मंगलवार, 23 जुलाई 2013

अंतरिम आदेश पारित कर खुलवाया रास्ता

  - जिपं सदस्य को महंगा पड़ा रास्ता बंद करना  
  - तहसीलदार ने मौके पर खड़े रहकर कराई कारर्वाई 
  - ग्रामीणों ने लगाई थी कलेक्टर से गुहार 
भोपाल। 
दबंग जिला पंचायत सदस्य व कांग्रेसी नेता ठाकुर सुरेंद्र सिंह सोलंकी को अपनी ही जमीन में बने रास्ते को बंद करना भारी पड़ गया। दरअसल जिला प्रशासन ने ग्रामवासियों की शिकायत को गंभीरता से लेते हुए बंद किए गए रास्ते को खुलवाने के साथ-साथ भू-राजस्व संहिता की धारा - 131 के तहत अंतरिम आदेश पारित कर उसे स्थाई रास्ता घोषित कर दिया। हालांकि यह रास्ता श्री सोलंकी की निजी भूमि पर ही बना था और उन्होंने अपनी संपत्ति की सुरक्षा के मद्देनजर ही खोद दिया था। इधर बैरसिया तहसीलदार के नेतृत्व में विजावनकलां गांव पहुंचे दल ने खोदे गए रास्ते को मिट्टी से पूरकर, रास्ते को चालू कराया। 

 यह की गई थी शिकायत - 
  गौरतलब है कि सोमवार को बैरसिया तहसील के मेगरा नवीन पंचायत के अंतर्गत आने वाले ग्राम विजावनकलां के ग्रामीणों ने जिले के प्रभारी मंत्री जयंत मलैया, कृषि मंत्री करण सिंह वर्मा, क्षेत्रीय सांसद कैलाश जोशी सहित कलेक्टर व बैरसिया एसडीएम को शिकायती आवेदन प्रस्तुत किए थे। इसमें उन्होंने क्षेत्रीय जिला पंचायत सदस्य व कांग्रेसी नेता ठाकुर सुरेंद्र सिंह सोलंकी के खिलाफ गांव के निस्तारी मार्ग को  खोदकर बंद करने का आरोप लगाया था। उन्होंने बताया था कि  जिला पंचायत सदस्य की शह पर बिजावन गांव के ही कुछ दबंग लोगों ने लगभग 25 एकड़ सरकारी निस्तारी भूमि पर कब्जा कर लिया है। इसी भूमि में शासकीय प्रायमरी स्कूल व रास्ता भी बना है। रास्ते को दबंगों द्वारा बंद किए जाने के कारण स्कूली बच्चों और मवेशियों घर से निकलना भी दूभर हो गया है। 

 यह चली कारर्वाई - एसडीएम बैरसिया आशीष पाठक ने बताया कि कलेक्टर के निर्देश पर तत्काल मामले की जांच की गई। इस दौरान सामने आया कि जिस रास्ते को जिला पंचायत सदस्य ने बंद किया है, वह निजी है। जब श्री सोलंकी से उनसे जानकारी ली गई तो उन्होंने स्वयं बताया कि इस जमीन पर पिछले आठ साल से रास्ता बना हुआ है। जमीन के संरक्षण   को दृष्टिगत रखते हुए रास्ते को बंद किया गया है। हालांकि जिस जमीन से रास्ता निकले करीब 3 साल हो चुके हों। चाहे व जमीन निजी हो या सरकारी। उसको बंद नहीं किया जा सकता है। वह तीन साल बाद पारंपरिक मार्ग हो जाता है। इस नियम को ध्यान में रखते हुए भू-राजस्व संहिता की धारा - 131 के तहत रास्ते को स्थाई रास्ता घोषित कर दिया गया है। आदेश में धारा- 341 का भी उल्लेख किया गया है। इसमें बताया गया है कि यदि इस रास्ते को दोबारा बंद करने का प्रयास किया गया तो संबंधित व्यक्ति के खिलाफ कारर्वाई सुनिश्चित की जाएगी। इसके बाद तहसीलदार के नेतृत्व में एक टीम सीधे मौका स्थल पर पहुंची और खुदे हुए रास्तो को पूरने के बाद रास्ता चालू कर दिया गया। हालांकि इस दौरान थोड़ी बहस जरूर हुई, लेकिन पुलिस बल की मौजूदगी में पूरी कारर्वाई विधिवत रूप से संपन्न हुई।
 

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