-अब तक दुरस्त नहीं हो पाया नेटवर्क, मैन्यूअल बन रहे प्रमाण-पत्र
ेभोपाल।
कलेक्टोरे में शासकीय सेवाओं के लिए निजी हो चुके लोक सेवा केंद्र का सर्वर गुरुवार से डाउन है। सोमवार से यह शुरू होगा इस पर अब भी संशय बरकरार है। कारण, केंद्र में कार्यरत निजी कर्मचारियों की ऊपरी तौर पर होने वाली कमाई पर सीधा असर पडऩा।
गुरुवार से दोहपर को जब सर्वर डाउन हुआ उसके बाद से ही आय, स्थानीय निवासी और खसरा-खतौनी के आवेदन जमा किए जाने के बाद उसकी रसीदें मैन्यूअल (हाथ से बनाई रसीद) दी जा रही हैं। पहले नेट के जरिए नेटवर्क में परेशानी की बात केंद्र के कर्मचारियों ने आवेदकों को बताई। बाद में सर्वर डाउन होना सामने आया। आवेदन लिए जाने के बाद न तो शपथ-पत्रों को स्केन किया जा रहा है और न ही विधि अनुसार इसकी रसीदें काटी जा रही हैं। जिससे स्पष्ट नहीं होता कि पहले किस ने आवेदन किया था। इसी का फायदा चंद ऊपरी पैसों के चक्कर में अब केंद्र में कार्यरत कर्मचारी ही उठा रहे हैं। इसमें दलालों की भी सक्रीय भूमिका है।
-कर्मचारी कर रहे आवेदन निरस्त
जब से निजी लोक सेवा केंद्र बनाए गए हैं। तब से ये दलाली और दलालों का स्थान बन गए हैं। कर्मचारी दलालों के साथ मिलकर मोटी रकम लेकर एक तरफ मैन्यूअल प्रमाण-पत्र एक दिन में जारी करा रहे हैं। दूसरी ओर वास्तविक आवेदक को एक सप्ताह बाद बुलाया जाता है, जबकि स्थानीय निवासी प्रमाण-पत्र तीन दिन के भीतर तैयार कर के देना है। पूर्व कलेक्टर निकुंज श्रीवास्तव ने यह आय और स्थानिय निवासी प्रमाण-पत्र एक दिन में जारी करने के निर्देश दिए थे। कुछ दिनों तक इसका पालन भी हुआ, लेकिन निजी केंद्र संचालक का ढर्रा एक जैसा ही हो गया। देखने में यह भी आया है कि वास्तविक आवेदक को एक साप्तह बुलाए जाने के बाद भी उसके आवेदन में मीन-मेख निकालकर निरस्त कर दिया जाता है।
-प्रशासन का हस्तक्षेप खत्म
कलेक्टोरेट कार्यालय सहित गोविंदपुरा और राजभवन के सामने निजी लोक सेवा केंद्र स्थापित करने के बाद से प्रशासनिक हस्तक्षेप खत्म हो गया है। इसकी का फायदा केंद्र संचालक और केंद्र के कर्मचारी उठा रहे हैं। निजी होने से पहले कलेक्टर कार्यालय के लोक सेवा केंद्र में शासकीय कर्मचारी इसे संभालते थे, इसकी पूरी जिम्मेदारी प्रशासिनक अधिकारियों की होती थी। यही कारण था कि यहां उच्च अधिकारियों के दवाब में प्रमाण-पत्र समय से जारी होते थे। अब मूल आवेदक को या तो चक्कर लगवाए जा रहे हैं या उसके आवेदन को खारिज किया जा रहा है। प्राइवेट कर्मचारी बिना किसी डर के दलाली और दलालों को संरक्षण दे रहे हैं। फिलहाल सर्वर डाउन होने की बात कह कर्मचारी अच्छी रकम कूट रहे हैं।
-यह होता है केंद्र से
लोक सेवा गारंटी कानून के तहत तय समय सीमा में सेवाएं देने राजधानी में तीन लोक सेवा केन्द्र खोले गए हैं। यहां से वर्तमान में 48 सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। सभी सेवाओं के आवेदन वेबसाइट के जरिए ऑनलाइन रजिस्टर्ड किए जाते हैं।
यहां से आय-मूल निवासी प्रमाणपत्र, खसरे-नक्शे की नकलें, बीपीएल और एपीएल राशनकार्ड के आवेदन किए जाते हैं।
-वर्जन
जब से केंद्र का निजीकरण हुआ है, तब से आम जनता की सहूलिय के अनुपात में केंद्र संचालक एवं उसके कर्मचारी चांदी काट रहे हैं। प्रशासनिक अफसरों का नियंत्रण खत्म होने से केंद्र भ्रष्टाचार का पर्याय बन चुका है।
सै. खालिद केस,
अध्यक्ष, आरटीआई एक्टीविस्ट काउंसिल मप्र
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