-लगाया आरोप, 70 हजार पद खाली, फिर भी नहीं किया जा रहा नियमित
भोपाल। म.प्र. संविदा कमर्चारी अधिकारी महासंघ ने म.प्र. के विभिन्न विभागों एवं उनकी परियोजनाओं में संविदा पर कार्यरत संविदा कमर्चारियों को नियमित करने के लिए जंजीरों में जकड़कर प्रदर्शन किया । म.प्र. संविदा कमर्चारी अधिकारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौर ने बताया कि संविदा कमर्चारियों ने जंजीरों में जकड़कर इसलिए प्रदर्शन किया क्योंकि संविदा नौकरी, नौकरी नहीं गुलामी है, सरकार में बैठे अधिकारी बेरोजगारी का फ ायदा उठाकर चतुर्थ,तृतीय, लितिय श्रेणी के पदों पर संविदा पर भर्ती कर रहे है। संविदा पर रखकर संविदा पर कमर्चारियों का शोषण किया जाता है, उनको गुलाम बनाकर रखा जाता है । संविदा कमर्चारियों को काम करते - करते दस से पन्द्रह वर्ष हो गये हैं, संविदा कमर्चारी ओवर एज हो गये हैं, संविदा कमर्चारी नियिमित कमर्चारी से दुगना कार्य करते हैं, और सुविधाएं नियमित कमर्चारियों से आधी मिलती हैं । संविदा कमर्चारियों को गृह भाड़ा भत्ता, चिकित्सा प्रतिपूर्ति, चिकित्सा अवकाश, अनुक पा निुयक्ति, चिकित्सा अवकाश, एक्सग्रेसिया, वाहन भत्ता, समय - समय पर बढ?े वाला मंहगाई भत्ता, समयमान वेतनमान, पदोन्नति नहीं दी जाती। मांगने पर कहा जाता है कि आप संविदा पर हो । संविदा पर होने का तात्पर्य यह नहीं होता कि संविदा कमर्चारी गुलाम है उसे वेतन और भत्ते और सुविधाएं नहीं दी सकती हैं। यहां के संविदा शर्ते निर्धारित करने वाले अधिकारियों की मानसिकता अंग्रेजी हुकूमत के समान है । वे खुद तो नियमित हैं और सारी सुविधाएं लेते हैं लेकिन जब संविदा कमर्चारी समान सुविधाओं की मांग करता है तो उसे यह कह कर सुविधाएं नहीं दी जाती कि आप संविदा पर हो । ये यहां के अधिकारियों की दोहरी नीति है।
आईएस पदों पर भी हो संविदा नियुक्ति
प्रदर्शन पर उपस्थित संविदा कमर्चारियों ने केन्द्र सरकार से मांग की कि आई.ए. एस. अधिकारियों के पदों पर भी भर्ती संविदा से की जाए जिससे पूरे राष्ट्र में एक समान कमर्चारी हों। श्री राठोर ने कहा कि मंगलवार को अंतिम कैबिनेट है और संविदा कमर्चारियों का नियमितीकरण नहीं हो पाया है इससे म.प्र. के दो लाख संविदा कमर्चारी निराश और हताश हैं। महासंघ ने हटाए गए संविदा कमर्चारियों की बहाली के लिए लगातार ज्ञापन दिये लेकिन सरकार की ओर से आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला और हटाए गये संविदा कमर्चारियों की बहाली अभी तक नहीं हुई। म.प्र. के संविदा कमर्चारी जोकि विधिवत, भर्ती प्रक्रिया, लिखित परीक्षा, साक्षात्कार के बाद सक्षम प्राधिकारियों के लारा नियुक्त हुएं हैं उनको नियमित नहीं कर रही है । दूसरी तरफ बिना किसी भर्ती प्रक्रिया के नियुक्त शिक्षाकमिर्यों, पंचायत कमिर्यों, गुरूजियों जिनकी नियुक्ति संरपचों, ग्राम समुदायों के लारा की गई थी, उनका मानदेय केन्द्र सरकार की परियोजनाओं से प्राप्त धनराशि से मिलता था, ऐसे शिक्षाकमिर्यों, पंचायत कमिर्यों, गुरूजियों को सरकार ने कैबिनेट में पदों का निर्माण कर नियमित दिया । म.प्र. सरकार के विभिन्न विभागों में 70 हजार पद रिक्त पड़े हैं, सरकार उन पर नई भर्ती कर रही है, नई भर्ती की बजाए म.प्र. सरकार चाहे तो उन पदों पर संविदा कमर्चारियों को नियमित कर सकती है।
