रेलवे के मु य जनसंपर्क अधिकारी ने चीफ इलेक्ट्रकल इंजीनियर अश्विन कपूर की व्यक्तिगत छवि को बचाने के लिए प्रेस विज्ञप्ति जारी कर न केवल अपनी सफाई पेश की बल्कि नियम का उल्लंघन किया है। यही नहीं जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि गया है कि मु य अभियंता के बेटे ई -१ में पीएनआर नंबर-२७१-९८५०२७१ पर यात्रा कर रहे थे। उन्होंने विज्ञप्ति में इस बात का जिक्र नहीं किया कि बेटे का नाम क्या था। यही नहीं । यही नहीं दो यात्री जो कोच नंबर सीई-२ में सीट नंबर ५३-५४ पर यात्रा कर रहे थे उनका नाम क्या था। यही नहीं जारी विज्ञप्ति में यह भी बताया गया कि दोनों यात्री ई-१ में यात्रा करते पाए गए तो उनका किराए का अंतर १७३० रुपए रसीद क्रमांक ८०८४०५ के माध्यम से बनाया गया। जबकि इस मामले में मु य अभियंता की पत्नी श्रीमती अश्विन कपूर ने भास्करडॉट कॉम की रिपोर्टर के सामने स्वीकार किया है कि बच्चों से गलती हुई है जिसकी वजह से किराए का अंतर बनाया गया है। यह जानकारी उन्होंने शताब्दी के भोपाल पहुंचने से पहले दे दी थी।। इस मामले में एक प्रश्न और सामने आता है कि रेलवे के मु य जनसंपर्क अधिकारी ने मु य अभियंता की पत्नी के द्वारा बताए गई जानकारी के आधार पर मु य अभियंता की व्यक्तिगत छवि को धूमिल होने से बचाने के लिए ये विज्ञप्ति जारी की है। रेलवे के मु य जनसंपर्क अधिकारी को कब से अधिकारियों के परिजनों द्वारा किए जा रहे कृत्य के संबंध में छवि सुधारने का काम करने लगे है। इसके अलावा जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि सीई-२ के ५३ एवं ५४ के यात्रियों को जब चेकिंग के दौरान ई-१ में पाया तो उनका डिफरेंस आगरा से क्यों बनाया गया दिल्ली से क्यों नहीं। वहीं एक बात ओर सामने आती है कि जब यदि यात्रियों को ई-१ यानि एक्जीकिटिव में यात्रा करने का शौक था तो उन्होंने पहले ही इस श्रेणी का रिजर्वेशन क्यों नहीं कराया। वहीं रेलवे ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में इस बात का उल्लेख नहीं किया कि श्रीमती कपूर अपने प्रिय कुत्तों को स्टेशन के अंदर वीआईपी लाउंज में नियमों के विरुद्ध क्यों लेकर गई थी और उन पर कोई कार्रवाई आरपीएफ या जीआरपी ने क्यों नहीं की।
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