मंगलवार, 5 मार्च 2013

सेटेलाइट से होगी बाघों की निगरानी-वन विभाग ने एनटीसी को भेजा प्रस्ताव, मंजूरी की देरी

निगरानी,भेजा गया प्रस्ताव
भोपाल। 
लगातार हो रही बाघों की मौत के बाद वन विभाग चेता है। विभाग ने भोपाल जिले में सेटेलाइट से बघों की निगरानी की योजना बनाई है। प्रस्ताव को बाद्य संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के मंजूरी की देरी भर है। ऐसा होता है तो मप्र देश का दूसरा राज्य होगा, जो इसका उपयोग करेगा। 
वर्तमान में उत्तर प्रदेश के जिम कार्बेट नेशनल पार्क में सेटेलाइट से वन्य प्राणियों की निगरानी की जा रही है। प्रथम चरण में भोपाल जिले के वन क्षेत्र में सेटेलाइट स्थापित किए जाएंगे। सफलता मिलने पर प्रदेश के अन्य वन क्षेत्रों में इसे लागू किया जाएगा। भोपाल जिले में 24 घंटे निगरानी के लिए वन विभाग 'सेटेलाइट इलेक्ट्रॉनिक आईÓ की मदद लेगा। राजधानी से सटे जंगल कलियासोत से लेकर रातापानी अभयारण्य तक पांच अलग-अलग स्थानों को चिन्हित किया है। इन स्थानों पर टॉवर लगाए जाएंगे। सेटेलाइट से निगरानी के लिए भोपाल फॉरेस्ट सर्किल ने प्रस्ताव बना एनटीसीए को भेजा है। विभाग ने इसे जल्द मंजूरी मिलने की उम्मीद जताई है। 

-पांच कैमरों से नजर 
राजधानी में इस पूरे प्रोजेक्ट पर ३.५० करोड़ रुपए खर्च होंगे। भोपाल वन वृत्त के सीसीएफ एसएस राजपूत ने बताया, इलेक्ट्रॉनिक आई एक प्रकार का सर्विलांस वाइल्ड लाइफ टै्रकिंग सिस्टम है। इसमें एक कैमरा होता है, जो सेटेलाइट व इंटरनेट से जुड़कर सीधे बाघ पर नजर रखेगा। श्री राजपूत ने बताया असंरक्षित वन क्षेत्र के लिए पहली बार इस तरह का प्रस्ताव बनाया गया है। रातापानी अभ्यारण में बाघों की संख्या लगातार बढ़ रही है। यहां बल कम है, इस लिहजा से सिस्टम लगाने की योजना है। उम्मेद पूरी है इससे बाघों पर बारीकी से नजर रखी जा सकेगी। वहीं बाघों के गले में एक पट्टा होगा, जो उसके उक्त होने का सिग्नल देगा। सर्विलांस वाइल्ड लाइफ ट्रैकिंग सिस्टम में पांच कैमरों का उपयोग किया जाएगा। ये कैमरे सातों दिन 24 घंटे चालू रहेंगे। कैमरे में बैटरी की आपूर्ति के लिए जीपीआरएस प्वाइंट पर सोलर एनर्जी पैनल लगाए जाएंगे। वन क्षेत्र में ही एक कंट्रोल रूम बनेगा, जहां इसका मैंटेनेन्स होगा। कंट्रोल रूम से ही वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारी बाद्य की लोकेशन देख सकेंगे। 

 वर्जन 
सेटेलाइट से निगरानी का प्रस्ताव एनटीसीए को भेजा है। उम्मीद है इसे जल्द ही मंजूरी मिल जाएगी। मंजूरी मिलते ही सर्वर और कंट्रोल रूम स्थापित करने का काम शुरू किया जाएगा। 
बीपी सिंह, प्रमुख सचिव, वन विभाग 

जून, २०१२ में हुई मौतों के बाद मैंने वन विभाग में आरटीआई के जरिए कई जानकारियां मांगी थी। इसमें यह बताया गया, अब विभाग ने सेटेलाइट से निगरानी का कदम उठाया है। इसे विभाग जमीनी स्तर पर कितना सफल बना सकता है, देखना होगा। उम्मीदें हैं, बाद्यों के शिकार पर अंकुश लगेगा। 
अजय दुबे, सामाजिक कार्याकर्ता

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