तीन साल बाद राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी आईएएस बनेंगे। इस डीपीसी में एक मृत व्यक्ति के नाम पर भी विचार हो गया है। मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार कुछ अधिकारियों को लाभ पहुंचाने की गरज से यह षडयंत्र प्रदेश के वरिष्ठ अधिकारियों ने रचा।
रामदेव चौबे इनकी मृत्यु हो चुकी है, लेकिन उनके नाम पर विचार हुआ है। अब सवाल उठता है श्री चौबे का नाम कैसे डीपीसी में शामिल किया गया। दूसरी ओर इस बार डीपीसी जिन अधिकारियों के नाम को लेकर संदेह है, उनमें श्रीमती मंगला भालेराव, पन्नालाल सोलंकी, परम सिंह जाटव, निसार अहमद, पतिराम कतरौलिया, श्रीनिवास शर्मा, विनोद कुमार शर्मा, भगत सिंह कुलेश शामिल हैं। इनमें से किसी कारण से योग्य उम्मीदवार घोषित नहीं होते हैं तो फिर अजय सिंह गंगवार एवं श्रीमती अरुणा गुप्ता को आईएएस ग्रेड में शामिल किए जाने का रास्ता साफ होगा।
रामदेव चौबे इनकी मृत्यु हो चुकी है, लेकिन उनके नाम पर विचार हुआ है। अब सवाल उठता है श्री चौबे का नाम कैसे डीपीसी में शामिल किया गया। दूसरी ओर इस बार डीपीसी जिन अधिकारियों के नाम को लेकर संदेह है, उनमें श्रीमती मंगला भालेराव, पन्नालाल सोलंकी, परम सिंह जाटव, निसार अहमद, पतिराम कतरौलिया, श्रीनिवास शर्मा, विनोद कुमार शर्मा, भगत सिंह कुलेश शामिल हैं। इनमें से किसी कारण से योग्य उम्मीदवार घोषित नहीं होते हैं तो फिर अजय सिंह गंगवार एवं श्रीमती अरुणा गुप्ता को आईएएस ग्रेड में शामिल किए जाने का रास्ता साफ होगा।
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