उत्तराखंड की भयानक बारिश को त्रासदी में बदलने से रोका जा सकता था। मौसम विभाग ने उत्तराखंड सरकार को कई बार चेतावनी भेजी थी कि यात्रा को स्थगित कर दिया जाए क्योंकि भारी बारिश होने वाली है। लेकिन सरकारी अधिकारियों ने इस चेतावनी पर ध्यान नहीं दिया और नतीजा हजारों लोगों की मौत के रूप में सामने आया। हालांकि अभी आधिकारिक आंकड़ा 842 लोगों की मौत का है लेकिन उत्तराखंड विधानसभा स्पीकर गोविंद सिंह कुंजवाल ने कहा है कि कम से कम 10 हजार लोगों की जान गई है।टाइम्स ऑफ इंडिया ने खबर दी है कि 14, 15 और 16 जून को राज्य के अलग-अलग अधिकारियों को मौसम विभाग ने कहा था कि चार धाम यात्रा को टाल दिया जाना चाहिए और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा जाना चाहिए क्योंकि 'बहुत भारी बारिश' हो सकती है।
टाइम्स ऑफ इंडिया के पास इन चेतावनियों की कॉपी मौजूद है। यह सबूत है कि उत्तराखंड में गईं हजारों जानें बच सकती थीं। मौसम विभाग ने राज्य के मुख्य सचिव, चार धाम यात्रा में पड़ने वाले जिलों के डीएम, आपदा प्रबंधन केंद्र, आईटीबीपी और चार धाम यात्रा के लिए जिम्मेदार ओएसडी समेत कई बड़े अधिकारियों को इस बारे में लिखा था।और तो और, राज्य मौसम विभाग की इस चेतावनी को उनके अपने अधिकारियों ने ही गंभीरता से नहीं लिया। अगर विभाग का मुख्यालय इस चेतावनी को गंभीरता से लेता तो केंद्र सरकार को भी अलर्ट किया जा सकता था। भारी बारिश की पहली चेतावनी 14 जून को कृषि-सलाह बुलेटिन में दी गई थी। आपदा प्रबंधन केंद्र को चेतावनी दी गई। 15 जून, यानी भयानक बारिश से पूरा एक दिन पहले ही अगले 72 घंटे में भारी बारिश की चेतावनी आईटीबीपी और रुद्रप्रयाग के डीएम को दी गई थी। इस चेतावनी में साफ कहा गया था - यात्रियों को सुरक्षित जगहों पर जाने को कहा जाए।15 जून को ही चार धाम यात्रा से जुड़ी एक विशेष अडवाइजरी भी जारी की गई। उसमें भी 16-17 जून को भारी बारिश का अनुमान लगाया गया था। इसमें साफ-साफ लिखा था - चार धाम यात्रियों को सलाह दी जाती है कि चार दिन तक यात्रा टाल दें। यह चेतावनी बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री और जोशीमठ इलाकों के लिए थी। यहीं 16 जून की रात हुई बारिश ने सबसे ज्यादा तबाही मचाई।
जब राज्य के मौसम विभाग के अधिकारियों ने देखा कि उनकी चेतावनी को अधिकारीगण गंभीरता से नहीं ले रहे हैं तो 16 जून की सुबह दोबारा एक अडवाइजरी जारी की गई। त्रासदी इसके कई घंटों बाद हुई। यानी तब भी हजारों जानें बचाई जा सकती थीं। रुद्रप्रयाग के डीएम और राज्य के मुख्य सचिव को अलर्ट करते हुए इस अडवाइजरी में कहा गया था - यात्री सुरक्षित स्थानों पर जाएं। अगले 36 घंटे में भारी बारिश हो सकती है।इस बारे में राज्य के मुख्य सचिव सुभाष कुमार कहते हैं कि इस तरह की चेतावनी हर साल जारी होती हैं। उन्होंने कहा, ये लोग हर साल इस तरह की बात कहते हैं लेकिन कभी तीव्रता के बारे में नहीं बताया जाता।' लेकिन उत्तराखंड मौसम विभाग के निदेशक आनंद कुमार शर्मा इस बात को गलत बताते हैं। उन्होंने कहा, 'जब चेतावनी में 'बहुत भारी बारिश' लिखा गया है तो मतलब यह रूटीन अडवाइजरी नहीं है। ऐसा बहुत-बहुत कम मौकों पर किया जाता है।'
टाइम्स ऑफ इंडिया के पास इन चेतावनियों की कॉपी मौजूद है। यह सबूत है कि उत्तराखंड में गईं हजारों जानें बच सकती थीं। मौसम विभाग ने राज्य के मुख्य सचिव, चार धाम यात्रा में पड़ने वाले जिलों के डीएम, आपदा प्रबंधन केंद्र, आईटीबीपी और चार धाम यात्रा के लिए जिम्मेदार ओएसडी समेत कई बड़े अधिकारियों को इस बारे में लिखा था।और तो और, राज्य मौसम विभाग की इस चेतावनी को उनके अपने अधिकारियों ने ही गंभीरता से नहीं लिया। अगर विभाग का मुख्यालय इस चेतावनी को गंभीरता से लेता तो केंद्र सरकार को भी अलर्ट किया जा सकता था। भारी बारिश की पहली चेतावनी 14 जून को कृषि-सलाह बुलेटिन में दी गई थी। आपदा प्रबंधन केंद्र को चेतावनी दी गई। 15 जून, यानी भयानक बारिश से पूरा एक दिन पहले ही अगले 72 घंटे में भारी बारिश की चेतावनी आईटीबीपी और रुद्रप्रयाग के डीएम को दी गई थी। इस चेतावनी में साफ कहा गया था - यात्रियों को सुरक्षित जगहों पर जाने को कहा जाए।15 जून को ही चार धाम यात्रा से जुड़ी एक विशेष अडवाइजरी भी जारी की गई। उसमें भी 16-17 जून को भारी बारिश का अनुमान लगाया गया था। इसमें साफ-साफ लिखा था - चार धाम यात्रियों को सलाह दी जाती है कि चार दिन तक यात्रा टाल दें। यह चेतावनी बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री और जोशीमठ इलाकों के लिए थी। यहीं 16 जून की रात हुई बारिश ने सबसे ज्यादा तबाही मचाई।
जब राज्य के मौसम विभाग के अधिकारियों ने देखा कि उनकी चेतावनी को अधिकारीगण गंभीरता से नहीं ले रहे हैं तो 16 जून की सुबह दोबारा एक अडवाइजरी जारी की गई। त्रासदी इसके कई घंटों बाद हुई। यानी तब भी हजारों जानें बचाई जा सकती थीं। रुद्रप्रयाग के डीएम और राज्य के मुख्य सचिव को अलर्ट करते हुए इस अडवाइजरी में कहा गया था - यात्री सुरक्षित स्थानों पर जाएं। अगले 36 घंटे में भारी बारिश हो सकती है।इस बारे में राज्य के मुख्य सचिव सुभाष कुमार कहते हैं कि इस तरह की चेतावनी हर साल जारी होती हैं। उन्होंने कहा, ये लोग हर साल इस तरह की बात कहते हैं लेकिन कभी तीव्रता के बारे में नहीं बताया जाता।' लेकिन उत्तराखंड मौसम विभाग के निदेशक आनंद कुमार शर्मा इस बात को गलत बताते हैं। उन्होंने कहा, 'जब चेतावनी में 'बहुत भारी बारिश' लिखा गया है तो मतलब यह रूटीन अडवाइजरी नहीं है। ऐसा बहुत-बहुत कम मौकों पर किया जाता है।'
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