषित रोक स्वत: ही समाप्त हो चुकी है। अत: भूमियों के राजस्व रिकार्ड में नामांतरण हस्तांतरण एनओसी देने में किसी तरह की बाधा या मर्जर का बहाना बनाकर मामलों को अटकाना स्थापित विधि की अवमानना माना जावेगा। इसके बाद भी प्रभावितों की मांग नहीं मानी गई तो लोकायुक्त, ईओडब्ल्यू और सीबीआई को भ्रष्टाचार होने की शिकायत करेंगे। इसके अतिरिक्त कानून की मार्यादा को बनाए रखने वाली संस्थाएं सुप्रीम कोर्ट व उच्च न्यायालय के मु य न्यायाधिशों को भी पत्र लिखकर हस्तक्षेप करने की सहायता मांगेंगे।
 तीन दिनों के भीतर प्रारंभ होगा अभियान -
श्री छावानी ने बताया कि प्रभावितों की ओर से पत्र लिखने का अभियान अगले तीन दिनों में प्रारंभ हो जावेगा। पत्र में सभी रिकार्ड और न्यायिक निणर्यों का हवाला भी होगा। इस कार्य के लिए समिति की ओर से घर-घर संपर्क करके लोगों को अपनी ओर से पत्र जारी करने के लिए जागृत किया जावेगा। पत्र में एक आग्रह नगर भूमि सीमा अधिनियम के संदर्भ में भी होगा, कि मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के 24 जून 2013 के फैसले के मद्दे नजर भूमि संबंधी राजस्व रिकार्ड में किसी भी तरह की छेड़छाड़ या उसमें रद्दोबदल न की जावे। अधिवक्ता छावानी ने बताया कि 20 अक्टूबर को समिति की अगली बैठक होगी, जिसमें सामूहिक रुप से सभी प्रभावित जिला कलेक्टर को भेजे जाने वाले पत्र समिति को देंगे, जिन्हें जिला कलेक्टर को सौपने के लिए समिति के पदाधिकारी सहयोग करेंगे।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें