टीटीटीआई में फर्जी मॉर्कशीट वाले कर्मचारी और 70 करोड़ का घोटाला
भोपाल।
केंद्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान, नबीबाग के निदेशक ने सरकारी जमीन को प्राइवेट दर्शाकर अनुबंध किया और करोड़ों का केंद्रीय प्रोजेक्ट लांच करवा दिया। इस प्रोजेक्ट से महिलाओं और किसानों का फायदा होने का दावा किया गया था, लेकिन अब न तो प्रोजेक्ट से जुड़ी मशीनों का ही पता है और महिलाओं की समिति भी गायब हो चुकी है।
यह चौंकाने वाला खुलासा भोपाल मे पहली बार सीबीआई (सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इंवेस्टीगेशन) की जनसुनवाई में होने पर सीबीआई के संयुक्त निदेशक, भोपाल जोन ऋषिराज सिंह ने गंभीरता से लेते हुए मामले की जांच के निर्देश दिए हैं। कलेक्टोरेट में मंगलवार को हुई जनसुनवाई में 40 शिकायतें आर्ई। अधिकांश मामलों में सीबीआई ने शिकायतकर्ताओं की पहचान उजागर करने से मना कर दिया। इस मौके पर एसपी यतीश कोयल और एडीएम उमाशंकर भार्गव सहित सीबीआई का स्टॉफ मौजूद था। इस दौरान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी डॉ. पीएस यादव ने अपनी शिकायत में बताया कि केंद्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान के तत्कालीन निदेशक ने मार्च,1988 में सिर्फ 5 रुपए के स्टांप पर चमन महल की सरकारी जमीन खसरा नंबर-386 को निजी बताकर अनुबंध कर लिया। इस जमीन पर केंद्र सरकार का करीब ढ़ाई से चार करोड़ रुपए का एक प्रोजेक्ट लांच किया गया। इसमें दाल, दलिया और बड़ी आदि बनाने का काम होना था, जिससे गरीब महिलाओं को रोजगार मिलता। इसके लिए 50 सदस्यीय श्यामा महिला मंडल बनाया गया। इस समिति की महिलाओं के नाम पर बैंकों से लाखों रुपए लोन निकाला गया और फिर रातोंरात प्रोजेक्ट गायब हो गया। वहीं, महिला मंडल में दर्शाई गई महिलाओं का भी अता पता नहीं है।
फर्जी मॉर्कशीट से कर रहें हैं नौकरियां
टीटीटीआई में भ्रष्टाचार की शिकायत की गई, जिसमें बताया गया कि फर्जी अंकसूचियों से सात कर्मचारी नौकरी कर रहे हैं। इन कर्मचारियों की असली मॉर्कशीटों को क्रास चेक करने के बजाय जांचकर्ता ने हर कर्मचारी से डेढ़ लाख रुपए रिश्वत लेकर दबा दिया। इसके साथ ही केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय से 70 करोड़ का अनुदान मिला था, जिसको निदेशक ने छुटपुट निर्माण और अन्य दिखावे के कामों की आड़ में फर्जी बिल बाउचर लगाकर हड़प लिया है।
बैंक ऑफ बड़ौदा के खातों में फर्जीवाड़ा
एक शिकायतकर्ता ने बैंक ऑफ बड़ौदा, ब्रांच लांबाखेड़ा में मनरेगा के खातों के करोड़ों रुपए के फर्जीवाड़ा का आरोप लगाया। मनरेगा के खाते मृतकों के साथ ही लखपतियों तक के नाम पर खोले गए हैं। कई नाम ऐसे भी हैं, जिनके बारे में गांववालों को ही पता नहीं है। हर साल फर्जी खाताधारकों के नाम पर करोड़ों को भुगतान हो जाता है। इस बारे में बैंक मैनेजर और फील्ड ऑफिसर से लेकर सरपंच और सचिव तक शामिल हैं।
राशनकॉर्ड के बदले मांग रहे पैसा
जानकारी नहीं होने के कारण बड़ी संख्या में ऐसे शिकातयकर्ता भी पहुंच गए, जिनके प्रकरण सीबीआई के क्षेत्राधिकार में नहीं थे। गरीबीरेखा के राशनकॉर्ड नहीं बनने, पट्टे की जमीन का कब्जा नहीं मिलने से लेकर थाने में शिकायत के बाद भी एफआईआर दर्ज नहीं किए जाने की दर्जनों शिकायतें पहुंची। इसके साथ ही नौकरी दिलवाने और लोन दिलवाने के नाम पर लाखों रुपए की ठगी की शिकायत पर पुलिस के कार्रवाई नहीं करने की भी शिकायत की गई। ऐसे सभी मामलों को संबंधित अधिकारियों तक विचार एवं कार्यवाही के लिए भिजवाने का भरोसा सीबीआई के अधिकारियों ने दिलाया।
