बुधवार, 6 मार्च 2013

निजी क प्यूटर ऑपरेटरों पर निर्भर नगर निगम,भोपाल

नगर निगम में प्राइवेट क प्यूटर ऑपरेटरों की भरमार है। इन्हें संविदा नियुक्ति पर रखा गया था,परंतु आज ज्यादातर ऑपरेटर नियमित होने के लिए जुगाड़ तकनीक का प्रयोग करने में लगे हैं। नगर निगम में लगभग सभी अधिकारी इन्हीं पर निर्भर हैं। ऐसे में जबकि परियोजना उत्थान के तहत नगर निगम अधिकारी-कर्मचारियों को क प्यूटर का प्रशिक्षण दिया जा चुका है,इसके बाद भी निजी क प्यूटर ऑपरेटर के वेतन पर प्रतिमाह लाखों रुपए खर्च किए जा रहे हैं।
नगर निगम के अपर आयुक्त से लेकर उपायुक्त और विभागाध्यक्ष इन दिनों क प्यूटर पर प्रशासनिक कामकाज निपटा रहे हैें। यह काम निजी क प्यूटर ऑपरेटरों से करवाया जा रहा है। लेखा विभाग का कामकाज भी क प्यूटराईज्ड कर दिया गया है,लेकिन इन क प्यूटर को निगम के कर्मचारी नहीं अपितु निजी आपरेटर चला रहे हैं,जिन्हें मोटी तन वाह दी जा रही हैं। खाली ाजाने पर आर्थिक बोझ लादा जा रहा है। इसी तरह जोनल कार्यालयों में भी निजी क प्यूटर ऑपरेटर कार्य कर रहे हैं। शासन के निर्देशों के मुताबिक,नगर निगम प्रशासन को अपना समस्त कामकाज क प्यूटराईज्ड करना है। ऐसे में निगम कर्मचारियों को क प्यूटर का प्रशिक्षण देने के बजाए निजी ऑपरेटरों द्वारा कार्य करवाए जाने से कर्मचारी जगत में बैचेनी है। वहीं निगम प्रशासन इस व्यवस्था को सही बता रहा है। प्रशासन का तर्क भी कम हास्यापद नहीं है। अधिकारियों का कहना है कि जिस तरह का कार्य नगर निगम में होता है,वह पूर्णत: प्रशिक्षित ऑपरेटर ही कर सकता है। यहीं कारण है कि निजी ऑपरेटरों से कार्य करवाया जा रहा है,जबकि हकीकत यह है कि जिस

विभाग में निजी क प्यूटर ऑपरेटर काम कर रहे हैं, वहां दैनिक वेतन भोगी भी अपनी सेवाएं दे रहे हैं। नगर निगम प्रशासन खर्चें कम करना चाहे तो निजी ऑपरेटरों को चलता कर सकता है और उनके स्थान पर दैनिक वेतनभोगियों को प्रशिक्षित कर काम कराया जा सकता है,परंतु ऐसा न कर अपरोक्ष रूप से संविदा नियुक्ति की आड़ में इन्हें नियमित करने की जुगाड़ भी इनके और इनके चहेतों  के द्वारा की जा रही है। प्रदेश सरकार एक तरफ खर्चें कम करने के निर्देश दे रही है,वहीं नगर निगम में निजी ऑपरेटरों पर धन लुटाया जा रहा है। इनमें से कुछ तो ऐसे है,जिनके नाम दैनिक वेतनभोगियों की सूची में शामिल हो गए हैं। राजनीतिक और प्रशासनिक दबाव के जरिए कई ऐसे क प्यूटर ऑपरेटर है,जिन्हें बिना किसी काम के भी वेतन दिया जा रहा है।

 

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