मंगलवार, 2 जुलाई 2013

मप्र में नहीं होता श्रमिकों का बीमा

-केंद्रीय राज्य मंत्री के.सुरेश ने कहा, मंडीदीप में खुलेगा डायग्नोस्टिक सेंटर
भोपाल। 
श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री कोडीकुन्नील सुरेश ने केंद्रीय भविष्य निधि संगठन कार्यालय में पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा, मप्र में विभिन्न श्रेणी के श्रमिकों का इंश्योरेंस नहीं होता। ऐसा जानकारी के आभाव व इसका व्यापक प्रचार-प्रसार न होने के चलते हो रहा है। दूसरा मप्र में इतनी बड़ी संख्या में प्रतिष्ठान नहीं थे, अब समय के यहां प्रतिष्ठान बढ़ रहे हैं। इसी के चलते बीते एक एक साल में 1 लाख लोगों से अधिक ने बीमा कराया है। 
प्रदेश में अब तक केवल 4.12 लाख श्रमिकों का ही कर्मचारी राज्य बीमा निगम (इएसआईसी) के तहत बीमा है। इएसआई स्कीम के तहत यह संख्या अधिक होनी चाहिए थी। इएसआई स्कीम में अन्य प्रदेशों   की तुलना में मप्र काफी पीछे है। 
मंडीदीप में डायग्नोस्टिक सेंटर और डिस्पेंसरी खोली जाएगी। श्री सुरेश ने जानकारी दी कि भोपाल और ग्वालियर के राज्य कर्मचारी बीमा अस्पतालों को अपग्रेड करते हुए सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में परिवर्तित किया जाएगा। राज्य सरकार को यह प्रस्ताव दे दिया है। उनकी अनुमति पर इस पर काम शुरू किया जाएगा। वहीं पीथमपुर और जबलुपर में 100 बिस्तरों वाला अस्पताल खोला जाएगा। श्री सुरेश ने बताया, मजदूर संगठनों ने केंद्रीय भविष्य निधि संगठन से मांग की थी कि मजदूरों को सम्मान जनक पेंशन दी जाए। इसके लिए गठित इपीएफओ बोर्ड ने एक श्रमिक को कम से कम 1000 रुपए पेंशन देने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। इसे केवल केंद्रीय केबिनेट की मंजूरी का इंतजार है। मप्र में 23458 प्रतिष्ठान इपीएफ एंड मप्र एक्ट-1952 के तहत पंजीबद्ध हैं। इन प्रतिष्ठानों के 28,95485 कर्मचारी पंजीकृत हैं, इनमें से 158760 पेंशनर्स हैं। 

-इंदौर में इपीएफओ का कॉलेज 
इंदौर में इएसआईसी का 300 बिस्तरों वाला अस्तपाल चल रहा है। यहीं इपीएफओ के अंतर्गत मेडिकल कॉलेज खोला जाएगा। यह देवी अहिल्या विश्वविद्यालय से मान्यता प्राप्त होगा। इसके लिए राज्य शासन से सभी प्रकार की अनुमतियां मिल चुकी हैं। सभी प्रकार की प्रोसेस पूरी हो चुकी हैं। मेडिकल काउंसिल आॅफ इंडिया से मंजूरी मिलना बाकी है। प्रदेश में डाक्टरों की कमी है, ऐसे में क्या इन अस्पतालों को डॉक्टर मिल पाएंगे? इस सवाल पर श्री सुरेश ने कहा, डॉक्टरों का मानदेय केंद्र की तर्ज पर होगा। केंद्र के अस्पतालों की तर्ज पर ही प्रदेश के अस्पतालों में वेतन दिया जाएगा। 

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