निगम ने प्रस्ताव को दी हरी झंडी
भोपाल।
पानी, सड़क, सफाई सहित अन्य विकास कार्यों से वंचित राजधानी की करीब 650 कॉलोनियां में अब विकास कार्य संभव हो सकेंगे। गुरुवार को नगर निगम परिषद की आहुत हुई बैठक में इन कॉलोनियों के नगर निगम में हस्तांतरण पर सभी पाषर्दों ने अपनी सहमति दे दी है। जबकि दिल्ली की तर्ज पर राजधानी में मु त में पानी देने की कांग्रेसी पाषर्दों की रणनीति पर पानी फिर गया। बैठक के दौरान इस मुद्दे पर कांग्रेसियों ने खूब हंगामा मचाया। इससे पहले बैठक में स्ट्रीट लाइट और विकास कार्यों की गायब हुई फाइलों पर कई बार दोनों दलों के पार्षद आमने-सामने हुएं। बैठक के दौरान कांग्रेसी पाषर्दों ने अधिकारियों पर आरोप लगाते हुए कहा कि अफसर हमारी बातों को सुनकर अनसुनी कर देते हे। निगम प्रशासन लारा स्ट्रीट लाइटों पर करोंड़ों रुपए खर्च कर देने के बाद भी शहरभर की स्ट्रीट लाइटें खराब पड़ी है जिसके कारण शहर के अधिकांश इलाके अंधेरे में डूबे हुए है। इसी दौरान पार्षद मनोज मालवीय ने गुस्से में आकर कुर्सी ही फेंक दी। जानकारी के मुताबिक जुलाई माह के अंत में स्थगित हुई परिषद की बैठक गुरुवार को तय समय से एक घंटे की देरी से शुरू हुई। बैठक शुरू होते ही निगम प्रशासन लारा विकास कार्यों के प्रति बरती जा रही लापरवाही को लेकर भाजपा-कांग्रेस में बहस छिड़ गई। कांग्रेसी पाषर्दों का आरोप था कि कई महीनों से उनके वार्डों में विकास कार्य अधूरे पड़े हैं या शुरू नहीं हो पा रहे। फाइलों का पता नहीं कहां गुम हो गईं। सुबह से शुरू हुई बैठक में शाम तक कांग्रेसी पार्षद हंगामा ही करते रहे। जिसकी वजह से कई बार अध्यक्ष कैलाश मिश्रा को दस-दस मिनट के लिए बैठक स्थगित भी करना पड़ी।
भाजपा पार्षद के बोलने पर कांग्रेसी पार्षद ने जताई आपत्ति
बैठक के दौरान कांग्रेस पार्षद अजीजुद्दीन ने भाजपा पार्षद संध्या जाट को यह कहकर बोलने से रोक दिया कि उनका निलंबन हो चुका है। इसलिए वे बोलने की हकदार नहीं हैं। इस बात पर भाजपा पाषर्दों ने आपत्ति जताते हुए आसंदी पर आकर पार्षद अजीजुद्दीन माफी मांगने को कहा। इस पर अध्यक्ष ने स्वंय ही उनसे माफी मांगी। तब जाकर बैठक दोबारा शुरू हो सकीं। गौरतलब है कि संध्या जाट पर फर्जी जातिप्रमाण के जरिये चुनाव लड?े का आरोप है।
वार्ड-33 की पार्षद कृष्णा साहू का कहना था कि उनके क्षेत्र में 6 महीने से कोई विकास कार्य नहीं हुए। नमर्दा पाइप लाइन के लिए खोदी गई सड़क ज्यों कि त्यों पड़ी है। इससे लोगों को परेशानी हो रही है। वार्ड-7 के पार्षद शाहिद अली ने कहा कि बैठक छह महीने बाद होने के बावजूद विकास कार्यों से जुड़ीं फाइलें रुकी हुई हैं।
बाक्स
अपने ही विभाग को घेरा एमआईसी सदस्य ने
बिजली के मुद्दे पर सदन में चल रही बहस के दौरान इसी विभाग के प्रभारी एवं महापौर परिषद के सदस्य कृष्णमोहन सोनी ने अपनी व्यथा व्यक्त करते हुए सदन में कहा कि यांत्रिकी और विद्युत विभाग में कई अनियमितताएं है। जब भी उन्होंने विभाग के अधिकारियों से कुछ भी विचार विमर्श किया। अधिकारियों ने उनकी सलाह एवं बातों को नजर अंदाज किया।
बाक्स
मंत्री बदलते ही बदले एमआईसी सदस्यों के सुर
नगरीय प्रशासन विभाग के मंत्री के बदलते ही गुरुवार को नगर निगम परिषद की हुई बैठक में एमआईसी सदस्यों के तेवर बदले नजर आए। दो एमआईसी सदस्यों ने अधिकारियों की कार्य योजना के खिलाफ खूब आवाज उठाई। इस दौरान एमआईसी सदस्य महेश मकवाना ने निगम प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा कि मैं पहले निवेदन करके अपने काम के लिए बोलता हूं। उसके बाद भी यदि मेरा काम नहीं होता तो मैं मैदान में उतरने के लिए भी तैयार हूं। श्री मकवाना ने निगम प्रशासन को अल्टीमेटम देते हुए कहा कि मेरे रुकी हुई फाइलें दस दिवस के अंदर नहीं हुई तो मैं अपनी मर्यादा छोड़ दूंगा।
भोपाल।
