शनिवार, 1 जून 2013

फर्जी स्टॉम्प रोकने लगेंगे ई-स्टॉम्प

-देश की दो बड़ी कंपनियां तैयार कर रहीं साफ्टवेयर, सफल रहे तो ऑनलाइन होगी रजिस्ट्री 
भोपाल। 
सब ठीक रहा तो आने वाले डेढ़ साल में रजिस्ट्रियों पर ई-स्टॉम्प लगेंगे। इतना ही नहीं रजिस्ट्रियां भी ऑनलाइन होगी। स्टॉम्प के ऐसे सॉफ्टवेयर को आकार देने में देश की दो बड़ी कंपनियां लगी हुई हैं। 
एनआईआईटी और विप्रो यह काम कर रही हैं। प्रथम चरण में पंजीयन और मुद्रांक विभाग ने जरूरी हॉर्डवेयर तैयार करने का ठेका एनआईआईटी को दे दिया है। यह तीसरी कंपनी है, जिसे प्रदेश सरकार ने इसी काम के लिए ठेका दिया है। सरकार पूर्व में एक कंपनी की इसी मामले में गारंटी मनी जब्त करने की तैयारी भी कर चुकी है। वहीं सॉफ्टवेयर का ठेका विप्रो को दिया है। 

-इसलिए जरूरत
कई लोग बार-बार रजिस्ट्री कराते हैं, इसमें स्टॉम्प शुल्क चोरी सामने आती है। अधिकांश तौर पर यह जनवरी से मार्च माह के बीच होता। इस दौरान रजिस्ट्रियां भी ज्यादा होती हैं, जिसका फायदा यह कतिपय लोग उठाते हैं। हार्डवेयर और साफ्टवेयर सिस्टम के तैयार होने के बाद धोखाधड़ी करने वाले ऐसे लोगों की पहचान सुनिश्चित हो सकेगी। वहीं सत् प्रतिशत स्टाम्प शुल्क की चोरी को रोका जा सकेगा। साथ ही पुराने रजिस्ट्रेशन के नियमों में भी फेरबदल किया जा रहा है। 

-आसान होगा आंकलन 
उदाहरण के तौर पर आपने भेल के अवधपुरी में प्लॉट, डुप्लेक्स या बंगला लिया। ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराते वक्त आपको वकील या स्वयं द्वारा इसका मूल्यांकन बताना नहीं पड़ेगा। कलेक्टर गाइडलाइन के आधार पर सिस्टम में यह आटोमेटिक ही हो जाएगा। साथ ही इसी आधार पर सॉफ्टवेयर में यह तय हो जाएगा कि उक्त भवन-मकान, दुकान, प्लॉट आदि की रजिस्ट्री में कितने रुपए के स्टाम्प लगेंगे व कुल कितने की रजिस्ट्री होगी। 

-वर्तमान में यह परेशानी 
अभी जमीन, मकान, दुकान, प्लॉट आदि का क्रेता खुद ही उसका मूल्य बताता है। हालांकि यह कलेक्टर गाइडलाइन के हिसाब से तय होता है, लेकिन इसमें भी लोग स्टॉम्प शुल्क चोरी करते हैं। इससे अमूमन हर साल करोड़ों रुपए की स्टॉम्प शुल्क की चोरी होती है। 

-एक बड़ा फायदा 
अगर आप प्रॉपर्टी लेने जा रहे हैं तो सिस्टम के तहत इसका पंजीयन ऑनलाइन एक ही बार होगा। इसका एक से अधिक बार पंजीयन नहीं हो पाएगा। सॉफ्टवेयर ऐसा है जो अन्य डाटा स्वीकार नहीं करेगा। ऐसे में यह भी सुनिश्चित हो जाएगा कि उक्त प्रापर्टी की कितने बार खरीद फरोख्त हुई है और वर्तमान में किसके नाम से रजिस्ट्री है। 

-उपभोक्ताओं को होगी सहूलियत
अगर आप बैंक के पास होमलोन के लिए जाते हैं, तो सारे दस्तावेज देने के बाद भी लोन प्रोसेस में सिर्फ इसलिए काफी समय लग जाता है, क्योंकि बैंक वकीलों के माध्यम से प्रॉपर्टी की हिस्ट्री खंगालती है। उधर पंजीयन ऑफिस में सालों पुराने फटे दस्तावेजों में कई बार रिकार्ड ही नहीं मिलने की वजह से केस लटकता है। 

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