ग्राम पंचायत इस्लाम नगर में विकास कार्यों और मनरेगा में भ्रष्टाचार की जांच शुरु
सरकारी जमीन पर कब्जा करने और हाईकोर्ट के आदेशों की अवहेलना के आरोप
भोपाल।
महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत जन्म लेने से पहले ही रोजगार मुहैया करवाया जा रहा है। जी हां, मनरेगा के तहत पंजीकृत किए गए दिहाड़ी मजदूरों में करोड़पति, सैकड़ों एकड़ जमीन के मालिक, प्रोफेशनल कोर्स करने वाले स्टूडेंट से लेकर कई ऐसे भी हैं, जो जन्म लेने से पहले ही बतौर मजदूर दर्ज करके मजूदरी का भुगतान भी किया जा रहा है।
यह चौंकाने वाला खुलासा राजधानी की इस्लामनगर ग्राम पंचायत का है, जिसके बारे में सीबीआई के बाद अब अनुविभागीय अधिकारी, हुजूर ने भी जांच शुरु कर दी है। सोमवार को इस मामले की सुनवाई के दौरान सरपंच नारायणदास बैरागी और उप सरपंच रमाकांत मालवीय की ओर से जवाबदेही के लिए समय मांगा गया, जिस पर एसडीएम राजेश श्रीवास्तव ने 8 अप्रैल तक का मौका दे दिया। गौरतलब होगा कि, इस फर्जीवाडेÞ की शिकायत पंच रमेश मांझी ने 2 फरवरी को कलेक्टर निकुंज कुमार श्रीवास्तव से की थी। कलेक्टर ने मप्र पंचायत राज अधिनियम की धारा 40 के तहत जांच एवं पद से हटाने की कार्रवाई के निर्देश दिए थे। इसके बाद 20 फरवरी और फिर 15 मार्च को सुनवाई के बाद 18 मार्च को सरपंच और उपसरपंच को तलब किया गया था।
सीबीआई ने भी शुरु की जांच
मनरेगा में भ्रष्टाचार की जांच सीबीआई ने भी शुरु कर दी है। सूत्रों के अनुसार, बैंक ऑफ बड़ौदा की लांबाखेड़ा ब्रांच में मनरेगा के मजदूरों के खाते खोले गए हैं। इन खातों में सैकडों एकड जमीन और हार्वेस्टर रखने वाले किसानों, करोड़पतियों और सालाना लाखों रुपए फीस चुकाने वाले कॉलेज स्टॅडेंट तक के नाम हैं। इसकी जानकारी नहीं देने और असलियत छुपाने की शिकायत जनसुनवाई में होने के बाद सीबीआई ने संज्ञान में ले लिया है।
मय सुबूतों के लगाए गए आरोप
-पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित गोंड राजा के चमन महल की ऐतिहासिक दीवार को बुलडोजर से गिराकर अतिक्रमण कर मकान बनाए।
-चुनाव के दौरान दिए गए शपथ पत्र में वैवाहिक स्थिति के बारे झूठी जानकारी दी गई, जबकि सरपंच की दो बीबियां रिकॉर्ड में दर्ज हैं।
-मनरेगा में पंजीकृत मजदूरों में कई करोड़पति, कॉलेज स्टूडेंट के साथ ही ऐसे नाम भी हैं, जिनके बारे में पूरे गांव को ही नहीं पता है।
-बिल्डरों और कॉलोनाईजरों से सांठगांठ करके कायदे कानून को बलाए ताक रखते हुए पंचायत स्तर से ही परमीशन जारी कर दी गई।
-गांव में कराए गए लाखों रुपए के विकास कार्य सिर्फ कागजों पर हैं, जिनके बारे में पूछने पर सरपंच और उप सरपंच धमकाते हैं।
वर्जन
सरपंच के खिलाफ पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित जमीन पर अतिक्र मण करके मकान बनाने और निर्माण कार्यों में भ्रष्टाचार की जांच शुरु कर दी गई है। दस्तावेजी सुबूत के साथ ही गांववालों के बयान भी लिए जा रहे हैं, जिसके बाद पद से हटाने के साथ ही एफआईआर भी दर्ज करवाई जाएगी।
राजेश श्रीवास्तव, अनुविभागीय अधिकारी, तहसील हुजूर
