शनिवार, 21 सितंबर 2013

ग्रांट न मिलने से मदरसों में बढ़ी बेचैनी

-आचार संहिता से पहले राशि दिए जाने की मांग तेज 
भोपाल। 
मदरसों को ग्रांट न मिलने बेचैनी का माहौल देखा जा रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वादा किया था कि प्रदेशभर के मदरसों में पढ़ाने वाले शिक्षकों को राज्य के फंड से वेतन दिया जाएगा, लेकिन यह फाइल शिक्षा विभाग में ही पड़ी है। दूसरी ओर मदरसा कल्याण संघ का कहना है कि आचार संहिता प्रभावी हो जाती है तो मामला खटाई में पड़ सकता है। 
ऐसा होता है तो शिक्षकों को वेतन भुगतान नहीं हो सकेगा। संघ के सदस्य शारिक शीरानी ने शनिवार को पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा, मुख्यमंत्री ने 8 सितबंर को मुस्लिमों को चाय पर बुलाया था। बैठक में उर्दू विश्वविद्यालय को ग्राम पीपलनेर में 6.44 एकड़ जमीन देने का फैसला लिया गया। साथ ही राज्य की लापरवाही के चलते केंद्र से मिलने वाली 12 करोड़ की राशि लैप्स हो जाने से मदरसों में पढ़ाने वाले 3 हजार शिक्षकों का वेतन वितरण नहीं होने का मुद्दा भी उठा। मुख्यमंत्री को जब यह बात पता चली तो उन्होंने तत्काल आदेश दिए कि राज्य के फंड से वेतन की राशि दी जाएगी। बाद में केंद्र से आने वाले फंड से समायोजन कर लिया जाए। शारिक ने कहा, इसके बाद शिक्षा विभाग से भेजी गई फाइल को वित्त विभाग ने आपत्तियां लगाकर वापस कर दिया है। ऐसे में वेतन भुगतान का मामला अटक गया है। अब इसी माह में कभी भी आचार संहिता लग सकती है। ऐसे में मदरसों के शिक्षक वेतन के लिए फिर परेशान होंगे। यह फाइल उलझ गई तो यह सुनिश्चित ही नहीं की वह कब फाइनल हो पाएगा। विभाग को चाहिए कि मुख्यमंत्री के आदेशों का पालन करते हुए वेतन भुगतान जल्द किया जाए। 

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