-मूल्य विरोध समिति की रिपोर्ट में सामने आई सच्चाई
भोपाल।
जिले में जमीनों के दामों में 10 नहीं, बल्कि 500 से एक हजार फीसदी तक दामों में बढ़ोत्तरी हुई है। जमीन की गाइडलाइन के जरिए बीते तीन सालों में यह वृद्धि की गई है। मूल्य वृद्धि की यह रिपोर्ट जिला मूल्य विरोध समिति ने तैयार की है।
रिपोर्ट में हर साल बढ़ाए गए दामों का अध्ययन किया गया। जिला स्तरीय मूल्य वृद्धि विरोध समिति के संयोजक राजेश जैन ने कहा, सरकारी हाथ बंद कमरे में भाव तय करते हैं। गाइडलाइन में कैसे दाम रखें जाएं, जिससे मध्यम और निम्न वर्ग आय वाले लोगों को आशियाने का सपना केवल सपना न लगे। इस ओर ध्यान ही नहीं दिया जा रहा है। बेतहाशा मूल्य वृद्धि से आम व्यक्ति के घर बनाने की इच्छा तोड़कर रख दिया है। श्री जैन ने बताया, एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की गई है, जो जल्द कलेक्टर निशांत वरवड़े को सौंपी जाएगी। साथ केंद्रीय मूल्यांकन समिति को भी इससे अवगत कराया जाएगा।
-उड़ जाते हैं होश
शहर में जमीन के दाम बढ़ाने को लेकर एक ही ढर्रा अपनाया गया है। इसी के चलते पांच सौ से हजार प्रतिशत वृद्धि हुई। श्री जैन ने बताया, समिति ने अध्ययन में पाया और एक रिपोर्ट तैयार की जिसमें निकला दरें निर्धारण का तरीका वैज्ञानिक नहीं था। दूसरा मौलिक चीचों का ध्यान नहीं रखा गया। सात साल पहले बनी कलेक्टर गाइड लाइन व चालू वित्तीय वर्ष की गाइड लाइन को देखें तो तो होश उड़ जाते हैं।
-ऐसे बढ़े दाम
श्री जैन ने बताया, वित्तीय वर्ष 2006-07 में बिट्ठल नगर में जमीनों की दरें गाइडलाइन में 24 सौ वर्गमीटर थी, जो वित्तीय वर्ष 25 हजार वर्ग मीटर है। यहां जमीनों की दरों में करीब एक हजार प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसी तरह जैन नगर अमृतपुरी में 2006-07 में 26 सौ वर्ग मीटर जमीनों की दरें थी, जो 2013-14 में बढ़ कर 25 हजार रुपए वगर्मीटर हो गई। यहां करीब एक हजार प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है। सावन नगर में 2006-07 में 4 हजार रूपए वर्ग मीटर थी, जो वित्तीय वर्ष 13-14 में बढ़ कर 25 हजार रुपए वर्ग मीटर हो गई। राजस्व बढ़ाने के लिए वर्ग फीट के आधार पर स्टॉप शुल्क वसूला जाता है। जो आम आदमी समझ ही नहीं पाता है।
-धीमा हुआ व्यापार
जिला स्तरीय मूल्यांकन विरोध समिति के सदस्यों का कहना है, कलेक्टर गाइड लाइन में बेतहाशा वृद्धि के चलते ही रियल स्टेट के करोबार में कोई बड़ी कंपनी के काम धीमे हुए हैं। अध्ययन के अनुसार गोदरमऊ व पीपलनेर में गत तीन सालों में जमीनों की दरों में हुई बेतहाशा वृद्धि के चलते नाम मात्र की जमीन भी नहीं बिक पा रही है। दोनों स्थानों में गाइडलाइन में 790 वर्गफीट की दर तय है। वहीं वास्तविकता में यहां साढ़े तीन सौ व चार सौ रुपए से अधिक दाम नहीं बढ़े हैं।
-टैक्स की मार आम जनता पर
राजेश जैन ने बताया कि जमीन की गाइडलाइन के आधार पर ही सारे टैक्स लगने लगे हैं। इनकम टैक्स, संपत्तिकर, नामातंरण शुल्क, डायवर्सन शुल्क, सर्विस टैक्स, सेल्स टैक्स स ाी का आधार गाइडलाइन के रेट बन रहे हैं, जो आम जनता पर ाारी पड़ रहे हैं। गाइडलाइन में प्रस्तावित स्लैब रेट ाी ारीददारों को रूला रहा है। एक एकड़ जमीन के चार ारीददार होने पर उसकी रजिस्ट्री प्लाट के रूप में कर दी जाती है। ऐसे में न तो जमीन लेने वाले सामने आ रहे हैं और न ही कोई निवेश करने आ रहा है।
