- बीएलओ ने गिनाई अपनी समस्याएं
- कलेक्टर कार्यालय में दो विधानसभा क्षेत्रों के बीएलओ की बैठक आयोजित
भोपाल।
मानदेय सहित अन्य समस्याओं से परेशान बूथ लेवल आफिसर (बीएलओ) ने मंगलवार को खुलकर अपनी समस्याएं बताई। मौका था कलेक्ट्रेट कार्यालय में आयोजित हुजूर व भोपाल मध्य के पोलिंग बूथों पर पदस्थ बीएलओ की बैठक का। बीएलओ ने उपजिला निर्वाचन अधिकारी को बताया कि न तो उन्हें पर्याप्त मात्रा में स्टेशनरी मिलती है और न ही आवेदन फार्म। छुट्टी के दिन भी ड्यूटी लगा दी जाती है। यही नहीं राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता सहित अन्य दबंग लोग भी खासे परेशान करते हैं। एक दो नहीं बल्कि थोक में आवेदन लेने को मजबूर करते हैं। मना करने में झगड़े को खड़े हो जाते हैं। विभागीय अधिकारी भी विभाग के काम को पूर्ण करने के लिए बार बार हिदायत दे रहा है। साहब आप ही बताएं जाएं तो किधर। काम करें तो परेशानी और न करें तो सस्पेंशन की तलवार लटकी रहती है। इधर उपजिला निर्वाचन अधिकारी अक्षय सिंह ने सभी समस्याओं को सुनने के बाद कहा कि जो मूलभूत समस्याएं हैं, उनका निदान जल्द ही किया जाएगा। इसमें मानदेय, छुट्टी के दिन अवकाश, थोक में मिल रहे आवेदनों पर रोक, वेंडरों से समन्वय, महिलाओं को ड्यूटी से मुक्त करना प्रमुख है।
यह गिनाई समस्याएं -
- कुछ बीएलओ को अब तक मानदेय नहीं मिला है।
- दलों के कार्यकर्ता डराते-धमकाते हैं।
- स्टेशनरी ाी पर्याप्त मात्रा में नहीं दी जाती है। फोटोकापी से काम चलाना पड़ता है।
- हर छुट्टी के दिन ड्यूटी लगा दी जाती है। परिवार के साथ समय नहीं बिता पा रहे हैं। दिन भर काम में जुटे रहते हैं।
- बीएलओ के कार्य के साथ वि ााग का पूरा काम करना पड़ रहा है। वि ााग का काम की गति धीमी हो गई है। इधर विभागीय अधिकारी भी कोई रहम नहंी कर रहे हैं।
- बीएलओ को काफी बड़ा क्षेत्र दिया जा रहा है। इसमें काफी दिक्कतें होती हैं।
- महिलाओं की ड्यूटी ऐसे क्षेत्रों में लगी हैं, जहां उन्हें काफी दिक्कतें हो रही है।
- वेंडर से समन्वय स्थापित न होने के चलते पूरी मेहनत पर पानी फिर जाता है। सूची गड़बड़ हो जाती है और ईपिक भी गड़बड़ बनते हैं।
- कलेक्टर कार्यालय में दो विधानसभा क्षेत्रों के बीएलओ की बैठक आयोजित
भोपाल।
मानदेय सहित अन्य समस्याओं से परेशान बूथ लेवल आफिसर (बीएलओ) ने मंगलवार को खुलकर अपनी समस्याएं बताई। मौका था कलेक्ट्रेट कार्यालय में आयोजित हुजूर व भोपाल मध्य के पोलिंग बूथों पर पदस्थ बीएलओ की बैठक का। बीएलओ ने उपजिला निर्वाचन अधिकारी को बताया कि न तो उन्हें पर्याप्त मात्रा में स्टेशनरी मिलती है और न ही आवेदन फार्म। छुट्टी के दिन भी ड्यूटी लगा दी जाती है। यही नहीं राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता सहित अन्य दबंग लोग भी खासे परेशान करते हैं। एक दो नहीं बल्कि थोक में आवेदन लेने को मजबूर करते हैं। मना करने में झगड़े को खड़े हो जाते हैं। विभागीय अधिकारी भी विभाग के काम को पूर्ण करने के लिए बार बार हिदायत दे रहा है। साहब आप ही बताएं जाएं तो किधर। काम करें तो परेशानी और न करें तो सस्पेंशन की तलवार लटकी रहती है। इधर उपजिला निर्वाचन अधिकारी अक्षय सिंह ने सभी समस्याओं को सुनने के बाद कहा कि जो मूलभूत समस्याएं हैं, उनका निदान जल्द ही किया जाएगा। इसमें मानदेय, छुट्टी के दिन अवकाश, थोक में मिल रहे आवेदनों पर रोक, वेंडरों से समन्वय, महिलाओं को ड्यूटी से मुक्त करना प्रमुख है।
यह गिनाई समस्याएं -
- कुछ बीएलओ को अब तक मानदेय नहीं मिला है।
- दलों के कार्यकर्ता डराते-धमकाते हैं।
- स्टेशनरी ाी पर्याप्त मात्रा में नहीं दी जाती है। फोटोकापी से काम चलाना पड़ता है।
- हर छुट्टी के दिन ड्यूटी लगा दी जाती है। परिवार के साथ समय नहीं बिता पा रहे हैं। दिन भर काम में जुटे रहते हैं।
- बीएलओ के कार्य के साथ वि ााग का पूरा काम करना पड़ रहा है। वि ााग का काम की गति धीमी हो गई है। इधर विभागीय अधिकारी भी कोई रहम नहंी कर रहे हैं।
- बीएलओ को काफी बड़ा क्षेत्र दिया जा रहा है। इसमें काफी दिक्कतें होती हैं।
- महिलाओं की ड्यूटी ऐसे क्षेत्रों में लगी हैं, जहां उन्हें काफी दिक्कतें हो रही है।
- वेंडर से समन्वय स्थापित न होने के चलते पूरी मेहनत पर पानी फिर जाता है। सूची गड़बड़ हो जाती है और ईपिक भी गड़बड़ बनते हैं।
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