एलआईसी के बाद सीबीआई के निशाने पर दूसरी इंश्योरेंस कंपनियां आ गई हैं। गुरुवार को सीबीआई ने भोपाल और इंदौर में एक साथ एक दर्जन स्थानों पर छापे मारे। सीबीआई ने यहां से कई अहम दस्तावेज जब्त किए हैं। सूत्रों के मुताबिक छापे की कारर्वाई कुछ चिकित्सकों के ठिकानों पर की गयी है। प्रारंभिक तौर लगभग चार करोड़ रुपए के घोटाले के सिलसिले में यह कारर्वाई सीबीआई भोपाल द्वारा की गयी है। सूत्रों के अनुसार फर्जी तरीके से स्वास्थ्य बीमा पालिसी को जारी करने और उनके विरुद्ध दावा राशि हासिल करने के मामले में यह कारर्वाई की गयी है।
बीमा कराने थर्ड पार्टी एजेंट किए थे नियुक्त:
सूत्रों के मुताबिक यूनाईटेड इंश्योरेंस लिमिटेड ने अस्पतालों से स्वास्थ्य बीमा कराने के लिए थर्ड पार्टी एजेंट (टीपीए) नियुक्त किए थे। बताया जाता है कि कंपनी के अफसरों को इन ऐजेंटों के माध्यम से हेल्थ इंश्योरेंस में बड़ी रकम मिलती थी। इसकी शिकायत सीबीआई को मिली थी। इसके आधार पर सीबीआई ने यह कारर्वाई की है। सूत्रों के मुताबिक हेल्थ इंश्योरेंस कराने के लिए टीपीए से बात करना होती है। टीपीए एक कार्ड देता है। इस कार्ड को दिखाने पर ही अस्तपाल में मरीज भर्ती होता है। मरीज के डिस्चार्ज होने के बाद थर्ड पार्टी एजेंट का काम शुरू होता है। बताया जाता है कि एजेंट अस्पतालों के साथ मिलकर इंश्यारेंस रकम में हेरफेर कर लेते थे। इस तरह बड़ी रकम एजेंट और यूनाईटेड इंश्यारेंस के अफसरों को भी मिलती थी।
एलआईसी में भी था टीपीए:
जानकारी के मुताबिक एलआईसी में टीपीए नियुक्त किए गए थे। लेकिन यूनियन के विरोध के बाद टीपीए सिस्टम को हटा दिया गया था। मालूम हो कि टीपीए और अफसर अब तक करोड़ों हजम कर चुके है।
बीमा कराने थर्ड पार्टी एजेंट किए थे नियुक्त:
सूत्रों के मुताबिक यूनाईटेड इंश्योरेंस लिमिटेड ने अस्पतालों से स्वास्थ्य बीमा कराने के लिए थर्ड पार्टी एजेंट (टीपीए) नियुक्त किए थे। बताया जाता है कि कंपनी के अफसरों को इन ऐजेंटों के माध्यम से हेल्थ इंश्योरेंस में बड़ी रकम मिलती थी। इसकी शिकायत सीबीआई को मिली थी। इसके आधार पर सीबीआई ने यह कारर्वाई की है। सूत्रों के मुताबिक हेल्थ इंश्योरेंस कराने के लिए टीपीए से बात करना होती है। टीपीए एक कार्ड देता है। इस कार्ड को दिखाने पर ही अस्तपाल में मरीज भर्ती होता है। मरीज के डिस्चार्ज होने के बाद थर्ड पार्टी एजेंट का काम शुरू होता है। बताया जाता है कि एजेंट अस्पतालों के साथ मिलकर इंश्यारेंस रकम में हेरफेर कर लेते थे। इस तरह बड़ी रकम एजेंट और यूनाईटेड इंश्यारेंस के अफसरों को भी मिलती थी।
एलआईसी में भी था टीपीए:
जानकारी के मुताबिक एलआईसी में टीपीए नियुक्त किए गए थे। लेकिन यूनियन के विरोध के बाद टीपीए सिस्टम को हटा दिया गया था। मालूम हो कि टीपीए और अफसर अब तक करोड़ों हजम कर चुके है।
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