-हर जिले में बनने थे दो-दो पार्क
-कागजों में ही गैर परंपरागत स्त्रोत विकास की योजना
हेमन्त पटेल, भोपाल।
गैर परंपरागत तरीकों से ऊर्जा उत्सर्जन की विकास योजना कागजों में रह गई है। केंद्र सरकार और ऊर्जा मंत्रालय से स्वीकृति मिलने के बाद भी मध्य प्रदेश के अन्य जिले तो छोड़िए भोपाल में भी ऊर्जा पार्क के लिए जमीन नहीं मिल सकी है।
ऐसे में केंद्र की यह महत्वकांक्षी योजना धरातल पर दम तोड़ती दिखाई दे रही है। यह हाल 8 साल बाद का है। केंद्रीय नवीन एवं नवीनीकरण ऊर्जा मंत्रालय ने प्रदेश ऊर्जा विकास निगम को सभी जिलों में दो ऊर्जा पार्क विकसित करने वर्ष 2005 में मंजूरी दी थी। इस योजना के तहत प्रत्येक पार्क के लिए 5 एकड़ जमीन की आवश्यकता होती। यह जमीन राज्य सरकार को सभी शर्तों के साथ लेनी होती। इसके बाद यहां ऊर्जा पार्क बनाए जाते। गौर करने वाली बात यह है कि इस योजना को धरातल पर अंजाम देनी की अंतिम तारीख फरवरी 2012 थी, जिसे बीते हुए भी 17 माह हो चुके हैं।
-राज्य सरकार की रुचि नहीं
राज्य स्तरीय ऊर्जा पार्क बनाने के लिए ऊर्जा विकास निगम को पांच एकड़ जमीन की जरूरत है। विभाग के उच्च पदस्थ अधिकारियों ने नाम न देने पर बताया, राज्य सरकार ही इसमें रुचि नहीं दिखा रही है। जबकि शासन स्तर पर कई बार रिमांडर भेजे जा चुके हैं। केंद्रीय नवीन एवं नवीनीकरण ऊर्जा मंत्रालय के स्पेशल डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत ऊर्जा के गैर पारंपरिक स्त्रोत और सोलर एनर्जी को बढ़ावा देने के उद्देश्य से पार्क विकसित किए जाने थे। यह पार्कों के क्रियान्वयन का समय फरवरी 2012 तक था।
-आरजीपीवी में बनना था
राजधानी भोपाल में दो स्थान चिन्हित किए गए थे। पहला स्थान आरजीपीवी और दूसरा क्षेत्रीय आंचलिक विज्ञान केंद्र है। ऊर्जा विकास निगम को 2005 में योजना के तहत इसके क्रियान्वयन की मंजूरी मिली थी। इसके तहत केंद्र सरकार से एक करोड़ और राज्य सरकार से 50 लाख रुपए मिलने थे। लेकिन दोनों ही चिन्हित स्थानों पर जमीन नहीं मिल पाई, लिहाजा अब निर्माण के लिए मिली राशि भी डूब चुकी है।
-सब से मांगी जमीन
ऊर्जा विकास निगम बीते सात सालों में राजीव गांधी प्रौघोगिकी विश्वविद्यालय से लेकर आधा दर्जन विभागों से जमीन दिए जाने के संबंध में पत्र व्यवहार कर चुका है। निगम ने नगर निगम, चिनार पार्क, भोपाल हाट, बीएचईएल, एमपीईबी, पर्यटन विकास निगम से ऊर्जा पार्क निर्माण के लिए भूमि मांगी थी। बावजूद इसके किसी भी विभाग ने ऊर्जा प्रोजेक्ट में रुचि नहीं दिखाई। आलम यह हुआ कि प्रोजेक्ट ही खटाई में पड़ गया है।
-जमीन ही नहीं
हां ये बात सही है कि ऊर्जा पार्क योजना की राशि लैप्स हो चुकी है। लेकिन जमीन मिल जाती है तो ऊर्जा पार्क बनने की योजना सफल हो सकती है। इसके लिए विभागों को पहल करनी होगी।
रविकांत सक्सेना, प्रभारी ऊर्जा पार्क
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