-हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार से मांगा जवाब
भोपाल।
ईदगाह हिल्स की 600 एकड़ जमीन किस आधार पर शासकीय घोषित की गई? इसके क्या तथ्य है और तत्कालीन भोपाल कलेक्टर ने वर्ष 2001 में ऐसा क्या देखा जिसके जरिए उन्होंने इसे शासकीय घोषित किया? जबलपुर हाईकोर्ट ने बुधवार को यह सवाल प्रदेश सरकार से पूछे। कोर्ट ने इन सवालों के जवाब देने को कहा है।
कोर्ट ने पूछा हैं वर्ष 2001 में किस कानूनी अधिकार के तहत ईदगाह हिल्स की भूमि को सरकारी घोषित किया? साथ ही कमिश्नर भोपाल संभाग के पत्र दिनांक 26/3/1974 के पालन और प्रभाव की स्थिती क्या है? आदि पूछा है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता की संपत्ति को अतिक्रमण मानकर तोड़ने? संबंधी दिए गए नोटिस के पालन पर भी रोक लगा दी है। अगली सुनवाई में सरकारी पक्ष को तथ्यों सहित जवाब प्रस्तुत करना है।
-इस पर दिया जजमेंट
कोर्ट ने ईदगाह हिल्स निवासी तारा वाधवानी की याचिका पर जजमेंट दिया है। अधिवक्ता जगदीश छावानी ने बताया, उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई थी। इसमें तत्कालीन जिला कलेक्टर, भोपाल ने 21/8/2001 को बिना किसी कानूनी अधिकार के ईदगाह हिल्स की भूमि को निजी से सरकारी होने के आदेश जारी किए हैं। इस तरह के आदेश जारी करने से पूर्व न तो किसी भी प्रभावित पक्षकार को सुना गया और न ही किसी भी प्रभावित पक्ष को नोटिस जारी किया गया। इस बात का उल्लेख किया गया था। हालांकि जिला कलेक्टर से वरिष्ठ अधिकारी आयुक्त भोपाल संभाग ने 26/3/1974 का जिला कलेक्टर और नजूल अधिकारी को पत्र जारी करके इस आधार पर एनओसी जारी करने के निर्देश दिए थे। इसमें स्पष्ट था कि ईदगाह हिल्स की भूमि सरकारी नहीं, बल्कि निजी स्वामित्व की है। इसी आधार पर ईदगाह हिल्स पर एनओसी और भवन अनुज्ञाएं जारी की गई थीं। फिर भी तत्कालीन कलेक्टर भोपाल ने वर्ष 2001 में अपने वरिष्ठ अधिकारी के निर्देश के विरुद्ध जाकर विवादास्पद आदेश जारी किया। याचिका में प्रमुख सचिव राजस्व विभाग और आयुक्त भोपाल संभाग, कलेक्टर जिला भोपाल और तहसीलदार (नजूल) बैरागढ़ वृत्त को पक्षकार बनाया गया है।
-यह निर्देश मिले
अधिवक्ता जगदीश छावानी ने बताया, हाईकोर्ट ने तारा वाधवानी की याचिका पर निर्देश देते हुए सरकार से पूछा है, भोपाल जिले के तत्कालीन कलेक्टर ने वर्ष 2001 में किस कानूनी अधिकार के तहत ईदगाह हिल्स की भूमि को सरकारी घोषित किया? कमिश्नर भोपाल संभाग के पत्र 26/3/1974 के पालन और प्रभाव की स्थिती क्या है? साथ ही कोर्ट ने मकान तोड़ने के नोटिस को शून्य करार देते हुए इसके पालन पर रोक लगा दी है। अगली सुनवाई पर सरकारी पक्ष से जवाब मांगा है।
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