23 दिन बाद दिखी दफ्तरों में बाबूओं की हलचल
-दिन भर आगे पीछे दौड़ते रहे लोग
भोपाल।
सरकारी दफ्तरों में एक बार फिर बाबूगिरी शुरू हो गई है। 23 दिन की हड़ताल के बाद शनिवार को काम पर जब लिपिक कार्यालयों में लौटे तो फाइलों के गठे पर गठे देखने को मिले। आवक जावक शाखा में ज्यादा फाइलें डिस्पेच हुई। हड़ताल के बाद से यहां काम थम सा गया था। वहीं लोग अपना काम कराने बाबू के आगे पीछे दौड़ते दिखाई दिए।
ेमंत्रालय, कलेक्टोरेट, सभी सर्किल कार्यालय, हुजूर तहसील, आरटीओ सहित अन्य सभी शासकीय दफ्तरों में हलचल भर माहौल दिखा। काम पर बाबू लौटे तो सही, लेकिन वह अधिकांश काम से कतराते दिखे। कईयों ने तो छुट्टी जैसा ही शनिवार समझा और लोगों को भी समझा दिया कि आज शनिवार है सोमवार को आना। प्रदेश के लिपिक वर्गीय शासकीय कर्मचारी 4 जुलाई से हड़ताल पर चल रहे थे। शुक्रवार शाम 4 बजे इन्होंने मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव मनोज श्रीवास्तव से मिलने के बाद हड़ताल खत्म कर दी थी। इन 23 दिनों में कामकाज लगभग कछुआ चाल हो गया था। कलेक्टर कार्यालय में तो इस दौरान मंगलवार को होने वाली जनसुनवाई में अधिकारियों के निजी स्टॉफ ने बाबूओं के काम किए। इस हड़ताल में लगभग 65 हजार कर्मचारी शामिल थे।
-30 लाख फाइलें
हड़ताल के इन 23 दिनों में एक मोटे आंकड़े के हिसाब से बात करें तो 30 लाख फाइलें टेबल से चलने की बांट जोह रही हैं। यह बाबूओं के पास अतिरिक्त बोझ होगा। फाइलें किस गति से निपटाएंगे? इस सवाल पर नापतौल विभाग के उमाशंकर तिवारी ने कहा, स्वाभाविक तौर पर यह बड़ा काम होगा। लेकिन सहयोगियों को तेजी लाने को कहा जाएगा।
-सावन सोमवार से तेजी
काम पर लौटने पर लिपिकों का यह सावन का सोमवार होगा। सोमवार से कर्मचारियों के काम की विधिवत काम की शुरुआत होगी। उम्मीद है जिस तरह लिपिक कर्मचारी संघ ने आश्वासन दिया है, उसी हिसाब से काम में तेजी दिखाई देगी।
-फिर आंदोलन
संगठन के अध्यक्ष एमएल मिश्रा ने कहा, 15 अगस्त तक सरकार ने मांग पूरी करने का आश्वासन दिया है। यदि हमारी मांग नहीं मानी जाती है तो 16 अगस्त से फिर वह लिपिकों के हक के लिए मैदान में आने के लिए मजबूर होंगे। लिपिकों की हड़ताल खत्म होने से कई संगठन के नेता असमंजस में पड़ गए है। मंत्रालयीन कर्मचारी संगठन के साथ ही कई अन्य विभागों से संबद्ध संगठन लिपिकों के समर्थन में उतरकर अपनी मांगे बुलंद करने की योजना बना रहे थे।
कमर्चारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा का स मेलन आज
मप्र राज्य कमर्चारी अधिकारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा का स मेलन 28 जुलाई को महात्मा ज्योतिबा फुले भवन में होगा। स मेलन में कमर्चारियों की विभिन्न मांगों पर चर्चा के अलावा मोर्चा की प्रांतीय कायर्कारिणी का गठन किया जाएगा। मोर्चा की प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य अशोक पांडे व श्यामसुंदर शर्मा ने बताया कि स मेलन के दौरान गैर मान्यता प्राप्त संघों की मांगों से जुड़ा संयुक्त ज्ञापन तैयार किया जाएगा। कमर्चारियों की 51 सूत्रीय मांगों के निपटारे के लिए मु यमंत्री को मांग पत्र सौंपा जाएगा।
दिल्ली, लखनउ, भोपाल में सबसे ज्यादा सर्च होता है सेक्स
-गूगल ने जारी की देश के टॉप सात शहरों की सूची
भोपाल।
देश की राजधानी दिल्ली, उत्तर प्रदेश के लखनउ और मप्र के भोपाल में सबसे ज्यादा सेक्स सर्च किया जाता है। सबसे बड़े सर्च इंजन गूगल ने यह आंकड़े जारी किए हैं। भारत में बढ़ते नेट यूजर और उनके लारा किस प्रकार की सामग्री सर्च की जा रही है। इसको लेकर सूची तैयार की गई है।
गूगल ने जारी रिपोर्ट में बताया, बीते पांच सालों में लव के स्थान पोर्न व सेक्स बेहद चर्चित की-वर्ड रहे हैं। इसके बाद गर्ल्स/वूमन हैं। एशियाई देशों में वर्तमान ट्रेंड के हिसाब से यह सर्च किया गया था। सर्वे अनुसार टॉप 10 शहरों में से 7 भारत हैं। इन शहरों में हर दूसरे सेंकड में पोर्न सर्च किया जा रहा है। हालांकि आॅनलाइन कितने लोग पोर्न देखते अथवा डाउन लोड कर रहे हैं। यह रिपोर्ट में नहीं दर्शाया है। गूगल रीजन, शहर और भाषा के आधार पर रैकिंग तय करती है। गूगल ट्रेंड भाषा और एरिया तय करने के लिए सैंपल देखती है कि किस जगह से क्या सर्च किया गया। इसमें यह भी देखा जाता है कि पहले टर्म के लिए किस की-वर्ड के साथ सबसे ज्यादा किसे सर्च किया। दुनिया भर में 7 करोड़ से अधिक लोग पोर्न देखते हैं। इसका 13 प्रतिशत भारत में है।
-यह है टॉप 7 शहर
दिल्ली, लखनउ, भोपाल, कोलकाता, मैंगलोर, सूरत और पटना। गूगल ट्रेंड के हिसाब से इन सातों शहरों में सबसे ज्यादा सेक्स सर्च किया जाता है। देश में सर्च किए जाने वाली सामग्री में 30 प्रतिशत अश्लील होती है। इसमें फोटो, वीडियो, खबरें व अश्लील प्रकाशन शामिल हैं।
...और चीन में हुआ ये
हम हमारे पड़ोसी मुल्क चीन की बात करें तो, वहां अश्लील साइट पूरी तरह बेन कर दी गई हैं। वहां सरकार ने साइट्स संचालन के लिए नियम भी बना दिए हैं कि यदि उन पर किसी भी प्रकार की आपत्ति जन समाग्री किसी भी रूप में लोड की जाती है तो उसे बंद कर दिया जाएगा। चीन ने बीते साल ही एक लाख 80 हजार आॅन लाइन साइट्स पर प्रतिबंध लगा दिया। साथ ही 10 हजार वेबसाइट्स को नियम और कानून के उल्लघंन पर दंडित किया गया। लेकिन भारत में आॅन लाइन रोक संबंधित कोई कानून सक्रिय नहीं है। आलम यह है, इसी के चलते भारत में 60 फीसदी लोग सहजता से अश्लील वीडियो देखते हैं।
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