भोपाल। म.प्र. संविदा कमर्चारी अधिकारी महासंघ ने म.प्र. के विभिन्न विभागों एवं उनकी परियोजनाओं में संविदा पर कार्यरत संविदा कमर्चारियों को नियमित करने के लिए जंजीरों में जकड़कर प्रदर्शन किया । म.प्र. संविदा कमर्चारी अधिकारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौर ने बताया कि संविदा कमर्चारियों ने जंजीरों में जकड़कर इसलिए प्रदर्शन किया क्योंकि संविदा नौकरी, नौकरी नहीं गुलामी है, सरकार में बैठे अधिकारी बेरोजगारी का फ ायदा उठाकर चतुर्थ,तृतीय, लितिय श्रेणी के पदों पर संविदा पर भर्ती कर रहे है। संविदा पर रखकर संविदा पर कमर्चारियों का शोषण किया जाता है, उनको गुलाम बनाकर रखा जाता है । संविदा कमर्चारियों को काम करते - करते दस से पन्द्रह वर्ष हो गये हैं, संविदा कमर्चारी ओवर एज हो गये हैं, संविदा कमर्चारी नियिमित कमर्चारी से दुगना कार्य करते हैं, और सुविधाएं नियमित कमर्चारियों से आधी मिलती हैं । संविदा कमर्चारियों को गृह भाड़ा भत्ता, चिकित्सा प्रतिपूर्ति, चिकित्सा अवकाश, अनुक पा निुयक्ति, चिकित्सा अवकाश, एक्सग्रेसिया, वाहन भत्ता, समय - समय पर बढ?े वाला मंहगाई भत्ता, समयमान वेतनमान, पदोन्नति नहीं दी जाती। मांगने पर कहा जाता है कि आप संविदा पर हो । संविदा पर होने का तात्पर्य यह नहीं होता कि संविदा कमर्चारी गुलाम है उसे वेतन और भत्ते और सुविधाएं नहीं दी सकती हैं। यहां के संविदा शर्ते निर्धारित करने वाले अधिकारियों की मानसिकता अंग्रेजी हुकूमत के समान है । वे खुद तो नियमित हैं और सारी सुविधाएं लेते हैं लेकिन जब संविदा कमर्चारी समान सुविधाओं की मांग करता है तो उसे यह कह कर सुविधाएं नहीं दी जाती कि आप संविदा पर हो । ये यहां के अधिकारियों की दोहरी नीति है।
आईएस पदों पर भी हो संविदा नियुक्ति
प्रदर्शन पर उपस्थित संविदा कमर्चारियों ने केन्द्र सरकार से मांग की कि आई.ए. एस. अधिकारियों के पदों पर भी भर्ती संविदा से की जाए जिससे पूरे राष्ट्र में एक समान कमर्चारी हों। श्री राठोर ने कहा कि मंगलवार को अंतिम कैबिनेट है और संविदा कमर्चारियों का नियमितीकरण नहीं हो पाया है इससे म.प्र. के दो लाख संविदा कमर्चारी निराश और हताश हैं। महासंघ ने हटाए गए संविदा कमर्चारियों की बहाली के लिए लगातार ज्ञापन दिये लेकिन सरकार की ओर से आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला और हटाए गये संविदा कमर्चारियों की बहाली अभी तक नहीं हुई। म.प्र. के संविदा कमर्चारी जोकि विधिवत, भर्ती प्रक्रिया, लिखित परीक्षा, साक्षात्कार के बाद सक्षम प्राधिकारियों के लारा नियुक्त हुएं हैं उनको नियमित नहीं कर रही है । दूसरी तरफ बिना किसी भर्ती प्रक्रिया के नियुक्त शिक्षाकमिर्यों, पंचायत कमिर्यों, गुरूजियों जिनकी नियुक्ति संरपचों, ग्राम समुदायों के लारा की गई थी, उनका मानदेय केन्द्र सरकार की परियोजनाओं से प्राप्त धनराशि से मिलता था, ऐसे शिक्षाकमिर्यों, पंचायत कमिर्यों, गुरूजियों को सरकार ने कैबिनेट में पदों का निर्माण कर नियमित दिया । म.प्र. सरकार के विभिन्न विभागों में 70 हजार पद रिक्त पड़े हैं, सरकार उन पर नई भर्ती कर रही है, नई भर्ती की बजाए म.प्र. सरकार चाहे तो उन पदों पर संविदा कमर्चारियों को नियमित कर सकती है।
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