रविवार, 6 अक्टूबर 2013

मर्जर का अब कोई केस नहीं, नामांतरण, एनओसी, डायर्वसन के आदेश करें अफसर,

पत्र लिखेंगे कलेक्टर को और सीबीआई लोकायुक्त को करेंगे भ्रष्टाचार की शिकायत
भोपाल ः मर्जर एग्रीमेंट का अब कोई प्रभाव नहीं है। इससे संबंधित वर्तमान में कोई भी प्रकरण लंबित नहीं है। सभी की सम्पत्तियां पूर्व की भांति रिकार्ड में दर्ज हैं। इसलिए अब नामांतरण बिना किसी बाधा के किए जावें। डायर्वसन और भवन निर्माण के लिए एनओसी जारी की जावंे। राजस्व संबंधी कार्यो पर भी मर्जर के कारण कोई रोक नहीं है। राज्य शासन नेे मर्जर संबंधी प्रकरणों को समाप्त कर दिया है। यह निवेदन सभी प्रभावित पक्षकार पत्र लिखकर जिला कलेक्टर से करेंगे। यदि इसके बाद भी जिला प्रशासन सहयोग नहीं करता है तो यह सिद्ध होगा कि अफसरशाही और भू-माफिया का गंठबंधन हावी है और भ्रष्टाचार के कारण वे स्थापित विधि का पालन नहीं होने देना चाहते हंै। तब इस भ्रष्टाचार को बेनकाब करने और सरकारी तंत्र के जिम्मेदार लोगों को दंडित कराने के लिए लोकायुक्त और आर्थिक अपराध अनुसंधान ब्यूरो सहित सीबीआई व अन्य ऐजेंसियों को मर्जर प्रभावित क्षेत्र का हर रहवासी शिकायत दर्ज कराकर न्याय मांगेगा।
यह निर्णय मर्जर प्रभावित सैकड़ों रहवासियों ने एक मत से घर बचाओ संघर्ष समिति की बैरागढ़ स्थित शिखर गार्डन में सम्पन्न बैठक में लिया है। उपरोक्त जानकारी समिति के विधिक सलाहकार जगदीश छावानी ने देते हुए बताया कि प्रभावितों की ओर से पत्र लिखने का अभियान अगले तीन दिनों में प्रारंभ हो जावेगा। पत्र में सभी रिकार्ड और न्यायिक निर्णयों का हवाला भी होगा। इस कार्य हेतु समिति की ओर से घर-घर संपर्क करके लोगों को अपनी ओर से पत्र जारी करने के लिए जागृत किया जावेगा। पत्र में एक आग्रह नगर भूमि सीमा अधिनियम के संदर्भ में भी होगा कि मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के 24 जून 2013 के फैंसले के मद्दे नजर भूमि संबंधी राजस्व रिकार्ड में किसी भी तरह की छेड़छाड़ या उसमें रद्दोबदल न की जावे। क्योंकि उच्च न्यायालय ने शासन और जिला कलेक्टर की अपील को खारिज करते हुए निर्णय दिया है कि नगर भूमि सीमा अधिनियम के तहत मेंटेन किया गया समस्त रिकार्ड अब अधिनियम समाप्त होने के बाद बदला नहीं जा सकता है। इस फैंसले में विशेष रुप से कहा गया है कि कलेक्टर को स्वप्रेरणा से निगरानी में लेकर राजस्व रिकार्ड में दर्ज निजी स्वामित्व की जमीन को सरकारी दर्ज करने का कोई अधिकार नहीं है। 
अधिवक्ता छावानी ने बताया कि दिनांक 20 अक्टूबर को समिति की अगली बैठक होगी जिसमें सामूहिक रुप से सभी प्रभावित जिला कलेक्टर को भेजे जाने वाले पत्र समिति को देंगे जिन्हें जिला कलेक्टर को सौपने के लिए समिति के पदाधिकारी सहयोग करेंगे।
 बैठक में निर्णय लिया है कि हर प्रभावित नागरिक एक पत्र जिला कलेक्टर को देकर आग्रह करेगा कि मर्जर के संबंध में अब कोई भी केस नहीं है इसलिए राजस्व संबंधी कार्यवाहियों पर प्रभावित क्षेत्रों में लगी अधोषित रोक स्वतः ही समाप्त हो चुकी है। अतः भूमियों के राजस्व रिकार्ड में नामांतरण, हस्तांतरण, एनओसी देने में किसी तरह की बाधा या मर्जर का बहाना बनाकर मामलों को अटकाना स्थापित विधि की अवमानना माना जावेगा। यदि जिला प्रशासन ने भ्रष्ट तंत्र को महत्व दिया तो हर प्रभावित पक्षकार लोकायुक्त, ईओडब्ल्यू और सीबीआई को भ्रष्टाचार होने की शिकायत करेंगे। वहीं कानून की मार्यादा को बनाए रखने वाली संस्थाएं सुप्रीम कोर्ट व उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधिशों को भी पत्र लिखकर हस्तक्षेप करने की सहायता मांगेंगे। बैठक को समिति के संयोजक भगवानदास सबनानी, अधिवक्ता जगदीश छावानी, योगेन्द्र गुप्ता, हिमांशु राय और समाज सेवी त्रिलोक दीपानी ने संबोधित किया। 

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