बुधवार, 17 जुलाई 2013

जीओएम फसल बिल संसद में पारित होने से रोकने की पहल करें

-कृषि मंत्री डा. रामकृष्ण कुसमरिया ने अन्ना हजारे को लि ाा पत्र 
प्रशासनिक संवाददाता, भोपाल 
किसान-कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री डा. रामकृष्ण कुसमरिया ने सामाजिक कार्यकत्र्ता अन्ना हजारे को पत्र लि ाकर अनुरोध किया है कि एग्रीकल्चर बॉयो सिक्योरिटी बिल तथा बायो टेक्नालॉजी अथॉरिटी आॅफ इण्डिया जैसे बिल संसद में पारित होने से रोकने की पहल करें। कुसमरिया ने कहा है कि इन बिलों के पारित होने से देश में जीओएम फसलों को पिछले दरवाजे से लाने से किसानों का अपना बीज समाप्त हो जायेगा और किसान बहु-राष्ट्रीय क पनियों के गुलाम हो जायेंगे। डा. कुसमरिया ने अपने पत्र में कहा है कि देश की 64 प्रतिशत आबादी पूणर्त: कृषि तथा कृषि आधारित कुटीर उद्योगों पर निर्भर है। अमेरिका और यूरोपीय देशों की कुदृष्टि भारत को एक बार फिर से गुलाम बनाने की है। भारत की अर्थ-व्यवस्था की रीढ़ ोती है, जो राष्ट्र इस देश के ोती के संसाधनों पर कब्जा कर लेगा, वह इस देश की 64 प्रतिशत आबादी को भी अपने हिसाब से नियंत्रित कर सकेगा।
डा. कुसमरिया ने बताया है कि अमेरिका और यूरोप के देश मोनसेन्टो और कारगिल जैसी क पनियों के माध्यम से हमारे किसानों की पर परागत बीज व्यवस्था, ोती के कालचक्र, पर परागत उर्वरक व्यवस्था आदि को परिवर्तित करने में सफल हो गये हैं। बीटी कॉटन जैसी फसलों के लिये किसानों को बहु-राष्ट्रीय क पनियों से बीज और दवाइयां ारीदना पड़ती हैं। डा. कुसमरिया ने हजारे से कहा है कि प्रारंभिक बढ़े हुए उत्पादन की स्थिति के बाद इन फसलों की बढ़ती हुई लागत तथा घटते हुए उत्पादन  महाराष्ट्र तथा गुजरात में किसानों की आत्म-हत्याओं की स्थिति से वे परिचित ही हैं।
बॉयो-डायवसिर्टी नष्ट होगी:
डा. कुसमरिया ने पत्र में कहा है कि केन्द्र सरकार द्वारा पूर्व में अनुवांशिक अंतरित फसलों जैसे बीटी बैंगन और वतर्मान में बीटी केला लाये जाने के प्रयास हुए हैं, जिनके परीक्षणों पर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा रोक लगाई गई है। इस प्रकार की फसलें मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण की दृष्टि से बहुत नुकसानदायी हैं। ऐसा विश्व भर के वैज्ञानिकों के प्रयोग से स्थापित हो चुका है। इन जीओएम फसलों से भारत देश की बॉयो-डायवसिर्टी नष्ट होगी। इसके लिये हमारी जैव-स पदा बचाना जरूरी है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें