शुक्रवार, 31 जनवरी 2014

दिल्ली में जनता तय करेगी नीति

-आप सरकार के सलाहकार शरदचन्द्र बेहार बोले... जनता के हाथ जल्द होगा ‘राईट-टू-रिकॉल’ 
हेमंत पटेल, भोपाल। 
1961 बैच के आईएएस व दिग्विजय सरकार में मुख्य सचिव रहे और वर्तमान में दिल्ली की आम आदमी पार्टी (आप) के सलाहकार शरदचन्द्र बेहार ने कहा, दिल्ली में जो भी नीतियां बनेंगी उसमें जनता की सहभागिता होगी। नीति बनाने में चंद लोग नहीं, आमजन की भागीदारी रहेगी। जब लोग एक राय होंगे, तो उसे लागू किया जाएगा। 
श्री बेहार एक निजी कार्यक्रम में भाग लेने भोपाल पहुंचे। अरेरा कॉलोनी स्थित अपने निज निवास पर उन्होंने खास बातचीत की। 

प्रश्न:- आप दिग्विजय सरकार में सलाहकार रहे, इसके बाद माखनलाल चतुर्वेदी विश्विविद्यालय के कुलपति रहे, प्रदेश को बढ़े लंबे अरसे से जानते हैं? तब और अब के मप्र में क्या अंतर है? 
उत्तर:- जब से विवि छोड़ा है तब से मैं ‘यायावर’ या ‘परिवृजक’ (खूब घूमने वाला) हो गया हूं। मेरे दोस्त भी कहते हैं ‘नॉन रेसिडेंसियल भोपाली’ भोपाल का होते हुए भी भोपाली नहीं। मेरा मानना है, जब तक घूमंूगा नहीं, तब तक जान नहीं पाउंगा। मैं दिल्ली को भी समझ ही रहा हूं। ऐसे में मप्र के लिए राय दूंगा तो न्याय नहीं कर पाउंगा। 

प्रश्न:- बेहार साहब का क्या विजन है? जो कभी हमने बतौर सीएस रहते हमने सुना था? उस बेहार ने एक सपना संजोया था? 
उत्तर:- हां! मेरा विजन है। वो नहीं हो पाया जो उस समय सोचा, लेकिन विजन स्पष्ट है। आज की सरकार जनता की नब्ज के आधार पर नहीं, बल्कि डिनाईन द रूल (सदा-सहायता) से चल रही है। जरूरी है लोग अपना शासन कर सकें। ऐसा नहीं हो पा रहा है। प्रतिनिधि निर्णय ले रहे हैं। जबकि जनता को अधिकार मिलना चाहिए। 

प्रश्न:- ...तो इसके लिए क्या होना चाहिए? 
उत्तर:- किसी भी सरकार में जनता की पूर्ण सहभागीता होनी चाहिए। प्रतिनिधि अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा रहे हैं। विधानसभा-लोकसभा में कोई प्रश्न या कानून लाने वाले हैं तो पहले जनता के बीच घूमकर चर्चा करें। फीडबैक तो लें! लोग क्या राय दे रहे हैं। प्रतिनिधि अपनी जिम्मेदारी की प्रति एकग्रत और एकचित नहीं है। 

प्रश्न:- आपने क्या सोचा था और जो अब करेंगे? 
उत्तर:- पंचायत कानून इसमें चुने हुए प्रतिनिधि को दो साल बाद वापस बुलाने का अधिकार (राईट-टू-रिजेक्ट) है। इसे वहां (दिल्ली) में लाएंगे। 10 प्रतिशत जनता हस्ताक्षर करके देगी तो दोबारा चुनाव कराएं जाएंगे। यह केवल हां और न के आधार पर होगा। जनता हां कहेगी तो सरकार रहेगी। न कहेगी तो जाएगी। देश की मौजूदा शासन व्यस्था ठकी हाथों में नहीं। 

प्रश्न:-आपने ‘आप’ को क्या देख कर ज्वॉइन किया? और आप प्रमुखों ने आप में क्या देखा? 
उत्तर:- तेज हंसी के साथ... ये दो प्रश्न हैं। मैं बता दूं। मैं हमेशा से वैकल्पिक राजनीती कर्ता के रूप में सक्रीय रहा हूं। और आप के योगेन्द्र, प्रशांत और अरविंद को लंबे अरसे से जानता हूं। जब मेरी इनसे बात हुई तो मैंने वैकल्पिक राजनीति की बात कहते हुए सहयोग देने को कहा, लेकिन सभी सहयोगियों का कहना था, देश को जब तक राजनीतिक विकल्प नहीं दिया जाएगा, तब तक वैकल्पिक राजनीति बात बेमानी होगी। अभी ‘आप’ इस दिशा में आगे बढ़ रही है। जिस दिन लगेगा, ऐसा नहीं हो रहा है। उस दिन छोड़ दूंगा। 

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