रविवार, 8 सितंबर 2013

आसाराम के मानव अधिकारों हुआ है हनन


अहमदाबाद आश्रम के व्यवस्थापक ने मप्र मानवाधिकार आयोग में लगाई गुहार


 आसाराम आश्रम साबरमती अहमदाबाद के व्यवस्थापक ने इंदौर और जोधपुर पुलिस पर आसाराम के मानवाधिकार के हनन का आरोप लगाते हुए मप्र मानवाधिकार आयोग में न्याय की गुहार लगाई है। उनका कहना है कि आसाराम के साथ पुलिस ने अमानवीय व्यवहार किया है। व्यवस्थापक ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, राजस्थान मानवाधिकार आयोग, मुख्यमंत्री राजस्थान और मप्र के मुख्यमंत्री को भी आवेदन देकर इंदौर और जोधपुर पुलिस के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।
 आवेदन में आश्रम के व्यवस्थापक केके भगत ने कहा है कि 75 वर्षीय आशाराम को ट्राइजेमिनल न्यूरेल्जिया और ह्रदय रोग की शिकायत है। इसके बावजूद पुलिस उन्हें गाड़ी में ठूसकर इंदौर आश्रम से एयरपोर्ट ले गई। पुलिस को पता था कि उस समय कोई फ्लाइट नहीं है। उन्हें एयरपोर्ट पर कई घंटों बिठाकर रखा गया। भगत का कहना है कि संबंधित मामले में आश्रम प्रबंधन और आसाराम पुलिस को सहयोग कर रहे थे। आसाराम ने कहा था कि वो जोधपुर जाने को तैयार हैं।  मप्र और राजस्थान पुलिस के बीच आसाराम को सुबह सात बजे आश्रम से ले जाने की बात तय हुई थी लेकिन पुलिस ने अपना प्रोग्राम बदल दिया और उन्हें धोखे से मध्यरात्रि को अभद्र व्यवहार करते हुए घसीटकर ले जाया गया।
 आयोग के कार्यक्षेत्र के बाहर का मामला
 मानवाधिकार आयोग के रजिस्ट्रार लॉ एचके दुबे का कहना है कि भगत ने जोधपुर और इंदौर पुलिस के खिलाफ शिकायत की है। चूंकि ये मामला जोधपुर यानि राजस्थान का है। भगत ने मुख्य रूप से जोधपुर पुलिस पर मानवाधिकार हनन का आरोप लगाया है।  इंदौर पुलिस ने तो जोधपुर पुलिस का सहयोग कर कत्र्तव्य का पालन किया है, इस कारण आयोग इंदौर पुलिस को दोषी नहीं मानता। वहीं, जोधपुर पुलिस के खिलाफ की गई शिकायत मप्र मानवाधिकार आयोग के कार्यक्षेत्र के बाहर है। इस कारण आयोग ने केस नस्तीबद्ध कर इसकी जानकारी राष्ट्रीय मानवधिकार आयोग और राजस्थान मानवाधिकार आयोग को भेज दी है।

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