-विजिलेंस ने पकड़ा, आला अफसर का बेटा दोस्तों के साथ बिना टिकट करा रहा था यात्रा
-अफसर की पत्नी के कहने पर जारी हुई विज्ञप्ति
भोपाल।
रेलवे के आला अफसरों के परिजन किस तरह रेलवे को चूना लगा रहे हैं और किस तरह अन्य अधिकारी उनके ही सुर में गाने लगते हैं। इसका नमूना बुधवार को विजिलेंस द्वारा मारे एक छापे के बाद भोपाल स्टेशन पर देखने को मिला।
दिल्ली से चली शताब्दी एक्सप्रेस में मश्चिम मध्य रेलवे के मुख्य विद्युत अभियंता अश्विन कपूर का बेटा अक्षय और उसके साथ दो दोस्त बिना टिकट यात्रा कर रहे थे। नार्दन रेलवे की विजिलेंस टीम ने इन्हें बैरंग टिकट यात्रा करते हुए पकड़ा। श्री कपूर के बेटे ने पहले तो रौब जमाया, पिता के उच्च पद पर होने की धमकी दी। फिर मां को फोन लगाया। जानकारी मिलने पर श्रीमती अश्विन कपूर अपने कुत्ते को लेकर भोपाल स्टेशन पहुंच गर्इं। रेलवे के एक अधिकारी ने कुत्ते को लेकर कुछ कहा भी, लेकिन मामला हाईप्रोफाइल भांप आला अफसरों ने कुत्ता स्टेशन पर लाने से मना नहीं किया। मीडिया का हुजूम देख मैडम भड़क उठीं। सूत्रों के अनुसार शाम होते तक पश्चिम मध्य रेलवे के जनसंपर्क विभाग ने घटना का खंडन करती विज्ञप्ति जारी कर दी।
-ये है मामला
श्री कपूर के बेटे अक्षय कपूर अपने दो दोस्तों के साथ शताब्दी एक्सप्रेस में एक्जीक्जिव कोच में यात्रा कर रहे थे। अक्षय के पास रेलवे का पास था पर अन्य दो दोस्त उसके साथ बिना टिकट थे। गाड़ी में जब विजिलेंस टीम ने चैंकिंग की तो इस यह खुलासा हुआ। विजिलेंस ने अक्षय का रेलवे के पास जांचा तो पता पड़ा, वह पास को रखने के लिए इनटाइटल नहीं है। अफसरों के हत्थे चढ़ते ही अक्षय ने पिता का रोब जमाया, जब अधिकारी नहीं माने तो पिता और मां को फोन किया। इसके बाद विजिलेंस अधिकारियों ने दोनों दोस्तों की रसीद दिल्ली से भोपाल की काटने के बजाए, आगरा से भोपाल की काटी। टीसी ने इस बात की पुष्टि की है। हलांकि बेटे को लेने पहुंचीं श्रीमती कपूर यह बात कबूली कि बच्चों से जो गलती हुई, हमने डिफरेंस टिकट कटा लिया है। लेकिन वह भी अधिकारियों को अपने पति का ओहदा बताने से नहीं भूलीं।
-बताई अपनी हेसियत
स्टेशन पर वैसे तो आम व्यक्ति कुत्ता लेकर नहीं जा सकता। इसकी अनुमति भी नहीं है। जानकारी के अनुसार स्नीफर डॉग ही प्रवेश कर सकते हैं, लेकिन श्रीमती कपूर अपना लेब्राडोर नस्ल का कुत्ता लेकर स्टेशन परिसर में पहुंच गर्इं। इससे यहां यात्रियों को भी खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। भोपाल रेल मंडल के वरिष्ठ अधिकारी ने इस बारे में कुछ भी करने साफ इंकार कर दिया।
-कुछ नहीं कह सकता
मैंने केवल दो दिन के लिए भोपाल स्टेशन के कार्यभारित स्टेशन मास्टर के तौर पर कार्यसंभाला है। पालतुपशु को यात्रियों के साथ प्रवेश की इजाजत है या नहीं मैं नहीं कह सकता।
प्रदीप सिंह, कार्यभारित स्टेशन मास्टर
-रेलवे की यह सफाई
शाम होते तक रेलवे के जनसंपर्क विभाग ने श्री कपूर और उनके परिजनों को बचाने के लिए प्रेस विज्ञप्ति जारी कर दी। गौर करने वाली बात यह है कि कोई भी शासकीय अथवा उसका जनसंपर्क विभाग व्यक्तिगत छवि के लिए रिलीज जारी नहीं कर सकता। बावजूद इसके रेलवे ने सफाई पेश देते हुए नियम का उल्लंघन किया। प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि मुख्य अभियंता के बेटे ई-1 में पीएनआर नंबर-271-9850271 पर यात्रा कर रहे थे। विज्ञप्ति में अधिकारी के बेटे का नाम नहीं दर्शाया। इसी प्रकार उसे दो मित्र जो कोच नंबर सीई-2 में सीट नंबर 53-54 पर यात्रा कर रहे थे, उनका नाम भी नहीं दिया। विज्ञप्ति में बताया कि दोनों यात्री ई-१ में यात्रा करते पाए गए तो उनका किराए का अंतर 1730 रुपए है व रसीद क्रमांक 808405 है। दूसरी ओर श्रीमती कपूर ने मीडिया के सामने स्वीकार किया कि बच्चों से गलती हुई है। यहां एक सवाल यह उठता है जांच में सीई-2 के 53 एवं 54 पर यह ई-1 में मिले तो उनका उनका डिफरेंस आगरा से क्यों बनाया गया? दिल्ली से क्यों नहीं? जब यात्रियों को प्रथम श्रेणी में ही यात्रा करना था तो सीई-2 का टिकट क्यों बनवाया।
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