पानी, सड़क, सफाई सहित अन्य विकास कार्यों से वंचित राजधानी की करीब 650 कॉलोनियां में अब विकास कार्य संभव हो सकेंगे। गुरुवार को नगर निगम परिषद की आहुत हुई बैठक में इन कॉलोनियों के नगर निगम में हस्तांतरण पर सभी पाषर्दों ने अपनी सहमति दे दी है। जबकि दिल्ली की तर्ज पर राजधानी में मु त में पानी देने की कांग्रेसी पाषर्दों की रणनीति पर पानी फिर गया। बैठक के दौरान इस मुद्दे पर कांग्रेसियों ने खूब हंगामा मचाया। इससे पहले बैठक में स्ट्रीट लाइट और विकास कार्यों की गायब हुई फाइलों पर कई बार दोनों दलों के पार्षद आमने-सामने हुएं। बैठक के दौरान कांग्रेसी पाषर्दों ने अधिकारियों पर आरोप लगाते हुए कहा कि अफसर हमारी बातों को सुनकर अनसुनी कर देते हे। निगम प्रशासन लारा स्ट्रीट लाइटों पर करोंड़ों रुपए खर्च कर देने के बाद भी शहरभर की स्ट्रीट लाइटें खराब पड़ी है जिसके कारण शहर के अधिकांश इलाके अंधेरे में डूबे हुए है। इसी दौरान पार्षद मनोज मालवीय ने गुस्से में आकर कुर्सी ही फेंक दी। जानकारी के मुताबिक जुलाई माह के अंत में स्थगित हुई परिषद की बैठक गुरुवार को तय समय से एक घंटे की देरी से शुरू हुई। बैठक शुरू होते ही निगम प्रशासन लारा विकास कार्यों के प्रति बरती जा रही लापरवाही को लेकर भाजपा-कांग्रेस में बहस छिड़ गई। कांग्रेसी पाषर्दों का आरोप था कि कई महीनों से उनके वार्डों में विकास कार्य अधूरे पड़े हैं या शुरू नहीं हो पा रहे। फाइलों का पता नहीं कहां गुम हो गईं। सुबह से शुरू हुई बैठक में शाम तक कांग्रेसी पार्षद हंगामा ही करते रहे। जिसकी वजह से कई बार अध्यक्ष कैलाश मिश्रा को दस-दस मिनट के लिए बैठक स्थगित भी करना पड़ी।
भाजपा पार्षद के बोलने पर कांग्रेसी पार्षद ने जताई आपत्ति
बैठक के दौरान कांग्रेस पार्षद अजीजुद्दीन ने भाजपा पार्षद संध्या जाट को यह कहकर बोलने से रोक दिया कि उनका निलंबन हो चुका है। इसलिए वे बोलने की हकदार नहीं हैं। इस बात पर भाजपा पाषर्दों ने आपत्ति जताते हुए आसंदी पर आकर पार्षद अजीजुद्दीन माफी मांगने को कहा। इस पर अध्यक्ष ने स्वंय ही उनसे माफी मांगी। तब जाकर बैठक दोबारा शुरू हो सकीं। गौरतलब है कि संध्या जाट पर फर्जी जातिप्रमाण के जरिये चुनाव लड?े का आरोप है।
वार्ड-33 की पार्षद कृष्णा साहू का कहना था कि उनके क्षेत्र में 6 महीने से कोई विकास कार्य नहीं हुए। नमर्दा पाइप लाइन के लिए खोदी गई सड़क ज्यों कि त्यों पड़ी है। इससे लोगों को परेशानी हो रही है। वार्ड-7 के पार्षद शाहिद अली ने कहा कि बैठक छह महीने बाद होने के बावजूद विकास कार्यों से जुड़ीं फाइलें रुकी हुई हैं।
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अपने ही विभाग को घेरा एमआईसी सदस्य ने
बिजली के मुद्दे पर सदन में चल रही बहस के दौरान इसी विभाग के प्रभारी एवं महापौर परिषद के सदस्य कृष्णमोहन सोनी ने अपनी व्यथा व्यक्त करते हुए सदन में कहा कि यांत्रिकी और विद्युत विभाग में कई अनियमितताएं है। जब भी उन्होंने विभाग के अधिकारियों से कुछ भी विचार विमर्श किया। अधिकारियों ने उनकी सलाह एवं बातों को नजर अंदाज किया।
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मंत्री बदलते ही बदले एमआईसी सदस्यों के सुर
नगरीय प्रशासन विभाग के मंत्री के बदलते ही गुरुवार को नगर निगम परिषद की हुई बैठक में एमआईसी सदस्यों के तेवर बदले नजर आए। दो एमआईसी सदस्यों ने अधिकारियों की कार्य योजना के खिलाफ खूब आवाज उठाई। इस दौरान एमआईसी सदस्य महेश मकवाना ने निगम प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा कि मैं पहले निवेदन करके अपने काम के लिए बोलता हूं। उसके बाद भी यदि मेरा काम नहीं होता तो मैं मैदान में उतरने के लिए भी तैयार हूं। श्री मकवाना ने निगम प्रशासन को अल्टीमेटम देते हुए कहा कि मेरे रुकी हुई फाइलें दस दिवस के अंदर नहीं हुई तो मैं अपनी मर्यादा छोड़ दूंगा।
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