शनिवार, 1 जून 2013

हाईकोट ने लगाई फ्लैट की गाईडलाइन पर रोक

-हाईकोर्ट ने की युगलपीठ ने दिया आदेश 
-दो सप्ताह में राज्य शासन, पंजीयक महानिरीक्षक और जिला पंजीयन को देना है जवाब 
भोपाल। 
हाईकोर्ट ने भोपाल जिले में फ्लैट की गाईडलाइन (नई दरों) पर रोक लगा दी है। साथ ही दो सप्ताह में राज्य शासन, पंजीयक महानिरीक्षक और जिला पंजीयन को देने को कहा है। यह रोक वर्तमान वर्ष 2013-14 की कलेक्टर गाइडलाइन पर लगाई गई है। हाईकोर्ट जबलपुर के न्यायाधीपति निशिथ कुमार मोदी एवं न्यायमूर्ति एनके गुप्ता की युगलपीठ ने गरुवार को यह आदेश एक संस्था की याचिका पर दिया। संस्था ने कोर्ट में याचिका लगाई थी कि भोपाल जिले फ्लैट के बाजार मूल्य की गणना बिल्ट-अप एरिया एवं सामान्य सुविधाओं (कॉमन एरियास) को सम्मिलित किया गया है। 
उल्लेखनीय है कि 1 अप्रैल 2013 को केन्द्रीय मूल्यांकन समिति के अनुमोदन के बाद भोपाल जिले के लिए तैयार की गई वर्ष 2013-14 की लागू कर दी गई। इस गाइडलाइन में लेटों के विक्रय के लिए अलग से उपबंध तय किए गए थे, जिसकी कंडिका 2 में कहा गया था कि लेटों की बाजार मूल्य की गणना कॉमन एरिया (सामान्य सुविधाओं) के क्षेत्र जैसे सीढिय़ां, पार्किंग, गार्डन, खुले क्षेत्र आदि को मिलाकर की जाएगी। 
सामाजिक संस्था नीरज बूलचंदानी एवं मुस्कान धर्मार्थ न्यास ने हाईकोर्ट में बताया कि नई गाइडलाइन में किसी भी आवासीय कॉलोनी में कॉमन एरिया को विक्रय नहीं किया जा सकता। इस बात को आधार बनाकर संस्था ने हाईकोर्ट से इस प्रावधान पर रोक लगाने की मांग की थी, लेकिन केंद्रीय मूल्यांकन समिति के अनुमोदन के पश्चात भी गाईड लाईन में कुछ वर्गों को फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से इसमें परिवर्तन नहीं किया। आम जनता इस बार को समझ न सके कि सुपर बिल्डअप एरिया को नहीं हटाया गया है, इसके लिए सुपर बिल्डअप एरिया के स्थान पर बिल्डअप एरिया तो लिखा गया, लेकिन इसके साथ कॉमन एरिया भी जोड़ दिया गया, जो कि सुपर बिल्डअप एरिया ही कहलाएगा। 
यही नहीं याचिका में, राज्य शासन किसी भी क्र ेता को संपत्ति का कोई भी भाग खरीदने एवं विक्रय पत्र में उल्लेखित करने के लिए बाध्य नहीं कर सकता है, के प्रावधान को भी आधार बनाया है, और इसे पहले प्रावधान के विपरीत होने की बात कही है। 

-नहीं कर सकते बाध्य 
याचिकाकर्ता की ओर से अधवक्ता सिद्धार्थ राधेलाल गुप्ता नें पैरवी की। श्री गुप्ता ने  सुनवाई के दौरान तर्क दिया कि स्टा प अधिनियम के तहत राज्य शासन केवल उतनी ही स्टॉ प ड्यूटी निर्धारित कर सकता है, जितनी क्रेता और विक्रेता आपस में विक्रय अनुबंध प्रदर्शित करते हैं। शासन उन्हें बाध्य नहीं कर सकता है कि वे अनुबंध में कॉमन एरिया भी स िमलित करें। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के विपरीत सामान्य सुविधाओं के क्षेत्र अवैधानिक रूप से विक्रय पत्र  में स िमलित करने अवैध बताया। इधर श्री गुप्ता के तर्कों पर उच्च न्यायालय की युगलपीठ ने उपबंध की अनुच्छेद 2 पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें