गरीबों के मकान बने निगम की मुश्किलें
भोपाल।
निर्माण लागत बढ़ने के साथ जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीनीकरण (जेएनएनयूआरएम) योजना के तहत बनने वाले मकान नगर निगम के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं। राजधानी में अलग-अलग स्थानों पर बीएसयूपी के तहत आवास निर्माण की 9 योजनाओं को स्वीकृत मिलने के बाद झुग्गियों के स्थान पर 18452 मकानों का निर्माण होना था। इसमें से केवल 6184 मकान ही बन सकें हैं।
निगम को यह काम दिसंबर 2012 तक पूरा करना था। इतना ही नहीं नगर निगम की इंद्रा नगर-2 योजना में 288 मकानों का निर्माण शुरू ही नहीं हो सका है। वहीं इन कार्यों के लिए 246 करोड़ रुपए की स्वीकृत योजना अब बढ़कर 446 करोड़ रुपए की हो गई है। पांच साल पूरे होने के बाद भी निगम मकानों निर्माण पूरा नहीं करा सका। उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार से स्वीकृत योजना की स्वीकृत राशि में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी केंद्र सरकार की है तो 20 प्रतिशत राज्य सरकार और 30 प्रतिशत नगर निगम और हितग्राही की हिस्सेदारी है। हालांकि निगम मकान निर्माण की सभी स्वीकृत योजनाओं को पुनरीक्षित कर चुका है। पुनरीक्षित में योजना की राशि में 200 करोड़ का इजाफा हुआ है।
-यह है धरातल पर
शहर के बाबा नगर में 24.61 करोड़ रुपए से 1872 मकान बनने थे। पर 840 मकान ही बन सके। इसी तरह श्याम नगर में 16 करोड़ रुपए से 1440 मकान बनने थे, लेकिन 1048 का निर्माण हुआ। इसी प्रकार कल्पना नगर में 212 मकानों का निर्माण 2.54 करोड़ रुपए से होना था, जबकि बने 164 और 48 अपूर्ण हैं। गंगा और आराधना नगर में 24.73 करोड़ रुपए से 1848 मकानों का निर्माण होना था। यहां 1144 निर्माणाधीन हैं। 704 अधूरे पड़े हैं। इंद्रा नगर फेस-1 में 17.10 करोड़ रुपए से 1216 मकान बनने थे, लेकिन 128 ही बन सके हैं। इंद्रा नगर फेस-2 में 13.42 करोड़ रुपए से 898 मकान की स्वीकृति हुई। यहां केवल 128 मकान ही बने। मद्रासी कॉलोनी, अर्जुन नगर व राहुल नगर के लिए 52.63 करोड़ रुपए स्वीकृत हुए, जिससे 3528 मकान बनने थे, परंतु 992 का काम पूरा हुआ है और 2536 निर्माणाधीन है।
वाजपेयी नगर में 50.83 करोड़ रुपए से 3328 मकान बनने थे। सिर्फ 832 बने, 2496 का निर्माण होना बाकी है।
-और ऐसे किया खेल
नगर निगम ने पूरा खेल आंकड़ों में किया है। नगर निगम बीएसयूपी (बेसिक सर्विस फॉर अर्बन पुअर) के तहत 18452 मकानों का निर्माण किया जा रहा है। निगम प्रशासन का कहना है, 6184 मकानों का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है, जबकि 14852 मकानों के निर्माण के लिए निविदाएं आमंत्रित की गई हैं। अब इन दोनों संख्याओं को जोड़े तो यह संख्या 21036 हो जाती है। ऐसे में यह स्पष्ट हो जाता है कि या तो 6184 मकान बने ही नहीं है। या फिर 14852 मकान से कम मकानों का निर्माण करना है।
वर्जन
मुझे इस बारे में जानकारी नहीं है। मामले को देखकर ही बता पाउंगा।
जीपी माली, अपर आयुक्त, नगर निगम
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