मप्र राज्य अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष नारायण प्रसाद कबीरपंथी ने कहा, राज्य अनुसूचित जाति आयोग राज्य में अनुसूचित जाति वर्ग के हितों की रक्षा के लिए हमेशा तत्पर रहता है। कबीरपंथी ने यह बात अपने कार्यकाल के तीन वर्ष पूरे होने के अवसर पर अनौपचारिक चर्चा में कही। उन्होंने जानकारी दी कि विगत तीन वर्षों में 136 भ्रमण जिलों के किए गए और अजा के उत्थान व विकास के लिए 44 जिलों के समस्त जिला अधिकारियों की समीक्षा बैठकें लीं। उन्होंने कहा कि 39 जिलों के प्रतिवेदन प्राप्त हुए हैं जिनमें 5 जिलों के प्रतिवेदन अभी भी प्रक्रियाधीन हैं। कबीरपंथी ने बताया कि आयोग को चालू वित्त वर्ष तक 5258 शिकायतें प्राप्त हुई जिनमें 1249 प्रकरणों का निराकरण करवाया गया। 40 विशेष प्रकरणों में आयोग लारा सुनवाई कर समस्या का समाधान करवाया गया है। इस प्रकार देखें तो कबीरपंथी राजनीति और प्रशासन के माध्यम से समाज सेवा को आगे बढ़ाने का निरंतर काम कर रहे हैं। चालू वित्त वर्ष में आयोग को 1966 शिकायतें प्राप्त हुई।
चर्चा के दौरान कबीरपंथी ने बताया कि उत्तरप्रदेश से लगे हुए चम्बल, बुंदेलखंड, विन्ध्य और महाकौशल के कुछ हिस्से विशेष रूप से पीड़ित हैं। जहां सामाजिक उत्पीड? के मामले ज्यादातर सामने आते हैं। समाज को विकास की मुख्य धारा से दूर करने वाले इस प्रकार के मुद्दे सामाजिक ताने-बाने को काफी हद तक नुकसान पहुंचाते हैं किंतु ऐसे नकारात्मक माहौल के बाद भी आयोग की पहल जिले के अधिकारियों और गांव-गांव तक लगातार संवाद की स्थिति बनाने से सामाजिक अपराधों में काफी गिरावट आ रही है।
आयोग के विषय में मध्यप्रदेश राज्य अनुसूचित जाति आयोग का गठन 1995 में किया गया था। जिसका उद्देश्य सामाजिक ताने-बाने को बेहतर बनाना है। राज्य में भाजपा सरकार ने इस दिशा में सकारात्मक पहल करते हुए लोगों की समस्याएं सुलझाने में उत्कृष्ठ भूमिका का निर्वाह कर रहा है। इसके अलावा अजा वर्ग की योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए आयोग अपनी अनुशंसाएं भी सरकार को भेजता रहता है। इसके अलावा मांग संख्या 6453 एवं 15 में अजा वर्ग के लिए प्रदेश के 17 जिलों में शासन से प्राप्त राशि के प्रगति की समीक्षा आयोग लारा की गई। आयोग में प्राप्त शिकायतों का गंभीरता पूर्वक निराकरण कराया जाता है।
चर्चा के दौरान कबीरपंथी ने बताया कि उत्तरप्रदेश से लगे हुए चम्बल, बुंदेलखंड, विन्ध्य और महाकौशल के कुछ हिस्से विशेष रूप से पीड़ित हैं। जहां सामाजिक उत्पीड? के मामले ज्यादातर सामने आते हैं। समाज को विकास की मुख्य धारा से दूर करने वाले इस प्रकार के मुद्दे सामाजिक ताने-बाने को काफी हद तक नुकसान पहुंचाते हैं किंतु ऐसे नकारात्मक माहौल के बाद भी आयोग की पहल जिले के अधिकारियों और गांव-गांव तक लगातार संवाद की स्थिति बनाने से सामाजिक अपराधों में काफी गिरावट आ रही है।
आयोग के विषय में मध्यप्रदेश राज्य अनुसूचित जाति आयोग का गठन 1995 में किया गया था। जिसका उद्देश्य सामाजिक ताने-बाने को बेहतर बनाना है। राज्य में भाजपा सरकार ने इस दिशा में सकारात्मक पहल करते हुए लोगों की समस्याएं सुलझाने में उत्कृष्ठ भूमिका का निर्वाह कर रहा है। इसके अलावा अजा वर्ग की योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए आयोग अपनी अनुशंसाएं भी सरकार को भेजता रहता है। इसके अलावा मांग संख्या 6453 एवं 15 में अजा वर्ग के लिए प्रदेश के 17 जिलों में शासन से प्राप्त राशि के प्रगति की समीक्षा आयोग लारा की गई। आयोग में प्राप्त शिकायतों का गंभीरता पूर्वक निराकरण कराया जाता है।
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