-एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में अधिकारियों को दी महानिदेशक दास ने जानकारी
-पेड न्यूज, शराब व उपहार वितरण पर रोक लगाने का काम राजनीतिक दलों का
-आचार संहिता के साथ ही सक्रिय होंगे उड़न दस्ते व विजीलेंस टीम
भोपाल।
चुनाव के दौरान पूर्व में बूथ केप्चरिंग जैसी समस्या सामने आती थी, अब यह समाप्त हो चुकी है। लेकिन निर्वाचन पर व्यय पर निगरानी अब प्रमुख मुद्दा व चुनौती बनकर उभरा है। आयोग विधानसभा चुनाव में एंटी मनी के इस्तेमाल को लेकर सख्त है। चुनाव में कालेधन के उपयोग पर आयोग की 24 घंटे नजर रहेगी। इसके लिए आयोग के उड़न दस्तों सहित अन्य विजीलेंस टीम सक्रिय हो जाएगी। यह बात भारत निर्वाचन आयोग के महानिदेशक केपी दास ने कही।
शाहपुरा स्थित प्रशासन अकादमी में एक दिवसीय ‘निर्वाचन व्यय पर निगरानी संबंधी राज्य-स्तरीय कार्यशाला’ में श्री दास अधिकारियों को जानकारी दे रहे थे। उन्होंने कहा, भारतीय लोकतंत्र की मजबूती के लिए चुनाव में काले धन के इस्तेमाल पर इस बार कड़ी निगरानी रहेगी। इस दौरान यहां आयकर, केंद्रीय उत्पाद शुल्क, सीमा शुल्क एवं जिला-स्तरीय व्यय निगरानी नोडल अधिकारियों ने भाग लिया। कार्यशाला का शुभारंभ मप्र के मुख्य आयकर आयुक्त एके जैन ने किया। कार्यक्रम में मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी जयदीप गोविंद, आयोग के निदेशक बीबी गर्ग, विधिक सलाहकार एसके मेहंदीरत्ता, अकादमी के संचालक राकेश अग्रवाल आदि उपस्थित थे।
-पैसा और पॉलिटिक्स ठीक नहीं
चुनाव में काले धन के इस्तेमाल पर वे बोले, इसके नियंत्रण के लिए इनकम टैक्स, कस्टम जैसी एजेंसियों को तैनात किया जा रहा है। प्रतिनिधि अपनी सीमा से अधिक राशि चुनाव के प्रचार-प्रसार पर कैसे खर्च करता है, यह आयोग के लिए एक गंभीर चुनौती है, जबकि एक प्रत्याशी की व्यय सीमा 16 लाख रुपए निर्धारित है। इसके बेजा इस्तेमाल पर रोक के लिए कानून भी है। बावजूद इसके निर्वाचन व्यय पर निगरानी के लिए कारगर उपाय करने की आवश्यकता है। इस एंटी मनी का उपयोग अलग-अलग तरीकों से होता है। कई बार हेलीकॉप्टर, एम्बुलेंस, शव-यात्रा वाहन, व्यावसायिक प्रतिष्ठानों आदि का भी भी उपयोग होता है। इस बार से इस पर भी निगरानी रखी जाएगी। दास ने कहा, इस पर निगरानी रखने के लिए अधिकारियों को अपने सूचना-तंत्र मजबूत करने होंगे। व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के लेन-देन पर भी नजर रखनी होगी।
-चुनना होगा लोक सेवक
कार्यशाला के दौरान एके जैन ने कहा, चुनाव में ऐसे प्रतिनिधि भी खड़े हो जाते हैं, जो स्वयं सेव होते हैं। यह लोक सेवक कतई नहीं होते। पर चुनाव करता को चाहिए कि वह लोक-सेवा को चुने। पिछले चुनावों से चुनाव प्रक्रिया में पैसे का बेजा इस्तेमाल हो रहा है। उन्होंने अधिकारियों से अपेक्षा की कि वे देश के जि मेदार नागरिक होने के नाते निर्वाचन व्यय पर निगरानी के कार्य को गंभीरता से लें।
-नई पद्धति से निगरानी
कार्यशाला में जयदीप गोविंद ने बताया कि निर्वाचन व्यय पर निगरानी को एक नई पद्धति और योजना के साथ प्रदेश में लागू किया जा रहा है। उन्होंने निर्वाचन व्यय पर निगरानी को निष्पक्ष चुनाव के लिये महत्वपूर्ण बताया। आगामी चुनाव के लिये पहली बार जिला-स्तरीय व्यय निगरानी नोडल अधिकारी तैनात किए गए हैं। चुनाव में खर्च की निगरानी के लिए अधिकारियों को निर्धारित माड्यूल के अनुसार ट्रेनिंग की पुख्ता व्यवस्था की गई है।
-राजनीतिक दलों से की चर्चा
कार्याशाला के दौरान मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक में पीके दास ने उन्हें कहा, चुनाव के दौरान धन-बल के दुरुपयोग को रोकने के लिए जो कदम आयोग ने उठाए हैं उसमें सहयोग दें। उन्होंने बताया, भारत में चुनावों पर काले धन का इस्तेमाल विदेशों की अपेक्षा कहीं ज्यादा है। काले धन का इस्तेमाल पेड न्यूज, शराब और उपहार वितरण आदि पर किया जाता है। एक सीमा तक धनराशि का परिवहन कानूनी अपराध नहीं है, लेकिन चुनाव में अपने फायदे के लिये अधिक मात्रा में उसका इस्तेमाल अपराध है। विधानसभा चुनाव में प्रत्येक प्रत्याशी का चुनाव खर्च 16 लाख व लोकसभा के लिए 40 लाख तय किया गया है।
जिला कलेक्टरों से चर्चा:
पीके दास और जयदीप गोविंद ने जिला कलेक्टरों से वीडियो कान्फ्रेंसिंग द्वारा हुई चर्चा में चुनाव में काले धन के उपयोग को रोकने की दिशा में आयोग के निर्देशों का कड़ाई से पालन करवाने को कहा। चुनाव की घोषणा के पूर्व ही लाइंग स्क्वाड, सविर्लेंस टीम को प्रशिक्षित किया जाये। दिन-प्रतिदिन के व्यय-ले ो की जानकारी के लिये सभी जिले स्टेशनरी तैयार र ों। उन्होंने आयोग के निर्वाचन संबंधी दिशा-निर्देशों का संग्रहण भी रखने को कहा।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें