रविवार, 14 जुलाई 2013

राष्ट्रपति के पास पहुंचा विधानसभा का मामला!

-विपक्ष का आरोप विधिसंवत् नहीं हुआ सत्र का समाप्त 
-संसदीय मंत्री बोले कोई संवैधानिक संकट नहीं 
-विशेषज्ञों के अनुसार राज्यपाल को पूरा अधिकार सदन आहूत करने का 
भोपाल। 
विधानसभा का सत्र विधिसंवत् समाप्त हुआ है या नहीं और सरकार ने विपक्ष के संवैधानिक अधिकारों का हनन किया है अथवा नहीं? यह पूरा मामला अब राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के पास पहुंच चुका है। राज्यपाल ने पूरे मामले में विधिसंवत् सलाह मांगी है। पुष्ट सूत्रों के अनुसार राज्यपाल ने उस दिन चले सदन की पूरी प्रोसिडिंग मांगी है। 
हालांकि क्यों उन्होंने राष्ट्रपति को इस बात से अवगत कराया? इस बारे में पुष्टि नहीं हो सकी है। राज्यपाल रामनरेश यादव ने विधानसभा के पूरे घटनाक्रम की जानकारी व कार्रवाई का ब्यौरा मांगा है। जानकारी मिलते ही राज्यपाल इसे राष्ट्रपति को भेंजेंगे, जिस पर वह वैधानिक कार्रवाई हेतु सलाह की मांग कर चुके हैं। विपक्षी दल कांग्रेस का कहना है, सरकार ने प्रजातंत्र के नियम कायदों का हनन किया है। सदन में हमारा पक्ष नहीं सुना। अविश्वास प्रस्ताव में जनहित के मुद्दे हैं, जिन्हें विपक्ष के 24 सदस्यों का समर्थन प्राप्त था। बावजूद इसके सरकार ने संवैधानिक अधिकारों का हनन किया। वहीं सत्ता पक्ष का कहना है, किसी भी प्रकार का संवैधानिक संकट उत्पन्न नहीं हुआ है। सदन विधि अनुसार ही चला। विपक्ष स्वतंत्र है, अपनी बात रखने व अन्य को बताने के लिए। संविधान विशेषज्ञों के अनुसार राज्यपाल को पूरा अधिकार है कि विधिसंवत् कमी मिलने वह सदन आहूत करने सरकार को अधिसूचना जारी कर सकते हैं। ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि अभी विधानसभा के समापन की सूचना विधिवत राजभवन नहीं पहुंची है। जब तक राज्यपाल की सत्र समापन या शुरू किए जाने की सहमति नहीं मिल जाती तब तक वह वैधानिक तरीके से शक्तियों का उपयोग कर सकते हैं। उल्लेखनीय है कि इस बार 8 जुलाई से 19 जुलाई तक विधानसभा सत्र बुलाया गया था। इसे 11 जुलाई को ही समाप्त कर दिया गया था। 

-हमारी बात नहीं सुनी 
हमारी तरफ से राज्यपाल को लिखित में जानकारी दी गई है कि सदन में हमारी बात नहीं सुनी गई है। राज्यपाल को सत्र आयोजन और समापन में उनकी सहमति आदि पर भी चर्चा हुई। उन्होंने विधिसंवत् कार्रवाई का आश्वासन दिया है। 
डॉ. गोविंद सिंह, कांग्रेस विधायक, लहार

-संकट नहीं
किसी भी प्रकार का संवैधानिक संकट नहीं है। अविश्वास प्रस्ताव जब शून्य घोषित हो गया तो बाकी बातें इंगित ही नहीं होतीं। 
नरोत्तम मिश्रा, संसदीय कार्यमंत्री 

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