देश के श्रमजीवी पत्रकारों की प्रतिनिधि संस्था इंडियन फेडरेशन आॅफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स के राष्ट्रीय सचिव एवं संगठन के उत्तर भारत प्रभारी कृष्ण मोहन झा ने छत्तीसगढ़ क्षेत्र की सुकमा घाटी में हुए नृशंस नक्सली हमले पर राज्य विधानसभा में हुई चर्चा की कार्यवाही के सीधे प्रसारण से मीडिया को प्रतिबंधित करने के फैसले की आलोचना करते हुए इसे प्रेस की स्वतंत्रता पर कुठाराघात निरूपित किया है। झा ने एक वक्तव्य में कहा है कि छत्तीसगढ़ में दो माह पूर्व नक्सलियों के भयावह हमले की घटना झकझोर देने वाली थी जिस पर सदन में विस्तृत चर्चा होनी चाहिये थी और उस पर सदस्यों की भावनाओं एवं सरकार के पक्ष से जनता को अवगत कराया जाना चाहिये था, जो सदन की कारर्वाई के सीधे प्रसारण से ही संभव था। विधानसभा अध्यक्ष ने प्रेस की स्वतंत्रता का हनन करते हुए केवल सरकार द्वारा जारी विवरण को प्रकाशित करने का निर्देश दिया। मीडिया को सजग प्रहरी की भूमिका निर्वाह से रोकना उचित नहीं है। यह गैर संवैधानिक है।
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