भोपाल।
केंद्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान, नबीबाग के निदेशक ने सरकारी जमीन को प्राइवेट दर्शाकर अनुबंध किया और करोड़ों का केंद्रीय प्रोजेक्ट लांच करवा दिया। इस प्रोजेक्ट से महिलाओं और किसानों का फायदा होने का दावा किया गया था, लेकिन अब न तो प्रोजेक्ट से जुड़ी मशीनों का ही पता है और महिलाओं की समिति भी गायब हो चुकी है।
यह चौंकाने वाला खुलासा भोपाल मे पहली बार सीबीआई (सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इंवेस्टीगेशन) की जनसुनवाई में होने पर सीबीआई के संयुक्त निदेशक, भोपाल जोन ऋषिराज सिंह ने गंभीरता से लेते हुए मामले की जांच के निर्देश दिए हैं। कलेक्टोरेट में मंगलवार को हुई जनसुनवाई में 40 शिकायतें आर्ई। अधिकांश मामलों में सीबीआई ने शिकायतकर्ताओं की पहचान उजागर करने से मना कर दिया। इस मौके पर एसपी यतीश कोयल और एडीएम उमाशंकर भार्गव सहित सीबीआई का स्टॉफ मौजूद था। इस दौरान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी डॉ. पीएस यादव ने अपनी शिकायत में बताया कि केंद्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान के तत्कालीन निदेशक ने मार्च,1988 में सिर्फ 5 रुपए के स्टांप पर चमन महल की सरकारी जमीन खसरा नंबर-386 को निजी बताकर अनुबंध कर लिया। इस जमीन पर केंद्र सरकार का करीब ढ़ाई से चार करोड़ रुपए का एक प्रोजेक्ट लांच किया गया। इसमें दाल, दलिया और बड़ी आदि बनाने का काम होना था, जिससे गरीब महिलाओं को रोजगार मिलता। इसके लिए 50 सदस्यीय श्यामा महिला मंडल बनाया गया। इस समिति की महिलाओं के नाम पर बैंकों से लाखों रुपए लोन निकाला गया और फिर रातोंरात प्रोजेक्ट गायब हो गया। वहीं, महिला मंडल में दर्शाई गई महिलाओं का भी अता पता नहीं है।
फर्जी मॉर्कशीट से कर रहें हैं नौकरियां
टीटीटीआई में भ्रष्टाचार की शिकायत की गई, जिसमें बताया गया कि फर्जी अंकसूचियों से सात कर्मचारी नौकरी कर रहे हैं। इन कर्मचारियों की असली मॉर्कशीटों को क्रास चेक करने के बजाय जांचकर्ता ने हर कर्मचारी से डेढ़ लाख रुपए रिश्वत लेकर दबा दिया। इसके साथ ही केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय से 70 करोड़ का अनुदान मिला था, जिसको निदेशक ने छुटपुट निर्माण और अन्य दिखावे के कामों की आड़ में फर्जी बिल बाउचर लगाकर हड़प लिया है।
बैंक ऑफ बड़ौदा के खातों में फर्जीवाड़ा
एक शिकायतकर्ता ने बैंक ऑफ बड़ौदा, ब्रांच लांबाखेड़ा में मनरेगा के खातों के करोड़ों रुपए के फर्जीवाड़ा का आरोप लगाया। मनरेगा के खाते मृतकों के साथ ही लखपतियों तक के नाम पर खोले गए हैं। कई नाम ऐसे भी हैं, जिनके बारे में गांववालों को ही पता नहीं है। हर साल फर्जी खाताधारकों के नाम पर करोड़ों को भुगतान हो जाता है। इस बारे में बैंक मैनेजर और फील्ड ऑफिसर से लेकर सरपंच और सचिव तक शामिल हैं।
राशनकॉर्ड के बदले मांग रहे पैसा
जानकारी नहीं होने के कारण बड़ी संख्या में ऐसे शिकातयकर्ता भी पहुंच गए, जिनके प्रकरण सीबीआई के क्षेत्राधिकार में नहीं थे। गरीबीरेखा के राशनकॉर्ड नहीं बनने, पट्टे की जमीन का कब्जा नहीं मिलने से लेकर थाने में शिकायत के बाद भी एफआईआर दर्ज नहीं किए जाने की दर्जनों शिकायतें पहुंची। इसके साथ ही नौकरी दिलवाने और लोन दिलवाने के नाम पर लाखों रुपए की ठगी की शिकायत पर पुलिस के कार्रवाई नहीं करने की भी शिकायत की गई। ऐसे सभी मामलों को संबंधित अधिकारियों तक विचार एवं कार्यवाही के लिए भिजवाने का भरोसा सीबीआई के अधिकारियों ने दिलाया।
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