विशेष-लेख
* संगीता
देश के विभिन्न हिस्सों में लड़कियों और युवतियों पर तेजाब फेंककर उन्हें कुरूप बनाने का बेहद घिनौना अपराध सरकार के लिये बहुत बड़ी चुनौती बन रहा था। इससे निबटने की कवायद के दौरान ही केंद्र सरकार ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुये भारतीय दंड संहिता में दो नयी धारायें जोड़ने का निश्चय किया था। इस तरह की घटनाओं पर देश की शीर्ष अदालत ने कड़ा रूख अपनाया है। संसद ने भारतीय दंड संहिता की धारा 326 में संशोधन कर इसमें धारा 326 क और धारा 326 ख जोड़ने संबंधी विधेयक को मंजूरी दी जिसे दो अप्रैल को राष्ट्रपति की संस्तुति भी मिल गयी। धारा 326 खतरनाक हथियारों से चोट पहुंचाने से संबंधित है। इस धारा के तहत ऐसे अपराध के लिए दस साल से लेकर उम्र कैद तक की सज़ा का प्रावधान है। सरकार ने भारतीय दंड संहिता में संशोधन करने का यह निर्णय विधि आयोग की रिपोर्ट के आधार पर लिया था।
विधि आयोग ने अपनी रिपोर्ट में इस अपराध के लिए कम से कम दस साल और अधिकतम उम्र कैद की सज़ा और दस लाख रूपए जुर्माने की सिफारिश की थी। आयोग ने जुर्माने की यह राशि पीड़ित को देने का प्रावधान कानून में ही करने का सुझाव दिया था।
विधि आयोग ने कई देशों के कानूनों की छानबीन के बाद अपनी रिपोर्ट तैयार की थी। आयोग का मत था कि तेजाब के हमले के पीड़ितों के लिए ही नहीं बल्कि बलात्कार और यौन उत्पीड़न जैसे अपराधों से पीड़ित को भी मुआवजा दिलाने और उनके पुनर्वास के लिए देश में केंद्र, राज्य और जिला स्तर पर मुआवजा बोर्ड बनाने की आवश्यकता है।
भारतीय दंड संहिता में शामिल धारा 326 क का संबंध किसी व्यक्ति द्वारा जानबूझ कर किसी व्यक्ति पर तेजाब फेंक उसे स्थाई या आंशिक रूप से उसे कुरूप बनाये या शरीर के विभिन्न अंगों को गंभीर रूप से जख्मी करने जाने से है। यह एक संज्ञेय और गैर जमानती अपराध है और इसके लिये दोषी व्यक्ति को कम से कम दस साल और अधिकतम उम्र कैद की सज़ा हो सकती है। इसके साथ ही उस पर उचित जुर्माना भी किया जायेगा और जुर्माने की रकम पीड़ित को देने का इसमें प्रावधान है।
धारा 326 ख का संबंध किसी व्यक्ति द्वारा जानबूझ कर किसी व्यक्ति पर तेजाब फेंकने या तेजाब फेंकने के प्रयास के अपराध से है। यह भी संज्ञेय और गैर जमानती अपराध है और इसके लिये कम से कम पाँच साल और अधिकतम सात साल तक की सज़ा हो सकती है। इसके अलावा दोषी पर जुर्माना भी किया जाएगा।
यह सही है कि सरकार ने तेजाब के हमले की बढ़ती घटनाओं से निबटने के लिये इसे भारतीय दंड संहिता की धारा 326 में शामिल कर लिया था। तेजाब के दायरे से सभी क्षयकारक और ज्वलनशील प्रकृति के पदार्थों को शामिल किया गया है।
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