नगर संवाददाता, भोपाल
जनजातीय संग्रहालय में पिछले एक माह से अब तक आने वाले दशर्कों को नि:शुल्क प्रवेश की सुविधा दी जा रही थी। 7 जुलाई से संग्रहालय आने वाले दशर्कों को टिकट लेना अनिवार्य किया जा रहा है। इस हेतु भारतीय दशर्कों के लिए प्रवेश शुल्क रूपये 10/- प्रतिव्यक्ति, विदेशी दशर्कों के लिए प्रवेश शुल्क रूपये 100/- प्रतिव्यक्ति तथा दस साल तक के आयु वाले बच्चों तथा विकलांगों को नि:शुल्क प्रवेश दिया जायेगा। इसके अलावा फोटोग्राफी के लिए अतिरिक्त शुल्क रूपये 50/- प्रति कैमरा होगा। संग्रहालय की दीर्घाओं के खुलने का समय दोपहर 12 बजे से सायं 8 बजे तक का है।
प्रदशर्नी कर रही आकषिर्त:
जनजातीय संग्रहालय के देह अलंकरण के बैगा जनजातीय प्रतीकों की प्रदशर्नी 'देहराग' दशर्कों को बड़ी सं या में आकर्षित कर रही है। इस प्रदशर्नी में मध्यप्रदेश की बैगा जनजाति की गोदना पर परा अथवा इससे जुड़े विभिन्न पहलुओं को छायाचित्रों के माध्यम से अनूठे रूप में प्रस्तुत किया गया है। मानव शरीर के कैनवास पर चित्रित यह गोदना कला जनजातीय लोगों के विशेष आभूषणों एवं कथाओं के रूप में व्या या, जिसके अनुसार गोदना को एकमात्र ऐसा श्रृंगार माना गया है, जो मनुष्य की मृत्यु के बाद भी उनका साथ नहीं छोड़ते।
शनिवार व रविवार को होंगे विविध आयोजन:
संग्रहालय की गतिविधियों में विस्तार करते हुए प्रत्येक माह के शनिवार और रविवार को विविध कलानुशासनों यथा गायन/नाटक/फिल्म/नृत्य/संवाद/ कविता आदि पर केन्द्रित गतिविधिया आयोजित की जायेंगी। इस श्रृंखला का आर भ 'सुमिरन' नाम से प्रार भ किया जा रहा है, जिसमें लब्ध प्रतिष्ठ सितार वादक स्व. पंडित रविशंकर को समर्पित 6 एवं 7 जुलाई को संगीत संध्या का आयोजन किया जा रहा है, जिसके अन्तर्गत बनारस घराने के युवा एवं यात गायक पंडित रितेश एवं रजनीश मिश्र, पावस गीतों की प्रस्तुति देंगे। यह कार्यक्रम संग्रहालय परिसर में सायं 7 बजे से प्रार भ होगा।
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