- सुप्रीम कोर्ट ने जवाब देने दिया समय
- मामला कोलार नपा का नगर निगम भोपाल में विलय का
- राज्य निर्वाचन आयोग को भी लिया आड़े हाथों
भोपाल।
कोलार नगर पालिका का नगर निगम भोपाल में विलय का मामला डेढ़ माह और टल गया है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई करते हुए मप्र शासन को विलय के मामले में दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए डेढ़ माह का समय दे दिया गया है। हालांकि शासन के अधिवक्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट से तीन माह का समय मांगा था, लेकिन कोर्ट ने अधिक समय देने से साफ इंकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि शासन को डेढ़ माह में वकालतनामा अथवा शपथ पत्र सौंपना होगा। अगली पेशी 14 मार्च को होगी। पेशी के दौरान राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा भी शपथ पत्र जमा किया गया। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने आयोग से कई सवाल किए। दरअसल यह निर्देश शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में नगर पालिका कोलार का नगर निगम में विलय के विरोध में कोलार जन जागृति समिति द्वारा लगाई गई याचिका की सुनवाई करते हुए दिए।
ज्ञात हो कि गत सवा साल से कोलार नगर पालिका परिषद ांग पड़ी हुई है। शासन द्वारा विलय का प्रतिवेदन तैयार कर गजट नोटिफिकेशन किया जा चुका है, लेकिन राज्यपाल द्वारा इस प्रतिवेदन पर हस्ताक्षर नहीं हो सके हैं। बताया जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट में मामला होने के कारण राज्यपाल इस पर अपनी सहमति नहीं दे रहे हैं। इधर कोलार जन जागृति समिति के सचिव उत्तम समर ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट लगातार शासन से जानकारी मांग रहा है। शुक्रवार को जानकारी नहीं मिलने पर कोर्ट ने शासन को छह सप्ताह का समय और दिया है। विलय को लेकर अगली पेशी अब 14 मार्च को होगी। समर ने बताया कि चुनाव आयोग ने कोर्ट में शपथ पत्र प्रस्तुत कर दिया है। उनकी माने तो चुनाव आयोग नगर पालिका के चुनाव करा सकता है। अगर ऐसा होता है तो वे अपनी याचिका वापस ले सकते हैं, क्योंकि उनकी मांग नगर पालिका कोलार के चुनाव कराने की है।
शासन ने ठुकरा दिया था प्रस्ताव - कोलार नगर पालिका चुनाव के संबंध में राज्य निर्वाचन आयोग ने अपना जवाब प्रस्तुत करने हुए कहा है कि चुनाव कराने को लेकर शासन को प्रस्ताव तो दिया गया था, लेकिन उसे शासन ने ठुकरा दिया था। जवाब में शासन का कहना था कि वह कोलार नगर पालिका को नगर निगम ोपाल में विलय कर रहे हैं। नगर निगम ोपाल के साथ ही चुनाव कराया जाएगा। कोर्ट को दिए गए जवाब में राज्य निर्वाचन आयोग ने कहा है कि आयोग का काम सिर्फ समय पर चुनाव कराना है। चुनाव के लिए शासन के पास प्रस्ताव ोजा जाता है। यदि शासन द्वारा चुनाव के संबंध में कोई प्रस्ताव आयोग में ोजा जाता है तो उसके अनुसार चुनाव कराया जाता है। आयोग ने नगर पालिका कोलार के चुनाव की तैयारी के विषय में बताया कि आयोग पहले भी तैयार था और अभी भी पूरी तरह चुनाव के लिए तैयार है। नगर पालिका, नगर निगम और पंचायतों पर आयोग का सीधे नियंत्रण आयोग का नहीं है। आयोग सिर्फ चुनाव कराने का काम करता है, इस मामले उसका कोई लेना-देना नहीं है। कोलार नगर पालिका विलय मामले में आयोग को पार्टी क्यों बनाया गया, इससे आयोग आश्चर्य में है। कोलार नगर पालिका विलय मामले शासन की तरफ से सीएमओ राजेश श्रीवास्तव द्वारा कोर्ट में जवाब पेश किया गया है। वहीं नगरीय प्रशासन के अधिकारियों का कहना है कि अगर कोलार को नगर निगम में विलय किया जाता है तो पाषर्दों की सं या में कोई परिवर्तन नहीं होगा। पाषर्दों के क्षेत्रों को जरूर बढ़ा दिया जाएगा।