भोपाल।
जिले में जमीनों के दामों में 10 नहीं, बल्कि 500 से एक हजार फीसदी तक दामों में बढ़ोत्तरी हुई है। जमीन की गाइडलाइन के जरिए बीते तीन सालों में यह वृद्धि की गई है। मूल्य वृद्धि की यह रिपोर्ट जिला मूल्य विरोध समिति ने तैयार की है।
रिपोर्ट में हर साल बढ़ाए गए दामों का अध्ययन किया गया। जिला स्तरीय मूल्य वृद्धि विरोध समिति के संयोजक राजेश जैन ने कहा, सरकारी हाथ बंद कमरे में भाव तय करते हैं। गाइडलाइन में कैसे दाम रखें जाएं, जिससे मध्यम और निम्न वर्ग आय वाले लोगों को आशियाने का सपना केवल सपना न लगे। इस ओर ध्यान ही नहीं दिया जा रहा है। बेतहाशा मूल्य वृद्धि से आम व्यक्ति के घर बनाने की इच्छा तोड़कर रख दिया है। श्री जैन ने बताया, एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की गई है, जो जल्द कलेक्टर निशांत वरवड़े को सौंपी जाएगी। साथ केंद्रीय मूल्यांकन समिति को भी इससे अवगत कराया जाएगा।
-उड़ जाते हैं होश
शहर में जमीन के दाम बढ़ाने को लेकर एक ही ढर्रा अपनाया गया है। इसी के चलते पांच सौ से हजार प्रतिशत वृद्धि हुई। श्री जैन ने बताया, समिति ने अध्ययन में पाया और एक रिपोर्ट तैयार की जिसमें निकला दरें निर्धारण का तरीका वैज्ञानिक नहीं था। दूसरा मौलिक चीचों का ध्यान नहीं रखा गया। सात साल पहले बनी कलेक्टर गाइड लाइन व चालू वित्तीय वर्ष की गाइड लाइन को देखें तो तो होश उड़ जाते हैं।
-ऐसे बढ़े दाम
श्री जैन ने बताया, वित्तीय वर्ष 2006-07 में बिट्ठल नगर में जमीनों की दरें गाइडलाइन में 24 सौ वर्गमीटर थी, जो वित्तीय वर्ष 25 हजार वर्ग मीटर है। यहां जमीनों की दरों में करीब एक हजार प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसी तरह जैन नगर अमृतपुरी में 2006-07 में 26 सौ वर्ग मीटर जमीनों की दरें थी, जो 2013-14 में बढ़ कर 25 हजार रुपए वगर्मीटर हो गई। यहां करीब एक हजार प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है। सावन नगर में 2006-07 में 4 हजार रूपए वर्ग मीटर थी, जो वित्तीय वर्ष 13-14 में बढ़ कर 25 हजार रुपए वर्ग मीटर हो गई। राजस्व बढ़ाने के लिए वर्ग फीट के आधार पर स्टॉप शुल्क वसूला जाता है। जो आम आदमी समझ ही नहीं पाता है।
-धीमा हुआ व्यापार
जिला स्तरीय मूल्यांकन विरोध समिति के सदस्यों का कहना है, कलेक्टर गाइड लाइन में बेतहाशा वृद्धि के चलते ही रियल स्टेट के करोबार में कोई बड़ी कंपनी के काम धीमे हुए हैं। अध्ययन के अनुसार गोदरमऊ व पीपलनेर में गत तीन सालों में जमीनों की दरों में हुई बेतहाशा वृद्धि के चलते नाम मात्र की जमीन भी नहीं बिक पा रही है। दोनों स्थानों में गाइडलाइन में 790 वर्गफीट की दर तय है। वहीं वास्तविकता में यहां साढ़े तीन सौ व चार सौ रुपए से अधिक दाम नहीं बढ़े हैं।
-टैक्स की मार आम जनता पर
राजेश जैन ने बताया कि जमीन की गाइडलाइन के आधार पर ही सारे टैक्स लगने लगे हैं। इनकम टैक्स, संपत्तिकर, नामातंरण शुल्क, डायवर्सन शुल्क, सर्विस टैक्स, सेल्स टैक्स स ाी का आधार गाइडलाइन के रेट बन रहे हैं, जो आम जनता पर ाारी पड़ रहे हैं। गाइडलाइन में प्रस्तावित स्लैब रेट ाी ारीददारों को रूला रहा है। एक एकड़ जमीन के चार ारीददार होने पर उसकी रजिस्ट्री प्लाट के रूप में कर दी जाती है। ऐसे में न तो जमीन लेने वाले सामने आ रहे हैं और न ही कोई निवेश करने आ रहा है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें