एनटीसीए को भेजी रिपोर्ट में राज्य सरकार ने दी जानकारी
भोपाल।
बाघों की मौत के मामले में मध्यप्रदेश सरकार उलझ गई है। एक मामले में वनविभाग ने 6 शिकारियों को अरेस्ट कर लिया है एवं चालानी कार्रवाई जारी है, वहीं दूसरी ओर एनटीसीए को भेजी अपनी रिपोर्ट में कहा गया है कि मध्यप्रदेश में कोई शिकार नहीं हुआ। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के मुताबिक, मप्र के टाइगर रिजर्व और वन मंडलों में जनवरी से दिसंबर 2012 तक 14 बाघों की मौत हुई, जबकि राज्य सरकार का कहना है कि 13 बाघ मरे हैं। इसमें से भी किसी का शिकार नहीं हुआ है। यह तथ्य उस रिपोर्ट के हैं, जो राज्य सरकार ने एनटीसीए को भेजी है।
आरटीआई से मिली जानकारी
हाल ही में राजधानी के एक आरटीआई एक्टिविस्ट द्वारा मांगी गई जानकारी में यह बात सामने आई। आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार, कटनी के जुगिया वन क्षेत्र में करंट से जिस बाघ की मौत हुई है, वन विभाग ने उसे भी शिकार नहीं माना, जबकि इस मामले में छह लोग गिर तार किए जा चुके हैं। जबकि यहां यह बात स्पष्ट हो चुकी है कि वन्यजीवों के शिकार के लिए तार बिछाया गया था।
आंकड़ों में उलझी सरकार
इन मौतों पर चिंता जाहिर करते हुए एनटीसीए के सदस्य सचिव ने 10 दिसंबर को राज्य सरकार को पत्र लिखा था। एनटीसीए ने पत्र में स्पष्ट किया कि मप्र में 1 जनवरी से 10 दिसंबर 2012 तक 14 बाघों की मौत हुई है। एनटीसीए की सूचना के हिसाब से 25 दिसंबर को कटनी के जुगिया में हुई बाघ की मौत को जोड़ दिया जाए, तो मरने वाले बाघों की सं या 15 होनी चाहिए थी, लेकिन राज्य सरकार द्वारा एनटीसीए को भेजी जा रही ताजा रिपोर्ट में सिर्फ 13 बाघों के मरने का उल्लेख किया गया है।
बरामद बाघ की खाल पुरानी
भोपाल।
बाघों की मौत के मामले में मध्यप्रदेश सरकार उलझ गई है। एक मामले में वनविभाग ने 6 शिकारियों को अरेस्ट कर लिया है एवं चालानी कार्रवाई जारी है, वहीं दूसरी ओर एनटीसीए को भेजी अपनी रिपोर्ट में कहा गया है कि मध्यप्रदेश में कोई शिकार नहीं हुआ। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के मुताबिक, मप्र के टाइगर रिजर्व और वन मंडलों में जनवरी से दिसंबर 2012 तक 14 बाघों की मौत हुई, जबकि राज्य सरकार का कहना है कि 13 बाघ मरे हैं। इसमें से भी किसी का शिकार नहीं हुआ है। यह तथ्य उस रिपोर्ट के हैं, जो राज्य सरकार ने एनटीसीए को भेजी है।
आरटीआई से मिली जानकारी
हाल ही में राजधानी के एक आरटीआई एक्टिविस्ट द्वारा मांगी गई जानकारी में यह बात सामने आई। आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार, कटनी के जुगिया वन क्षेत्र में करंट से जिस बाघ की मौत हुई है, वन विभाग ने उसे भी शिकार नहीं माना, जबकि इस मामले में छह लोग गिर तार किए जा चुके हैं। जबकि यहां यह बात स्पष्ट हो चुकी है कि वन्यजीवों के शिकार के लिए तार बिछाया गया था।
आंकड़ों में उलझी सरकार
इन मौतों पर चिंता जाहिर करते हुए एनटीसीए के सदस्य सचिव ने 10 दिसंबर को राज्य सरकार को पत्र लिखा था। एनटीसीए ने पत्र में स्पष्ट किया कि मप्र में 1 जनवरी से 10 दिसंबर 2012 तक 14 बाघों की मौत हुई है। एनटीसीए की सूचना के हिसाब से 25 दिसंबर को कटनी के जुगिया में हुई बाघ की मौत को जोड़ दिया जाए, तो मरने वाले बाघों की सं या 15 होनी चाहिए थी, लेकिन राज्य सरकार द्वारा एनटीसीए को भेजी जा रही ताजा रिपोर्ट में सिर्फ 13 बाघों के मरने का उल्लेख किया गया है।
बरामद बाघ की खाल पुरानी
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