- मामला कोलार नपा का नगर निगम भोपाल में विलय का
- राज्य निर्वाचन आयोग को भी लिया आड़े हाथों
भोपाल।
कोलार नगर पालिका का नगर निगम भोपाल में विलय का मामला डेढ़ माह और टल गया है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई करते हुए मप्र शासन को विलय के मामले में दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए डेढ़ माह का समय दे दिया गया है। हालांकि शासन के अधिवक्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट से तीन माह का समय मांगा था, लेकिन कोर्ट ने अधिक समय देने से साफ इंकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि शासन को डेढ़ माह में वकालतनामा अथवा शपथ पत्र सौंपना होगा। अगली पेशी 14 मार्च को होगी। पेशी के दौरान राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा भी शपथ पत्र जमा किया गया। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने आयोग से कई सवाल किए। दरअसल यह निर्देश शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में नगर पालिका कोलार का नगर निगम में विलय के विरोध में कोलार जन जागृति समिति द्वारा लगाई गई याचिका की सुनवाई करते हुए दिए।
ज्ञात हो कि गत सवा साल से कोलार नगर पालिका परिषद ांग पड़ी हुई है। शासन द्वारा विलय का प्रतिवेदन तैयार कर गजट नोटिफिकेशन किया जा चुका है, लेकिन राज्यपाल द्वारा इस प्रतिवेदन पर हस्ताक्षर नहीं हो सके हैं। बताया जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट में मामला होने के कारण राज्यपाल इस पर अपनी सहमति नहीं दे रहे हैं। इधर कोलार जन जागृति समिति के सचिव उत्तम समर ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट लगातार शासन से जानकारी मांग रहा है। शुक्रवार को जानकारी नहीं मिलने पर कोर्ट ने शासन को छह सप्ताह का समय और दिया है। विलय को लेकर अगली पेशी अब 14 मार्च को होगी। समर ने बताया कि चुनाव आयोग ने कोर्ट में शपथ पत्र प्रस्तुत कर दिया है। उनकी माने तो चुनाव आयोग नगर पालिका के चुनाव करा सकता है। अगर ऐसा होता है तो वे अपनी याचिका वापस ले सकते हैं, क्योंकि उनकी मांग नगर पालिका कोलार के चुनाव कराने की है।
शासन ने ठुकरा दिया था प्रस्ताव - कोलार नगर पालिका चुनाव के संबंध में राज्य निर्वाचन आयोग ने अपना जवाब प्रस्तुत करने हुए कहा है कि चुनाव कराने को लेकर शासन को प्रस्ताव तो दिया गया था, लेकिन उसे शासन ने ठुकरा दिया था। जवाब में शासन का कहना था कि वह कोलार नगर पालिका को नगर निगम ोपाल में विलय कर रहे हैं। नगर निगम ोपाल के साथ ही चुनाव कराया जाएगा। कोर्ट को दिए गए जवाब में राज्य निर्वाचन आयोग ने कहा है कि आयोग का काम सिर्फ समय पर चुनाव कराना है। चुनाव के लिए शासन के पास प्रस्ताव ोजा जाता है। यदि शासन द्वारा चुनाव के संबंध में कोई प्रस्ताव आयोग में ोजा जाता है तो उसके अनुसार चुनाव कराया जाता है। आयोग ने नगर पालिका कोलार के चुनाव की तैयारी के विषय में बताया कि आयोग पहले भी तैयार था और अभी भी पूरी तरह चुनाव के लिए तैयार है। नगर पालिका, नगर निगम और पंचायतों पर आयोग का सीधे नियंत्रण आयोग का नहीं है। आयोग सिर्फ चुनाव कराने का काम करता है, इस मामले उसका कोई लेना-देना नहीं है। कोलार नगर पालिका विलय मामले में आयोग को पार्टी क्यों बनाया गया, इससे आयोग आश्चर्य में है। कोलार नगर पालिका विलय मामले शासन की तरफ से सीएमओ राजेश श्रीवास्तव द्वारा कोर्ट में जवाब पेश किया गया है। वहीं नगरीय प्रशासन के अधिकारियों का कहना है कि अगर कोलार को नगर निगम में विलय किया जाता है तो पाषर्दों की सं या में कोई परिवर्तन नहीं होगा। पाषर्दों के क्षेत्रों को जरूर बढ़ा दिया जाएगा।
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