-जर्मनी के प्रतिनिधि मंडल से मिले नगरीय प्रशासन मंत्री
भोपाल।
नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री बाबूलाल गौर से आज भोपाल-इंदौर शहर के मेट्रो परियोजना के संबंध में जर्मन क पनी के प्रतिनिधि-मंडल ने मुलाकात की। श्री गौर ने कहा कि इंदौर में मेट्रो का ऐसा मोड सेलेक्ट हो, जो यात्रियों के लिये किफायती एवं द्रुत गति वाला हो। श्री गौर ने भोपाल मेट्रो को मंडीदीप एवं सीहोर से जोड़े जाने का सुझाव भी दिया। मुलाकात के समय प्रमुख सचिव नगरीय प्रशासन एस.एन. मिश्रा एवं आयुक्त नगरीय प्रशासन संजय शुक्ला भी मौजूद थे। जर्मनी की निविदा क पनी ने बताया कि उनकी टीम ने भोपाल एवं इंदौर में सर्वे का काम पूरा कर लिया है। उनकी नगरीय प्रशासन विभाग, नगर निगमों, इंदौर-भोपाल के अधिकारियों, टाउन एण्ड कंट्री प्लानर से भी चर्चा हो चुकी है। इन दोनों नगरों के सेकेण्डरी डाटा भी एकत्रित कर लिये गये हैं। उन्होंने बताया कि निरीक्षण रिपोर्ट के बाद यह तय होगा कि भोपाल-इंदौर शहर में मेट्रो के लिये मोनो या एलआरडी सिस्टम में से कौन-सा बेहतर होगा। डिप्टी प्रोजेक्ट डायरेक्टर रोहित गुप्ता ने बताया कि मेट्रो के लिये जिस मोड का चयन किया जायेगा वह आने वाले वर्षों की आवश्यकता को देखते हुए तय होगा। भोपाल एवं इंदौर शहर में ६० से ६५ किलोमीटर का मेट्रो मार्ग तैयार किया जाना है। जर्मन क पनी के ट्रांसपोर्ट प्लानर श्री गेरेहाड कौजर, प्रोजेक्ट डायरेक्टर डॉ. हेल्मोट ग्याट ने बताया कि जर्मनी में वर्ष १९०२ में मेट्रो सेवा प्रारंभ हो गई थी। आज जर्मनी के मेट्रो मॉडल को दुनिया के अनेक शहरों में द्रुत यातायात व्यवस्था के रूप में उपयोग किया जा रहा है। भोपाल मेट्रो की प्रारंभिक अनुमानित लागत ६००० करोड़ एवं इंदौर मेट्रो की लागत ७५०० करोड़ रुपये है।
भोपाल।
नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री बाबूलाल गौर से आज भोपाल-इंदौर शहर के मेट्रो परियोजना के संबंध में जर्मन क पनी के प्रतिनिधि-मंडल ने मुलाकात की। श्री गौर ने कहा कि इंदौर में मेट्रो का ऐसा मोड सेलेक्ट हो, जो यात्रियों के लिये किफायती एवं द्रुत गति वाला हो। श्री गौर ने भोपाल मेट्रो को मंडीदीप एवं सीहोर से जोड़े जाने का सुझाव भी दिया। मुलाकात के समय प्रमुख सचिव नगरीय प्रशासन एस.एन. मिश्रा एवं आयुक्त नगरीय प्रशासन संजय शुक्ला भी मौजूद थे। जर्मनी की निविदा क पनी ने बताया कि उनकी टीम ने भोपाल एवं इंदौर में सर्वे का काम पूरा कर लिया है। उनकी नगरीय प्रशासन विभाग, नगर निगमों, इंदौर-भोपाल के अधिकारियों, टाउन एण्ड कंट्री प्लानर से भी चर्चा हो चुकी है। इन दोनों नगरों के सेकेण्डरी डाटा भी एकत्रित कर लिये गये हैं। उन्होंने बताया कि निरीक्षण रिपोर्ट के बाद यह तय होगा कि भोपाल-इंदौर शहर में मेट्रो के लिये मोनो या एलआरडी सिस्टम में से कौन-सा बेहतर होगा। डिप्टी प्रोजेक्ट डायरेक्टर रोहित गुप्ता ने बताया कि मेट्रो के लिये जिस मोड का चयन किया जायेगा वह आने वाले वर्षों की आवश्यकता को देखते हुए तय होगा। भोपाल एवं इंदौर शहर में ६० से ६५ किलोमीटर का मेट्रो मार्ग तैयार किया जाना है। जर्मन क पनी के ट्रांसपोर्ट प्लानर श्री गेरेहाड कौजर, प्रोजेक्ट डायरेक्टर डॉ. हेल्मोट ग्याट ने बताया कि जर्मनी में वर्ष १९०२ में मेट्रो सेवा प्रारंभ हो गई थी। आज जर्मनी के मेट्रो मॉडल को दुनिया के अनेक शहरों में द्रुत यातायात व्यवस्था के रूप में उपयोग किया जा रहा है। भोपाल मेट्रो की प्रारंभिक अनुमानित लागत ६००० करोड़ एवं इंदौर मेट्रो की लागत ७५०० करोड़ रुपये है।
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