-चुनाव समिति के प्रस्ताव के बाद भी कट सकते हैं नाम
राजनीतिक संवाददाता, भोपाल
प्रदेश कांग्रेस तथा एआईसीसी द्वारा कराए गए सर्वे रिपोर्ट ने कुछ वतर्मान कांग्रेस विधायकों की परेशानी बढ़ा दी है। जानकारों की माने तो प्रदेश चुनाव समिति लारा भले ही इन विधायकों के नामों का प्रस्ताव स्क्रीनिंग कमेटी को भेज दिए गए हो लेकिन स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक के बाद इन विधायकों के नामों पर कैची चलना तय माना जा रहा है।
पार्टी के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार विभिन्न स्तर पर कराए गए सर्वे की रिपोर्ट को आधार मानकर पार्टी इस तरह का निर्णय लेगी। सूत्र बताते हैं कि पार्टी ने इन विधायकों की टिकट काटने की स्थिति में इनके विकल्प भी तलाश लिए हैं। जानकारी के अनुसार इस सूची में पहला नाम माहिदपुर से तेज तर्रार विधायक कल्पना पारुलेकर का है। इनके स्थान पर दिनेश जैन को उतारा जा सकता है। वहीं शाहपुर विधानसभा सीट से गंगाबाई उरैती की जगह कृष्णा उरैती, भैंसदेही विधानसभा से धरमू सिंह की जगह पूर्व विधायक सतीश चौहान या राहुल चौहान को टिकट दिया जा सकता है। बिछिया विधानसभा से नारायण सिंह पट्टा की जगह रत्नेश मरावी व सावित्री धकेतु को अजमाया जा सकता है। मनासा सीट से विजेन्द्र सिंह मालहेड़ा की जगह पूर्व मंत्री नरेन्द्र नाहटा तथा रतलाम ग्रामीण लक्ष्मी देवी की जगह थावर भूरिया व कोमल धुर्वे को चुनावी समर में उतारा जा सकता है। जानकार सूत्रों की माने तो इस बार राहुल गांधी फार्मूले के कारण टिकट वितरण में मनमानी नहीं चल पायेगी। मिशन-2013 को सफल बनाने में जुटी कांग्रेस इस बार के चुनाव में सिर्फ जिताऊ प्रत्याशी ही मैदान में उतारेगी।
-नेता पुत्रों की नजर भी कुछ सीटों पर
कांग्रेस के कुछ कद्दावर नेताओं के पुत्रों की नजर भी वतर्मान विधायकों की सीटों पर लगी हुई है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया के पुत्र डॉ. विक्रांत भूरिया भी नांदला से अपनी किस्मत आजमाना चाहते हैं। केंद्रीय शहरी विकास मंत्री कमलनाथ के सुपुत्र नकुलनाथ भी छिंदवाड़ा जिले के चौरई विधानसभा सीट से चुनावी समर में उतरकार जनता के नाथ बनने की आकांक्षा पाल रखी है। वहीं कांग्रेस महासचिव व पूर्व मु यमंत्री दिग्विजय सिंह के पुत्र जयवर्द्धन सिंह राघौगढ़ सीट से चुनाव लड़कर अपने पिता की विरासत को स हालना चाहते हैं। इन नेता पुत्रों में कोैन कहां तक सफल होता है यह तो आने वाला समय तय करेगा, लेकिन इनके दावेदारी ने इन सीटों के वतर्मान कांग्रेस विधायकों की धड़कने तो बढ़ दी है।
राजनीतिक संवाददाता, भोपाल
प्रदेश कांग्रेस तथा एआईसीसी द्वारा कराए गए सर्वे रिपोर्ट ने कुछ वतर्मान कांग्रेस विधायकों की परेशानी बढ़ा दी है। जानकारों की माने तो प्रदेश चुनाव समिति लारा भले ही इन विधायकों के नामों का प्रस्ताव स्क्रीनिंग कमेटी को भेज दिए गए हो लेकिन स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक के बाद इन विधायकों के नामों पर कैची चलना तय माना जा रहा है।
पार्टी के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार विभिन्न स्तर पर कराए गए सर्वे की रिपोर्ट को आधार मानकर पार्टी इस तरह का निर्णय लेगी। सूत्र बताते हैं कि पार्टी ने इन विधायकों की टिकट काटने की स्थिति में इनके विकल्प भी तलाश लिए हैं। जानकारी के अनुसार इस सूची में पहला नाम माहिदपुर से तेज तर्रार विधायक कल्पना पारुलेकर का है। इनके स्थान पर दिनेश जैन को उतारा जा सकता है। वहीं शाहपुर विधानसभा सीट से गंगाबाई उरैती की जगह कृष्णा उरैती, भैंसदेही विधानसभा से धरमू सिंह की जगह पूर्व विधायक सतीश चौहान या राहुल चौहान को टिकट दिया जा सकता है। बिछिया विधानसभा से नारायण सिंह पट्टा की जगह रत्नेश मरावी व सावित्री धकेतु को अजमाया जा सकता है। मनासा सीट से विजेन्द्र सिंह मालहेड़ा की जगह पूर्व मंत्री नरेन्द्र नाहटा तथा रतलाम ग्रामीण लक्ष्मी देवी की जगह थावर भूरिया व कोमल धुर्वे को चुनावी समर में उतारा जा सकता है। जानकार सूत्रों की माने तो इस बार राहुल गांधी फार्मूले के कारण टिकट वितरण में मनमानी नहीं चल पायेगी। मिशन-2013 को सफल बनाने में जुटी कांग्रेस इस बार के चुनाव में सिर्फ जिताऊ प्रत्याशी ही मैदान में उतारेगी।
-नेता पुत्रों की नजर भी कुछ सीटों पर
कांग्रेस के कुछ कद्दावर नेताओं के पुत्रों की नजर भी वतर्मान विधायकों की सीटों पर लगी हुई है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया के पुत्र डॉ. विक्रांत भूरिया भी नांदला से अपनी किस्मत आजमाना चाहते हैं। केंद्रीय शहरी विकास मंत्री कमलनाथ के सुपुत्र नकुलनाथ भी छिंदवाड़ा जिले के चौरई विधानसभा सीट से चुनावी समर में उतरकार जनता के नाथ बनने की आकांक्षा पाल रखी है। वहीं कांग्रेस महासचिव व पूर्व मु यमंत्री दिग्विजय सिंह के पुत्र जयवर्द्धन सिंह राघौगढ़ सीट से चुनाव लड़कर अपने पिता की विरासत को स हालना चाहते हैं। इन नेता पुत्रों में कोैन कहां तक सफल होता है यह तो आने वाला समय तय करेगा, लेकिन इनके दावेदारी ने इन सीटों के वतर्मान कांग्रेस विधायकों की धड़कने तो बढ़ दी है।
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