सरकारी जमीन पर कब्जा करने और हाईकोर्ट के आदेशों की अवहेलना के आरोप
भोपाल।
महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत जन्म लेने से पहले ही रोजगार मुहैया करवाया जा रहा है। जी हां, मनरेगा के तहत पंजीकृत किए गए दिहाड़ी मजदूरों में करोड़पति, सैकड़ों एकड़ जमीन के मालिक, प्रोफेशनल कोर्स करने वाले स्टूडेंट से लेकर कई ऐसे भी हैं, जो जन्म लेने से पहले ही बतौर मजदूर दर्ज करके मजूदरी का भुगतान भी किया जा रहा है।
यह चौंकाने वाला खुलासा राजधानी की इस्लामनगर ग्राम पंचायत का है, जिसके बारे में सीबीआई के बाद अब अनुविभागीय अधिकारी, हुजूर ने भी जांच शुरु कर दी है। सोमवार को इस मामले की सुनवाई के दौरान सरपंच नारायणदास बैरागी और उप सरपंच रमाकांत मालवीय की ओर से जवाबदेही के लिए समय मांगा गया, जिस पर एसडीएम राजेश श्रीवास्तव ने 8 अप्रैल तक का मौका दे दिया। गौरतलब होगा कि, इस फर्जीवाडेÞ की शिकायत पंच रमेश मांझी ने 2 फरवरी को कलेक्टर निकुंज कुमार श्रीवास्तव से की थी। कलेक्टर ने मप्र पंचायत राज अधिनियम की धारा 40 के तहत जांच एवं पद से हटाने की कार्रवाई के निर्देश दिए थे। इसके बाद 20 फरवरी और फिर 15 मार्च को सुनवाई के बाद 18 मार्च को सरपंच और उपसरपंच को तलब किया गया था।
सीबीआई ने भी शुरु की जांच
मनरेगा में भ्रष्टाचार की जांच सीबीआई ने भी शुरु कर दी है। सूत्रों के अनुसार, बैंक ऑफ बड़ौदा की लांबाखेड़ा ब्रांच में मनरेगा के मजदूरों के खाते खोले गए हैं। इन खातों में सैकडों एकड जमीन और हार्वेस्टर रखने वाले किसानों, करोड़पतियों और सालाना लाखों रुपए फीस चुकाने वाले कॉलेज स्टॅडेंट तक के नाम हैं। इसकी जानकारी नहीं देने और असलियत छुपाने की शिकायत जनसुनवाई में होने के बाद सीबीआई ने संज्ञान में ले लिया है।
मय सुबूतों के लगाए गए आरोप
-पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित गोंड राजा के चमन महल की ऐतिहासिक दीवार को बुलडोजर से गिराकर अतिक्रमण कर मकान बनाए।
-चुनाव के दौरान दिए गए शपथ पत्र में वैवाहिक स्थिति के बारे झूठी जानकारी दी गई, जबकि सरपंच की दो बीबियां रिकॉर्ड में दर्ज हैं।
-मनरेगा में पंजीकृत मजदूरों में कई करोड़पति, कॉलेज स्टूडेंट के साथ ही ऐसे नाम भी हैं, जिनके बारे में पूरे गांव को ही नहीं पता है।
-बिल्डरों और कॉलोनाईजरों से सांठगांठ करके कायदे कानून को बलाए ताक रखते हुए पंचायत स्तर से ही परमीशन जारी कर दी गई।
-गांव में कराए गए लाखों रुपए के विकास कार्य सिर्फ कागजों पर हैं, जिनके बारे में पूछने पर सरपंच और उप सरपंच धमकाते हैं।
वर्जन
सरपंच के खिलाफ पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित जमीन पर अतिक्र मण करके मकान बनाने और निर्माण कार्यों में भ्रष्टाचार की जांच शुरु कर दी गई है। दस्तावेजी सुबूत के साथ ही गांववालों के बयान भी लिए जा रहे हैं, जिसके बाद पद से हटाने के साथ ही एफआईआर भी दर्ज करवाई जाएगी।
राजेश श्रीवास्तव, अनुविभागीय अधिकारी, तहसील हुजूर
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