-राज्यपाल से हस्ताक्षर न करने की मांग
-खान और सिंह ने नहीं ली विधिवत् अनुमति
भोपाल।
मप्र में राज्य सूचना आयोग में मुख्य सूचना आयुक्त व सूचना आयुक्तों की सूची विवादित हो गई है। भोपाल की क्रिएशन एंड प्रोजेक्शन डॉटकॉम संस्था ने राज्यपाल रामनरेश यादव से इस सूची पर हस्ताक्षर न करने की अपील की है।
अपील में मुख्य सूचना आयुक्त के लिए चयनित विधि विभाग के प्रमुख सचिव केडी खान और 5 मुख्य सूचना आयुक्तों में शामिल लोकायुक्त डीजी सुखराज सिंह को आवेदन में कोर्ट व शासन से विधिवत् अनुमति न लिए जाने का आरोप लगाया है। इधर राजभवन के सूत्र के अनुसार राज्यपाल को शासन द्वारा भेजी जा रही सूची का इंतजार है। उन्होंने अब इसकी विधिसंवत् जांच कराने का मन बना लिया है। उल्लेखनीय है कि दोनों अधिकारियों के चयन के बाद नियुक्ति संवैधानिक नहीं होगी। इसमें संवैधानिक टकराव की स्थिति उत्पन्न हो रही है। ऐसा इसलिए क्योंकि जहां श्री खान जून 2014 में सेवा निवृत्त होंगे। वहीं सुखराज सिंह की सेवाएं अप्रैल 2014 में समाप्त होंगी। इनके पद पर रहते हुए कैसे चयनकर नियुक्ति दी जा सकती है? विधि विशेषज्ञों की मानें तो मुख्य सूचना आयुक्त और आयुक्तों के चयन में भारी गलतियां की हैं। यह संविधान प्रक्रिया के उलट ही है।
-इसलिए विवाद
सूचना के अधिकार अधिनियम की धारा 15 की कंडिका 6 में उल्लेख है कि ‘राज्य मुख्य सूचना आयुक्त या राज्य सूचना आयुक्त कर्तव्यनिष्ठ एवं निष्पक्ष होंगे और अन्य कोई लाभ का पद धारण नहीं करेगा।’ जबकि केडी खान विधि विभाग के प्रमुख सचिव हैं। इधर आईपीएस सुखराज सिंह वर्तमान में लोकायुक्त डीजी के पद पर कार्यरत हैं। इसके अलावा सूचना आयुक्त के पद पर हीरालाल त्रिवेदी का भी चयन किया गया है। इनके ऊपर परिवार की ही एक महिला ने पुलिस में महिला अत्याचार का केस दर्ज कराया था। वहीं जब मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों के लिए 234 आवेदन शासन को मिले। इनमें केवल इन्हीं का चयन क्यों किया गया? डॉटकॉम संस्था ने चयन समिति की वीडियो रिकॉर्डिंग और आए आवेदनों के नामों को सार्वजनिक करने की मांग की है।
-खान और सिंह ने नहीं ली विधिवत् अनुमति
भोपाल।
मप्र में राज्य सूचना आयोग में मुख्य सूचना आयुक्त व सूचना आयुक्तों की सूची विवादित हो गई है। भोपाल की क्रिएशन एंड प्रोजेक्शन डॉटकॉम संस्था ने राज्यपाल रामनरेश यादव से इस सूची पर हस्ताक्षर न करने की अपील की है।
अपील में मुख्य सूचना आयुक्त के लिए चयनित विधि विभाग के प्रमुख सचिव केडी खान और 5 मुख्य सूचना आयुक्तों में शामिल लोकायुक्त डीजी सुखराज सिंह को आवेदन में कोर्ट व शासन से विधिवत् अनुमति न लिए जाने का आरोप लगाया है। इधर राजभवन के सूत्र के अनुसार राज्यपाल को शासन द्वारा भेजी जा रही सूची का इंतजार है। उन्होंने अब इसकी विधिसंवत् जांच कराने का मन बना लिया है। उल्लेखनीय है कि दोनों अधिकारियों के चयन के बाद नियुक्ति संवैधानिक नहीं होगी। इसमें संवैधानिक टकराव की स्थिति उत्पन्न हो रही है। ऐसा इसलिए क्योंकि जहां श्री खान जून 2014 में सेवा निवृत्त होंगे। वहीं सुखराज सिंह की सेवाएं अप्रैल 2014 में समाप्त होंगी। इनके पद पर रहते हुए कैसे चयनकर नियुक्ति दी जा सकती है? विधि विशेषज्ञों की मानें तो मुख्य सूचना आयुक्त और आयुक्तों के चयन में भारी गलतियां की हैं। यह संविधान प्रक्रिया के उलट ही है।
-इसलिए विवाद
सूचना के अधिकार अधिनियम की धारा 15 की कंडिका 6 में उल्लेख है कि ‘राज्य मुख्य सूचना आयुक्त या राज्य सूचना आयुक्त कर्तव्यनिष्ठ एवं निष्पक्ष होंगे और अन्य कोई लाभ का पद धारण नहीं करेगा।’ जबकि केडी खान विधि विभाग के प्रमुख सचिव हैं। इधर आईपीएस सुखराज सिंह वर्तमान में लोकायुक्त डीजी के पद पर कार्यरत हैं। इसके अलावा सूचना आयुक्त के पद पर हीरालाल त्रिवेदी का भी चयन किया गया है। इनके ऊपर परिवार की ही एक महिला ने पुलिस में महिला अत्याचार का केस दर्ज कराया था। वहीं जब मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों के लिए 234 आवेदन शासन को मिले। इनमें केवल इन्हीं का चयन क्यों किया गया? डॉटकॉम संस्था ने चयन समिति की वीडियो रिकॉर्डिंग और आए आवेदनों के नामों को सार्वजनिक करने की मांग की है।
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