बुधवार, 17 जुलाई 2013

चुनाव आयोग की घोषणा-पत्रों पर नजर

-राज्य व राष्ट्रीय सभी पार्टियों को देना होगा अपना प्रोस्पेक्ट्स 
-न्यायालय के निर्देश पर लिया आयोग ने संज्ञान 
हेमन्त पटेल, भोपाल। 
इस बार चुनाव राजनीतिक पार्टियों के लिए ज्यादा पेचेदगी भरे हो सकते हैं। केंद्रीय चुनाव आयोग ने राष्ट्रीयकृत (सभी 6) पार्टियों से उनके मेनूफेस्टो (घोषणा-पत्र) मांगा है। साथ ही राज्यों में अपना दम खंभ दिखाने वाली पार्टियों से भी चुनाव के संबंध में उनके प्रोस्पेक्ट्स मांगे हैं। 
घोषणा-पत्र के जरिए आयोग पार्टियों की मंशा देखना चाहती है। दूसरा उद्देश्य यह भी है कि कोई पार्टी किसी ओर का श्रेय खुद तो नहीं लेना चाहती। गुजरात चुनाव के दौरान केंद्र नीत कांग्रेस ने ‘हाउसिंग स्कीम’ शुरू की थी। पार्टियों के विरोध और आयोग के हस्तक्षेप के बाद केंद्र ने इससे हाथ खींच लिए थे। लिहाज इन परिस्थियों को देखते हुए आयोग पूर्व से ही पार्टियों द्वारा की जा रही घोषणाओं, मुद्दों और वादों को देख लेना चाहती है। जिससे ऐन वक्त पर किसी भी प्रकार के विवाद से निब्टा जा सके, इससे आयोग खुद पार्टियों को आईना दिखा पाएगा। 

-न्यायालय ने दिए थे निर्देश 
उच्चतम न्यायालय ने विशेष अनुमति याचिका का निपटारा करते हुए पांच जुलाई को चुनाव आयोग को राजनीतिक दलों की ओर से घोषणा-पत्र के संदर्भ में दिशा निर्देश तैयार करने को कहा था। इस याचिका में तमिलनाडु लुभावने वायदे को चुनौती दी गई थी। न्यायालय ने जो आदेश दिए उस पर संज्ञान लेते हुए आदेश की एक-एक प्रति सभी राजनीतिक दलों को भेजी जा रही है। यह प्रति आयोग राज्य स्तरीय पार्टियों को भी दे रहा है। 

-पहले होगी बैठक 
केंद्रीय चुनाव आयोग उच्चतम न्यायालय के आदेश पर पहले सभी राजनीतिक पार्टियों से विचार-विमर्श करेगा। आयोग ने इस बारे में कहा है, जल्द ही राज्य व राष्ट्रीयकृत पार्टियों की बैठक की तारीख नियत की जाएगी। न्यायालय ने आयोग से कहा है कि वह राजनीतिक दलों के चुनावी घोषणा-पत्र के संदर्भ में दिशा निर्देश तैयार करें। 

-वर्जन 
इस माह के अंत तक राष्ट्रीय व राज्य स्तरीय पार्टियों के प्रतिनिधियों से चर्चा संभावित है। न्यायालय ने जो आदेश दिए हैं, उनके पालन की दिशा में यह कदम है। 
संजय सिंह बघेल, सहायक मुख्य निर्वाचन अधिकारी 


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