मंगलवार, 28 जनवरी 2014

ग्रामीण जब चाहें तब ले लें जमीन

-महर्षि संस्थान के प्रवक्ता ने दिया बयान 
-मंगलवार को हुई एक ओर शिकायत 
भोपाल। 
यौन शोषण मामले में न्यायीक हिरास्त में चल रहे महर्षि महेश योगी विश्वविद्यालय के कुलाधिपति गिरीश वर्मा के प्रवक्त व जनसंपर्क अधिकारी ने कहा, हमने कोई ठगी नहीं की है। किसान जब चाहें तब जमीन ले सकते हैं। मीडिया में मंगलवार को विदिशा जिले के 54 ब्राह्मणों की जमीन विवि बनाने के नाम पर दान पत्र पर लिखवाने की खबर आने के बाद यह बायान दिया।
इधर, महिला थाने में गिरीश वर्मा के खिलाफ एक ओर शिकायत दर्ज कराई गई। 
इसमें कहा- जमीन हड़पने योगी के सगे भतीजे अजयप्रकाश श्रीवास्तव को भी आरोपी है। छोला के शिव मंदिर में पुजारी ने जमीन को लेकर शिकायत में दावा किया कि दस साल पहले योगी ने विवि बनाने के नाम पर 54 लोगों की जमीन दान पत्र पर ली। इसकी शिकायत शर्मा ने 30 दिसंबर, 12 को विदिशा के सिविल थाने में भी की थी। लेकिन पुलिस ने उन्हें ही प्रताड़ित किया। इसके चलते विदिशा छोड़कर भोपाल आ गए। महिला थाना प्रभारी रेणु वी मुराब ने बताया, जो शिकायत मिली है, उसकी विवेचना की जा रही है। इसके बाद ही आगे की कार्रवाई होगी। 

-अजय इसलिए आरोपी 
जमीन दान पत्र पर महर्षि विज्ञान विश्वविद्या पीठम, महर्षि नगर के नाम पर दी गई थी। इसके मुख्य सचिव महर्षि अजय प्रकाश और सचिव गिरीश वर्मा हैं। शिकायत में बताया गया वर्मा जमीन दान करने के संबंध में ब्रह्मानंद सरस्वती आश्रम के लेटर हेड का प्रयोग किया गया था। इन्होंने ही जमीन रजिस्ट्री कृषि भूमि के नाम पर कराई। 


-कहां की है जमीन
शिकायत के अनुसार यह जमीन विदिशा जिले के सेऊ, पठारी हवाली, आनंदपुर, सलारी संतोषपुर, घुटुआ, नाग पिपरिया, रावन खाईखेड़ा की है। इसी तरह रायसेन, देवास, सागर के आसपास भी लोगों से जमीन दान मे ली गई है। 

-वर्जन 
जमीन महर्षि वेद विज्ञान विश्व विद्या पीठम महर्षि नगर के नाम की नहीं है। बल्कि कुछ लोगों महर्षि वैदिक विश्व प्रशासन को दान स्वरूप दी गई जमीन का है। दूसरा जमीन अब भी उनके नाम ही है। कुछ इसका उपयोग कर रहे हैं और शेष दानदाता जब चाहे तब जमीन ले सकते हैं।   यहां प्रशासन परिसर बनाकर 40 बच्चों को वेद की शिक्षा देता। इसमें वहीं के लोगों को आचार्य बनाया जाना सुनिश्चित था। इसके लिए दो सौ रुपए फीस तय थी। इसमें सौ रुपए आचार्य और सौ रुपए परिसर की व्यवस्था पर खर्च होना था। ऐसा नहीं हो पाया। 
बीके खरे, प्रवक्ता व जनसंपर्क अधिकारी महर्षि संस्थान

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